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Saturday, January 25, 2020

श्वसन तंत्र

Human respiratory process
Human respiratory process


श्वसन प्रक्रिया

 जन्तु एवं वनस्पतियाँ दोनों ही श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं तथा कार्बन डाई ऑक्साइड त्यागते हैं। श्वसन वायवीय तथा अवायवीय हो सकता है। वायवीय है श्वसन वायु की उपस्थिति में होता है जबकि अवायवीय श्वसन वायु की अनुपस्थिति में होता है। इसमें ग्लूकोज के अपूर्ण ऑक्सीकरण से एथिल अल्कोहल (या लेक्टिक अम्ल) बनता है। वायवीय श्वसन अधिकांश बहुकोशीय जन्तुओं व मनुष्यों में तथा अवायवीय श्वसन जीवाणु, यीस्ट, परजीवी आदि में होता है। • श्वसन अंग- मछली में गलफड़े (Gills) तथा मेंढक, साँप, पक्षी एवं मनुष्य में फेफड़े श्वसन अंग होते हैं । कीट में श्वास नलियाँ (ट्रैकिया) होती हैं। निम्न श्रेणी के जीवअमीबा, हाइड्रा आदि में कोई अंग श्वसन नहीं होते, उनकी प्लाज्मा झिल्ली से ही विसरण द्वारा यह कार्य होता है। केंचुए में त्वचा द्वारा श्वसन होता है। • Tidal Volume :- यह वायु का वह आयतन है जो एक श्वास लेने पर शरीर में प्रवेश करता है। यह 500 मिली.
होता है।

श्वसन के प्रकार 


(अ)बाह्य श्वसन : 

वातावरण से ऑक्सीजन ग्रहण करने तथा CO2 बाहर निकालने की क्रिया को बाह्य श्वसन कहते है ।

(ब)आन्तरिक श्वसन : 

ऑक्सीजन के उपयोग तथा ATP व CO2 उत्पादन से सम्बन्धित प्रक्रियाएँ आंतरिक या कोशिकीय श्वसन कहलाता है।

वायवीय और अवायवीय श्वसन

(अ) वायवीय श्वसन :

 यह आण्विक ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है। यह भोजन को पूरी तरह जल और कार्बन डाइ ऑक्साइड में ऑक्सीकृत कर देता है और अधिक मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है।

C6H12O6 + 6O2 → 6CO2 + 6H2O + 2830 कैलोरी जूल

यह अधिकांश जन्तुओ और पादपों में पाया जाता है।

(ब) अवायवीय श्वसन : 

यह आण्विक ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है और किण्वन कहलाता है। इसमें भोजन का आंशिक ऑक्सीकरण होता है और ऊर्जा का केवल एक भाग (5%) ही मुक्त होता है और बची हुई ऊर्जा अन्तमध्यस्थ यौगिको में संचित होती है। यह निम्नतर प्राणियों जैसे अवायवीय बैक्टीरिया , यीस्ट कुछ परजीवी कृमियो (एस्केरिस , टीनिया) में पाया जाता है।

C6H12O6 → 2C2H5OH + 2CO2 + 118 कैलोरी/जूल

C6H12O6 → 2CH3CHOHCOOH + ऊर्जा (CO2 मुक्त नहीं होता)

कुछ वायवीय जंतुओं के कुछ शरीर उत्तक अवायवीय उपापचय दर्शाते है। उदाहरण – कंकालीय पेशी तंतुओ के तेज संकुचन के दौरान। इसमें अवायवीय स्थितियों में ग्लूकोज लैक्टिक अम्ल में उपापचित हो जाती है।
लेक्टिक अम्ल का तीव्र निर्माण और एकत्रण पेशीय थकावट के लिए जिम्मेदार है। स्तनियो की आरबीसी भी माइटोकोंड्रीया की अनुपस्थिति के कारण अवायवीय श्वसन प्रदर्शित करती है।
मनुष्य में श्वसन
• मनुष्य में स्वरयन्त्र (Pharynx) होता है। इसमें दो जोड़ी स्वर तन्तु (Vocal Chords) होते हैं। नर में इन तन्तुओं की लम्बाई 2.3 से.मी. तथा स्त्री में 1.7 से.मी. होती है।
• मानव में दो फेफड़े होते हैं। 
• मनुष्य में श्वसन दर 15 से 20 बार प्रति मिनट होती है। सोते समय यह दर 10 बार प्रतिमिनट होती है तथा जन्म के समय शिशु की दर 35 प्रति मिनट होती है। 

श्वसन में वायु में विभिन्न गैसों की मात्रा


श्वास लेते समय ऑक्सीजन 21% छोड़ते समय आक्सीजन  16%
श्वास लेते समय कार्बन-डाई ऑक्साइड .03% छोड़ते समय
कार्बन-डाई ऑक्साइड 4% 
श्वास लेते समय नाइट्रोजन 79% और छोड़ते समय भी नाइट्रोजन 79% 
मनुष्य में फेफड़ों द्वारा श्वसन होता है ऐसे श्वसन को फुफ्फुसीय श्वसन (Pulmonary Respiration) कहते हैं। जिस मार्ग से बाहर की वायु फेफड़ों में प्रवेश करती है तथा फेफड़ों से कार्बन-डाई-आक्साइड बाहर निकलती है उसे श्वसन मार्ग कहते हैं। मनुष्यों में बाहरी वायु तथा फेफड़ों के बीच वायु के आवागमन हेतु कई अंग होते हैं। ये अंग श्वसन अंग कहलाते हैं। ये अंग परस्पर मिलकर श्वसन तंत्र का निर्माण करते हैं। 
respiratory system
मानव श्वसन तंत्र


श्वसन तंत्र के अंग


1.नासिका एवं नासिका गुहा 
2.ग्रसनी
3.स्वर यन्त्र 
4.श्वास नली 
5.श्वसनी एवं श्वसनिकाएं
6.वायुकोष 
7. फेफड़े 
8.डायाफ्राम


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