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सुइयां पोषण मेले की छाप |
सुइयां पोषण मेला चोहटन अद्वितीय एवं दुर्लभ मारवाड़ का अर्धकुंभ
सुइयां पोषण मेला राजस्थान के बाड़मेर जिले के चौहटन में लगने वाला एक प्रसिद्ध मेला है। इसे 'मारवाड़ का अर्धकुंभ' और 'मरु कुंभ' भी कहा जाता है। इस मेले की खास बात ये है कि ये हर साल नहीं, बल्कि कुछ खास खगोलीय संयोगों के मिलने पर ही लगता है।
क्यों खास है ये मेला?
विशेष योग: में ही भरता है सुइयां पोषण मेला
इस मेले का आयोजन पौष माह, अमावस्या, सोमवार, व्यातिपात योग और मूल नक्षत्र जैसे पांच खास योगों के एक साथ होने पर होता है।
धार्मिक महत्व: धर्मशास्त्रों के अनुसार, इन योगों का एक साथ होना बहुत शुभ माना जाता है। इसलिए, लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से इस मेले में आते हैं।
सांस्कृतिक उत्सव: मेले में धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम, व्यापार और मनोरंजन के भी कई अवसर होते हैं।
मेले में क्या होता है?
धार्मिक अनुष्ठान: सुइया महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना और विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।
मेला: मेले में विभिन्न प्रकार के स्टॉल लगते हैं, जहां स्थानीय उत्पाद, हस्तशिल्प और खाद्य पदार्थ उपलब्ध होते हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम: लोक नृत्य, संगीत और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
क्यों जाना चाहिए?
धार्मिक अनुभव: अगर आप धार्मिक यात्रा पर जाना चाहते हैं, तो सुइयां पोषण मेला एक बेहतरीन विकल्प है।
सांस्कृतिक अनुभव: राजस्थानी संस्कृति और परंपराओं को करीब से देखने का मौका मिलेगा।
एक अनोखा अनुभव: ये मेला हर साल नहीं लगता, इसलिए ये एक अनोखा अनुभव होगा।
सुइयां पोषण मेले की छाप: एक विशेष पहचान
सुइयां पोषण मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन ही नहीं है, बल्कि यह मारवाड़ी संस्कृति और आस्था का एक जीवंत प्रतीक भी है। इस मेले की एक खास पहचान है - छाप।
सुइयां पोषण मेले की छाप क्या है?
सुइयां मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को एक विशेष प्रकार की छाप लगवाई जाती है। यह छाप सिर्फ एक निशान नहीं होती, बल्कि यह मेले में आने और धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होने का प्रमाण होती है। मान्यता है कि इस छाप के साथ श्रद्धालुओं को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।सुईयां मेले में आने वाले श्रद्धालु अपनी बाजू पर मठ और मेले की छाप लगवाते है। मान्यता है कि देशभर के सभी तीर्थ और मेलों में लगाई जाने वाली छाप चौहटन मठ की छाप से नीचे ही लगती है। अगर किसी ने पहले ही किसी स्थान पर छाप लगा रखी है तो यहां उसके ऊपरी हिस्से में छाप लगती है।
छाप का महत्व
धार्मिक महत्व: धर्मशास्त्रों के अनुसार, इस छाप में विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ये मंत्र श्रद्धालुओं की रक्षा करते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।
सामाजिक पहचान: मेले में छाप लगवाना एक तरह से सामाजिक पहचान भी है। यह दर्शाता है कि व्यक्ति सुइयां मेले में आया है और उसने धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लिया है।
यादगार: मेले की छाप श्रद्धालुओं के लिए एक यादगार होती है। यह उन्हें जीवन भर मेले के पवित्र अनुभव की याद दिलाती रहती है।
छाप कहाँ लगवाई जाती है?
मेले में कई जगहों पर छाप लगवाने की सुविधा होती है। आमतौर पर मठ के आसपास, धर्मराज मंदिर के पास और भजन-सत्संग के मंच के पास छाप लगवाने के लिए स्थान निर्धारित किए जाते हैं।
छाप की विशेषताएं
विभिन्न डिजाइन: छापों के विभिन्न डिजाइन होते हैं, जिनमें मंदिर, देवी-देवता और अन्य धार्मिक प्रतीक शामिल होते हैं।
तीर्थों का क्रम: मान्यता है कि देशभर के सभी तीर्थों और मेलों में लगाई जाने वाली छाप चौहटन मठ की छाप से नीचे ही लगती है। अगर किसी ने पहले ही किसी स्थान पर छाप लगवा रखी है तो यहां उसके ऊपरी हिस्से में छाप लगती है।
सुइयां पोषण मेले की छाप सिर्फ एक निशान नहीं है, बल्कि यह आस्था, संस्कृति और परंपरा का एक अद्भुत संगम है। यह मेले की विशिष्ट पहचान है और श्रद्धालुओं के लिए एक यादगार बन जाती है।
सुइयां पोषण मेले की छाप लगाना कितना आसान है
सुइयां पोषण मेले में छाप लगाना मेले की यादगार और आस्था की निशानी है यह एक मोहर की तरह धातु की बनी छाप है जो मेले की पहचान और शामिल होने का प्रमाण है। इसे गर्म करके हाथ की बाज़ू पर लगाया जता है जो जीवन भर रहती है। यह छाप लगाने में ज्यादा परेशानी नहीं है हल्का जलने का दर्द होता है उसके बाद जैसे जैसे ठीक होने के बाद छाप की आकृति उभर आती है जो वास्तव में यादगार अनुभव होता है।
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