शिक्षा मनोविज्ञान की अध्ययन पद्धतियांJagriti PathJagriti Path

JUST NOW

Jagritipath जागृतिपथ News,Education,Business,Cricket,Politics,Health,Sports,Science,Tech,WildLife,Art,living,India,World,NewsAnalysis

Saturday, January 25, 2020

शिक्षा मनोविज्ञान की अध्ययन पद्धतियां



Education phychology method
Education phychology method





शिक्षा मनोविज्ञान की विधियां

(Methods of Educational Psychology)
 • शिक्षा मनोविज्ञान एक व्यावहारिक विज्ञान है। इसके अध्ययन हेतु अनेक वैज्ञानिक विधियों का विकास हुआ है, क्योंकि एक शिक्षा मनोवैज्ञानिक अपनी समस्याओं के समाधान करने के लिए अनेक वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करते हैं। इन्हें दो भागों में बाँटा जा सकता है(अ) आत्मनिष्ठ विधियाँ (ब) वस्तुनिष्ठ विधियाँ शिक्षा मनोविज्ञान की आत्मनिष्ठ विधियों में दो प्रमुख है1.आत्मनिरीक्षण विधि (Introspective Method) 2.गाथा वर्णन विधि (Anecdotal Method) 
 • शिक्षा मनोविज्ञान की वस्तुनिष्ठ विधियों में प्रमुख निम्न है- (1) प्रयोगात्मक विधि (Experimental Method (2) निरीक्षण विधि (Observation Method) (3) जीवन इतिहास विधि (Case History Method) (4) उपचारात्मक विधि(Clinical Method) (5) विकासात्मक विधि (Developmental Method) (6) मनो-विश्लेषण विधि (Psychoanalytic Method) (7) परीक्षण विधि (Test Method) (8) साक्षात्कार विधि (Interview Method) (9) प्रश्नावली विधि (Questionnaire Method) (10) सांख्यिकी विधि (Statistical Method) (11) तुलनात्मक विधि (Comparative Method)


• आत्म निरीक्षण विधि :

विश्वविख्यात दार्शनिक लॉक के
अनुसार-"मस्तिष्क द्वारा अपनी स्वयं की क्रियाओं का निरीक्षण" ही आत्मनिरीक्षण है । पूर्वकाल में मनोवैज्ञानिक अपनी मानसिक क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं जैसे सुख-दुःख, क्रोध-शान्ति, घृणाप्रेम के समय अपनी मानसिक दशाओं का निरीक्षण करके उनका वर्णन करते थे।

 • गाथा वर्णन विधि :

 इस विधि में व्यक्ति अपने किसी पूर्व अनुभव या व्यवहार का वर्णन करता है। मनोवैज्ञानिक इस आधार पर निष्कर्ष निकालता है। यह विधि आत्मगत होने के कारण विश्वसनीय नहीं है।

 • प्रयोगात्मक विधि : 

इस विधि में प्रयोगकर्ता स्वयं अपने द्वारा ही निर्धारित परिस्थितियों या वातावरण में किसी व्यक्ति के व्यवहार का अध्ययन करता है। 

 • निरीक्षण विधि : 

इस विधि में व्यक्ति के व्यवहार का निरीक्षण करके उसकी मानसिक दशा को जाना जाता है। व्यवहारवादी इस विधि को विशेष महत्व देते हैं। 

 • जीवन-इतिहास विधि :

 इस विधि में किसी व्यक्ति के व्यवहार का अध्ययन उसके जीवन इतिहास द्वारा किया जाता है। इस विधि का प्रमुख उद्देश्य किसी समस्या का समाधान ढूंढने हेतु किया जाता है। 

 • उपचारात्मक विधि : 

इस विधि का प्रयोग सीखने, व्यक्तित्व तथा आचरण सम्बन्धी जटिलताओं का अध्ययन करने तथा उनका समाधान करने हेतु किया जाता है।

 • विकासात्मक विधि :

 इस विधि में प्रयोगकर्ता बालक के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं व्यवहार सम्बन्धी विकास पर आनुवंशिकता और वातावरण के प्रभाव का अध्ययन करता है। यह एक दीर्घकालीन विधि है जिसमें बालक का जन्मावस्था से प्रौढ़ावस्था तक अध्ययन किया जाता है । 

 • मनो-विश्लेषण विधि :

 इस विधि की खोज फ्रायड ने की थी उनके अनुसार व्यक्ति के ऊपर उसके 'अचेतन मन' का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। अत: इस विधि द्वारा व्यक्ति के अचेतन मन' का अध्ययन करके, उसकी अतृप्त इच्छाओं की जानकारी प्राप्त की जाती है। 

 • परीक्षण विधि : 

आधुनिक युग में अनेक वैज्ञानिक एवं प्रामाणिक विधियों का निर्माण किया जा चुका है, जैसे-बुद्धि परीक्षा, व्यक्तित्व परीक्षा, ज्ञान परीक्षा, रूचि परीक्षा आदि। इन विधियों का प्रयोग विभिन्न उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु किया जाता है। 

 • साक्षात्कार विधि : 

इस विधि के अन्तर्गत प्रयोगकर्ता किसी विशेष समस्या का अध्ययन करने हेतु सम्बन्धित व्यक्तियों से भेंट करके समस्या सम्बन्धी तथ्य एकत्र करके उनका विश्लेषण करता है। 

 • प्रश्नावली विधि : 

इस विधि में प्रयोगकर्ता किसी शिक्षा समस्या के सम्बन्ध में अनेक व्यक्तियों के विचार जानने हेतु उनके पास समस्या सम्बन्धी कुछ प्रश्नों की प्रश्नावली तैयार करके भेज देता है। उनसे प्राप्त उत्तरों का अध्ययन व विश्लेषण करके वह निष्कर्ष निकालता है। 

 • सांख्यिकी विधि : 

इस विधि में समस्या से सम्बन्धित तथ्यों को एकत्रित करके उनके विश्लेषण द्वारा परिणाम प्राप्त किया जाता है। 

 • तुलनात्मक विधि :

 इस विधि में व्यक्तियों या समूहों के व्यवहार सम्बन्धी समानताओं और असमानताओं का अध्ययन किया जाता है।










No comments:

Post a Comment


Post Top Ad