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Saturday, January 25, 2020

कोशिका की संरचना

Cell structure and tissue koshika
कोशिका संरचना एवं उतक



कोशिका (Cell)


कोशिका जीवों को बनाने वाली एक मूल संरचना है। 1893 में श्लाइडन व श्वान नामक दो जर्मन जीव विज्ञानियों
ने कोशिका सिद्धान्त (Cell theory) प्रस्तुत किया।
कोशिका सभी सजीवों की सबसे छोटी आनुवांशिक, संरचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई है जो जीवन के सभी मूलभूत कार्यो वृद्धि, उपापचय एवं प्रजनन करने में सक्षम है। इसकी खोज 1665 ई. में एक अंग्रेज वैज्ञानिक रॉबर्ट हुक ने की थी। कोशिका को माइक्रोन (1 माइक्रोन=1/1000 मिमी.) में नापा जाता है।

कोशिकांग एवं उनकी  खोज 

 1 अतः प्रद्रव्यी की खोज गारनियर ने की थी इसका कार्य  कोशिका द्रव्य को पदार्थो का अभिगमन करना।
 2. माइटोकॉन्ड्रिया की खोज कॉलिकर ने की थी,इसका कार्य ऊर्जा प्रदान करना, कोशिका का शक्तिग्रह भी कहते हैं।
 3. राइबोसोम की खोज रोबिन्सन एवं ब्राउन ने की थी इसका मुख्य कार्य प्रोटीन का  संश्लेषण करना।इसे कोशिका का इंजन एवं प्रोटीन की फैक्ट्री कहा जाता है ।
4 लाइसोसोम -इसकी खोज डी डुवे  ने की थी इसे कोशिका की आत्मघाती थैली कहा जाता है।
5.लवक - लवक की खोज सिम्पर ने की थी इसका कार्य भोजन निर्माण एवं वर्ण निर्धारण करना
6 केन्द्रक - केन्द्र की खोज राबर्ट ने की थी इसका मुख्य कार्य कोशिका की क्रियाओं का नियमन करना  है। 
7 गाल्जीकाय - इसकी खोज  केमिलो गाल्जी ने की थी। इसका कार्य स्रवण क्रिया है।

सबसे छोटी कोशिका- माइकोप्लाज्मा
 सबसे बड़ी कोशिका- शुतुरमुर्गका अण्डा
सबसे लम्बी कोशिका- तन्त्रिका कोशिका
 • मानव शरीर की सबसे छोटी कोशिका प्रमस्तिष्क में पाई जाने वाली कोशिकाएँ हैं। स्त्री के अण्डाशय में उत्पन्न अण्डा मानव शरीर की सबसे बड़ी (Largest) कोशिका है। 
 • मस्तिष्क कोशिका का जीवन काल सबसे लम्बा होता है। ये आजीवन जीवित रहती है।
कुछ जीवों के शरीर में एक ही कोशिका होती है, उन्हें एककोशिकीय (Unicellular) जीव कहते है, जैसेयीस्ट, अमीबा, बैक्टीरिया, पैरामीशियम आदि। एक से अधिक कोशिकीय जीव बहु को शिकीय जीव(Multicellular) कहलाते हैं। 

कोशिका के अंग :

Cell structure
कोशिका की सरचसंर


1. कोशिका झिल्ली ( Plasma or Cell Membrane) :

 यह प्रत्येक कोशिका की बाह्य परत है जो लिपिड व प्रोटीन की बनी होती है। यह कोशिका की आंतरिक संरचनाओं को आवरण प्रदान करती है तथा कोशिका से पदार्थों के आवागमन को नियन्त्रित करती है।

2. कोशिका भित्ति( Cell Wall) : 

यह कोशिका झिल्ली के बाहर सेलुलोज से बनी निर्जीव व निष्क्रिय भित्ति होती है जो कोशिका को दृढ़ता प्रदान करती है। यह केवल पादप कोशिकाओं में पाई जाती है।

3. जीव द्रव्य (Proloplasm) : 

यह कोशिका में जैली सदृश्य गाढ़ा सजीव पदार्थ है, जो जीवन का भौतिक आधार है। इसके निर्माण में फॉस्फोरस प्रयुक्त होता है। इसमें 65% से 95% तक जल होता है। इसके दो भाग होते हैं
(A) कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) (B) केन्द्रक  (Nucleus)

(A) कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) :

