(Field Trips)
क्षेत्रीय : क्षेत्र या स्थान विशेषता
भ्रमण : घूमना या यात्रा करना
अर्थात् किसी उद्देश्य को लेकर स्थान विशेष की यात्रा ही क्षेत्रीय भ्रमण है। शिक्षा के क्षेत्र में यह उद्देश्य सम्बन्धित विषय के प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान करना है। इस विधि को से शैक्षिक पर्यटन, शैक्षिक भ्रमण क्षेत्राटन सरस्वती यात्रा आदि नामों से भी जाना जाता है।
पेस्टोलॉजी और सुकरात ने प्राचीन काल में बच्चों के शिक्षण हेतु इसकी सिफारिश की थी लेकिन इस विधि का वास्तविक प्रतिपादनीष वी शताब्दी में प्रो. रेन (Rain) द्वारा किया गया।
परिभाषाएँ: 1. हेनरी जॉनसन : "क्षेत्रीय भ्रमण प्रो०रेन द्वारा विकसित र विद्यालय पर्यटन की एक विधि है जिसमें खुले, स्वतंत्र और प्राकृतिक वातावरण में प्राकृतिक अध्ययन, इतिहास, भूगोल आदि विषयों का वास्तविक शिक्षण होता है, साथ ही शिक्षार्थियों को सामाजिकता के अवसर भी ।
मिलते है।"
2. स्ट्रक : "शैक्षिक पर्यटन विद्यालय की चार दीवारी से -
बाहर शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए किया गया नियंत्रित भ्रमण है जिसमें बालकों को मनोरंजन के साथ-साथ शैक्षिक अनुभवों की प्रत्यक्ष रूप से प्राप्ति होती है।"
क्षेत्रीय भ्रमण के प्रकार :
आयोजन के दृष्टिकोण से क्षेत्रीय भ्रमण निम्न प्रकार का होता है
1.लघु या संक्षिप्त क्षेत्रीय भ्रमण : इस प्रकार का क्षेत्रीय
भ्रमण प्राथमिक कक्षाओं के लिए आयोजित किया जाता है। इसकी अवधि एक कालांश की होती है।
2.सामान्य क्षेत्रीय भ्रमण : यह शिक्षण में सर्वाधिक आयोजित किया जाने वाला भ्रमण है। यह प्राथमिक उच्च प्राथमिक तथा माध्यमिक कक्षाओं के लिए आयोजित होता है। इसकी अवधि आधा या एक दिन होती है।
3.विस्तृत क्षेत्रीय भ्रमण : इस प्रकार का भ्रमण तीन से सात दिनों के लिए आयोजित किया जाता है। तथा इसका आयोजन उच्च माध्यमिक और महाविद्यालय स्तर के लिए होता है।
क्षेत्रीय भ्रमण के चरण: 1. भ्रमण हेतु उद्देश्यों का निर्धारण 2. भ्रमण हेतु स्थान का चयन 3. भ्रमण हेतु सामग्री का संकलन, 4.भ्रमण योजना का क्रियान्वन । 5. भ्रमण योजना का मूल्यांकन 6. भ्रमण योजना का पुनरावलोकन
गुण:
1. यह शिक्षण व्यूहरचना प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान करती है। 2. यह शिक्षण व्यूहरचना कल्पना शक्ति का विकास करती
है। 3. यह शिक्षण व्यूहरचना अनौपचारिक शिक्षण प्रदान करती
4. यह शिक्षण व्यूहरचना शिक्षार्थियो मे सामाजिक गुणों
का विकास करती है। 5. यह शिक्षण व्यूहरचना शिक्षार्थियों में शिक्षण के प्रति रूचि जागृत करती है।
दोष:
1. इस शिक्षण व्यूहरचना से कक्षा शिक्षण कार्य में बाधा
उत्पन्न होती है।
2. प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने में सदैव दुर्घटना का भय
रहता है। 3. भारत जैसे गरीब देश में ये शिक्षण व्यूहरचना :
कारगर नहीं है। क्षत्रिय भ्रमण में मनोरंजन को अधिक महत्व मिलता ह जबकि उद्देश्य पूरे नहीं होते।
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