गांधी शास्त्री जयंती अहिंसा दिवस Gandhi-Shastri Jayanti
अहिंसा के प्रणेता, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी तथा सादगी एवं शुचिता के पर्याय, भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती 2 अक्टूबर को मनाईं जाती है। भारत में यह दिन अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
गांधी शास्त्री जयंती विशेष: अहिंसा के प्रणेता, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती के साथ साथ इस दिन सादगी एवं शुचिता के पर्याय, भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती भी मनाई जाती है। इसलिए 2 अक्टूबर का दिन भारत के लिए गौरव और ऐतिहासिक महत्व का दिन है इस दिन भारत के दो रत्नों का जन्म हुआ था जिनका नाम केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में बड़े सम्मान और आदर से लिया जाता है। बापू महात्मा गांधी हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चले और एक लाठी के दम पर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। गांधी जी ने देश को आजाद कराने के लिए दिन-रात एक कर दिया था। गांधी जी को चरखा चलाने में विशेष रुचि थी गांधी जी स्वावलंबी तथा स्वदेशी वस्तुओं में अडिग विश्वास था इसलिए वे सूत कातकर स्वयं खादी का कपड़ा बुनकर पहनते थे।
मोहनदास करमचंद गांधी
भारत के राष्ट्रपिता तथा अहिंसा और सत्य के पूजारी महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात प्रांत के पोरबन्दर में हुआ था। इनके पिता करमचंद गाँधी ने 4 शादियाँ की थीं और 3 पत्नियों की मृत्यु के पश्चात् चौथी पत्नी पुतली बाई से उन्हें 3 पुत्र और 1 पुत्री हुए । करमचंद गाँधी की पहली पत्नी के भी 2 पुत्रियाँ थी। उनके 3 पुत्रों में सबसे बड़े लक्ष्मीदास 'काला', दूसरे कृष्णदास 'कृष्णिया' और तीसरे मोहनदास 'मोहनिया' थे ।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को हुई थी। यह इतिहास में सबसे दुखदाई दिन था क्योंकि इस दिन की शाम को 5 बजे बापू प्रार्थना सभा के लिए निकले थे। तभी उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। नाथुराम गोडसे नामक एक व्यक्ति ने गांधी जी को गोलियों से भून दिया था। इसलिए 30 जनवरी का दिन भारत में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म दो अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था।
उनके पिता का नाम शारदा प्रसाद और माता का नाम रामदुलारी देवी था।1928 में उनका विवाह मिर्जापुर निवासी गणेशप्रसाद की बेटी ललिता से हुआ। ललिता शास्त्री से उन्हें 6 संतानें, दो बेटियां और चार बेटे हुए।
उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद वह 9 जून, 1964 से 11 जनवरी, 1966 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। शास्त्री ने ही 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया था।
राजनीति में उनके द्वारा लिए गए साहसिक निर्णय आज भी लोगों के लिए मिसाल है। चाहे रेल दुर्घटना के बाद रेल मंत्री पद से इस्तीफा हो या 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध में उनका नेतृत्व या फिर उनका दिया जय जवान जय किसान का नारा। ताशकंद में 10 जनवरी 1966 को भारत और पाकिस्तान के बीच समझौते पर दस्तखत किए और उसके अगले ही दिन यानी 11 जनवरी 1966 को उनका निधन हो गया।
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