पात्र अभिनय विधि |
भूमिका/पार्ट
: अदा करना/निभाना
अर्थात् किसी भूमिका को निभाना या कोई पार्ट अदा करना ही पात्र अभिनय है। इसे ही भूमिका निर्वाह के नाम से जाना जाता है।
पात्र अभिनय सामाजिक कौशल और ज्ञानात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए शिक्षण में प्रयुक्त किया जाता है यह अभिन्य पर आधारित शिक्षण व्यूहरचना है और इसमें अनुकरणीय शिक्षण पर बल दिया जाता है।
यह शिक्षण व्यूहरचना शिक्षार्थियों में शिक्षण के प्रति रूचि उत्पन्न करने एवं अभिवत्तियों में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सक्षम है।
पात्र अभिनय का प्रस्तुतीकरण:
पात्र अभिनय के प्रस्तुतीकरण में कक्षा को छोटे-छोटे समूहों में बाँटकर उन्हें दूसरों के अनुभवों का अनुकरण करने के लिए कहा जाता है। इसमें विद्यार्थियों को अभिनय का कोई अभ्यास नही करवाया जाता है। इसमें आवश्यकता अनुसार शिक्षक भी अभिनय करता है।
चरण
: पात्र अभिनय का आयोजन निम्न चरणों में किया जाता है - 1. पाठ या प्रकरण का चरण 2. सम्पूर्ण कार्यक्रम की रूपरेखा बनाना 3. अभिनय हेतु भूमिकाओं का निर्धारण 4. निरीक्षण विधि का निर्धारण 5. वास्तविक पात्र अभिनय करना 6. अभिनय की समीक्षा 7. सुधार हेतु सुझाव प्रेषित करना
गुण:
1. यह शिक्षण व्यूहरचना शिक्षार्थियों में शारीरिक अभिव्यक्ति और सवेंगात्मक नियन्त्रण का प्रशिक्षण प्रदान करता है। यह शिक्षण व्यूहरचना प्रत्येक स्तर पर काम में लाया जा सकता है। 3. यह शिक्षण व्यूहरचना क्रियाशीलता के सिद्धान्त का पालन करता है। यह शिक्षण व्यूहरचना मनोरजंन पूर्ण तरीके से अधिक प्रदान करता है। 5. यह शिक्षण व्यूहरचना सामाजिक कौशल एवं ज्ञानात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक है।
दोषः
यह शिक्षण व्यूहरचना कक्षा के शर्मीले छात्रो के लिए उपयोगी नहीं है।
2. यह शिक्षण व्यूहरचना शिक्षण कौशलों के विकास में
कोई योगदान नही देती। 3. यह एक कृत्रिम वातावरण निर्मित करता है जिसे वास्तविक रूप प्रदान करना असम्भव है। 4. यह शिक्षण व्यूहरचना काम में लाने के लिए शिक्षक का एक स्वयं एक अच्छा कलाकार होना आवश्यक है।
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