 कोशिका द्रव्य में निम्न संरचनाएँ पाई जाती हैं

(i) रिक्तिका (Vacuole ) : 

इसमें पाई जाने वाली बुलबुले समान संरचना को रिक्तिका कहते हैं। इसमें भरे द्रव्य को कोशिका रस (Cell Sap) कहते हैं। रिक्तिका एक झिल्ली 'टोनोप्लास्ट' द्वारा परिबद्ध रहती है। रिक्तिकाएँ कोशिकाओं में दाब संतुलन बनाए रखती हैं।

(ii) गॉल्जीकाय ( Golgi body ) : 

यह अवशिष्ट पदार्थो के स्रवण (Secretion) में सहायक है

(iii) तारककाय ( Centrosome): 

यह कोशिका विभाजन में तर्कु (spindle) का निर्माण करती है।

(iv ) माइटोकॉणड्रिया ( Mitochondria) : 

सूक्ष्म कणिकाओं या धागे के समान दोहरी झिल्ली से परिबद्ध
संरचनाएँ, जिनके आंतरिक भाग पर अंगुली जैसे कई उभार होते हैं। माइटोकॉण्ड्रिया कोशिका का श्वसन केन्द्र व पावर हाउस कहलाता है। इसमें खाद्य अणुओं का ऑक्सीकरण होता है।

(v) लाइसोसोम या पाचन थैलियाँ ( digestive bags)


यह पाचक एन्जाइमों से युक्त सूक्ष्म गोलाकार थैली समान संरचनाएँ हैं जो कोशिका की पाचन प्रक्रिया को नियंत्रित करती हैं। इनका कार्य क्षतिग्रस्त मृत प्रायः कोशिकाओं को पचित कर समाप्त कर देना है। इनके फटने पर इनमें उपस्थित एन्जाइम समस्त कोशिका का ही पाचन कर जाते हैं। अतः इन्हें आत्मघाती थैलियाँ (Sucidal bags) भी कहते हैं। ये रोगाणुओं को समाप्त कर देने में सहायक हैं।

(vi) राइबोसोम ( Ribosome) : 

यह राइबोन्यूक्लीक प्रोटीन की दानेदार रचना है जो कोशिका में प्रोटीन संश्लेषण का कार्य करते हैं।

(vii) लवक ( Plastids):

 केवल पादप कोशिका में पाई जाने वाली सूक्ष्म तश्तरी समान संरचनाएँ हैं जिनसे पेड़ पौधों का रंग निर्धारण होता है। ये दो प्रकार के होते हैं। (1) वर्णीलवक(Chromoplasts) :- ये आकर्षक रंग प्रदान करते हैं। तथा (2) अवर्णी लवक (Leucoplasts) जो स्टार्च आदि का संचय करते है।
(viii) अंतः प्रदव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum-ER) : इनसे कोशिका के विभिन्न भागों तक पदार्थो का परिवहन होता है।

(B) केन्द्रक ( Nucleus) 

यह केन्द्रक झिल्ली से परिबद्ध गोलाकार या अंडाकार संरचना होती है। केन्द्रक में एक द्रव्य भी होता है जिसे केन्द्रक द्रव्य (Nucleoplasm) कहते हैं। केन्द्रक कोशिका की समस्त प्रक्रियाओं का संचालन व नियंत्रण करता है। लाल रुधिर कणिकाओं तथा पादपों में चालनीनलिका में केन्द्रकनहीं होता है। इसके दो मुख्य घटक हैं

(i) क्रोमोटिन जालिका (Chromotin Material) : 

ये केन्द्रक द्रव्य में अत्यधिक महीन धागे सदृश्य संरचनाएँ हैं जो केन्द्रक विभाजन से पूर्व गुण सूत्रों में रूपान्तरित हो जाती हैं। इसमें मुख्यत: DNA(deoxyribonuclic acid) पाया जाता है जो आनुवांशिक गुणों को स्थानांतरित करते हैं। गुणसूत्र न्यूक्लिक अम्ल व प्रोटीन के बने होते हैं व जोड़ों में पाए जाते हैं। इनमें एक गुणसूत्र मातृ व एक पैतृक होता है। मानव में 46 गुणसूत्र या 23  युग्म है। 

(ii) केन्द्रिका ( Nucleolus ) :

सूक्ष्म गोलाकार संरचनाएँ है जिसमें RNA (Ribonucleic acid) पाया जाता है । RNA कोशिका द्रव्य में प्रोटीन संश्लेषण में मदद करता है।


कशाभिकाएँ (Cilia) : 

ये कोशिका से बाहर की ओर निकली बालों के समान महीन रचनाएँ होती हैं । एककोशिकीय जीव इनकी गति के द्वारा जल में तैरते हैं।


कोशिका के प्रकार :-- 

संरचना की जटिलता के आधार पर कोशिका के दो प्रकार होते हैं

(i)पूर्व केन्द्रिक कोशिका (Prokaryotic ) 

(ii) सकेन्द्रकीय कोशिका (Eukaryotic) 

पूर्व केन्द्रकीय कोशिका   सामान्यतः छोटी। 
,केन्द्रक झिल्ली नहीं होती,इसमें एक ही क्रोमोसोम होता है।
,केन्द्रिक नहीं होता है।
,झिल्ली युक्त कोशिकांग नहीं।,कोशिका विभाजन संलयन(Fission) या मुकुलन budding द्वारा होता है। समसूत्री विभाजन नहीं होता।
उदाहरण -नील-हरित शैवाल
जबकि सुकेन्द्रकीय कोशिका 
सामान्यतः बड़ी।केन्द्रक झिल्ली होती है।
 इसमें एक से क्रोमोसोम होते हैं। केन्द्रिक होता है। 
 झिल्ली युक्त कोशिकांग पाए जाते हैं। कोशिका का समसूत्री विभाजन होता है।उदाहरण-अमीबा,

पादप व जन्तु कोशिका में अंतर 

Difference between plant and animal cells
Difference between plant and animal cells




 कोशिका विभाजन


कोशिका में विभाजन क्षमता होती है जिसके फलस्वरूप यह विभाजित होकर अनेक कोशिकाएँ उत्पन्न करती है। यह विभाजन निम्न प्रकार से हो सकता है:

(1) समसूत्री विभाजन ( Mitosis) : 

इस विभाजन में एक कोशिका विभाजित होकर पूर्णत: अपने जैसी दो कोशिकाएँ बनाती है। प्रत्येक  कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या समान होती है। यह विभाजन शरीर के वृद्धि अंगों की कायिक  कोशिकाओं (Somatic Cells) में पाया जाता है।

(2) अर्धसूत्री विभाजन ( Meiosis) : 

यह केवल  जनन कोशिकाओं में पाया जाता है। इस विभाजन में कोशिका  का विभाजन होकर चार  कोशिकाएँ बनती हैं। इसमें केन्द्रक  का विभाजन दो बार होता है। इसमें नवीन कोशिकाओं  में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है।

ऊतक ( Tissues): 

एक-सी कई कोशिकाएँ मिलकर  एक क्रियात्मक समूह का निर्माण करती हैं जिसे ऊतक कहते हैं।

(1) जाइलम ( Xylem ): 

ये संवहनी ऊतक (Vascular Tissues) होते हैं जो पादपों में जड़ से जल व खनिज लवणों को शेष भागों तक पहुँचाते हैं।

(2) फ्लोएम ( Phloem) : 

ये चालानी ऊतक (Conducting Tissues) होते हैं जो पादपों में पदार्थों को पत्तियों से पौधों के अन्य हिस्सों तक पहुँचाते हैं।

(3) उपकला ऊतक ( Epithelial Tissues) : 

ये आवरण ऊतक होते हैं जो शरीर या उसके किसी अंग को बाहरी आवरण प्रदान करते हैं। उदाहरण- त्वचा, मुँह की सतही परत (Surface Layers of mouth), आहार नाल व फेंफड़े।

(4) पेशी ऊतक ( Muscular Tissues ) : 

ये ऊतक मांसपेशियों का निर्माण करते हैं जो शरीर को गति प्रदान. करती हैं। उदाहरण - हृदय।

(5) योजी ऊतक ( Connective Tissues) : 

ये विभिन्न ऊतकों को जोड़ने वाले ऊतक होते हैं जो अंगों को आलंबन (support) प्रदान करते हैं एवं उनके मध्य रिक्त स्थान भरते हैं। उदाहरण उपास्थि (Cartilage), नसें (tendon), स्नायुबंध (ligament), रक्त।

(6) तंत्रिका ऊतक ( Nervous Tissues) : 

ये ऊतक मस्तिष्क, मेरूरज्जू व तंत्रिकाओं का निर्माण करते हैं। इनकी तंत्रिकाओं को न्यूरोन कहते हैं। ये संवेदनाओं का संवहन करते हैं। 

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