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Wednesday, December 23, 2020

Farmer Day 28 December किसान दिवस एवं किसानों की दशा और दिशा

National Farmers Day 23 December
Kisan diwas राष्ट्रीय किसान दिवस चौधरी चरण सिंह जयंती 23 दिसंबर


राष्ट्रीय किसान  / कृषक दिवस 

National Farmers Day (kisan diwas 2020) किसान आन्दोलन एवं किसान बिल

23 दिसंबर का दिन भारतीय किसानों को समर्पित है किसानों की समृद्धि एवं उनके मनोबल बढ़ाने के लिए यह दिन किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है । आज हम जानने की कोशिश करते हैं कि भारत में किसान दिवस कब से मनाना शुरू किया? तथा किसानों के लिए यह दिन कितना खास है? तथा चौधरी चरणसिंह का किसान दिवस से क्या ताल्लुक है? 23 दिसंबर 2020 को किसानों के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह जी की 118वीं जयंती है।


किसान दिवस की पृष्ठभूमि


भारत में किसान दिवस kisan diwas कोई ज्यादा पुराना नहीं है । यह 2001 से शुरू किया गया लेकिन इसके पीछे एक महान किसान नेता का प्रभाव है । वो महान किसान नेता थे चौधरी चरण सिंह । हालांकि राष्ट्रीय किसान दिवस भारत में 23 दिसंबर को और 12 अक्टूबर को संयुक्त राज्य अमेरिका में मनाया जाता है।
भारत India के पांचवें प्रधानमंत्री prime minister   चौधरी चरण सिंह choudhary charan Singh की जयंती के अवसर पर हर साल 23 दिसबंर को राष्ट्रीय किसान दिवस (National Farmers Day) मनाया जाता है, चौधरी साहब ने अपने कार्यकाल में कृषि क्षेत्र के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और किसानों के हित के लिए कई किसान-हितैषी नीतियों का मसौदा तैयार किया। भले ही चौधरी चरण सिंह बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री रहे थे, लेकिन उन्होंने भारतीय किसानों के कल्याण के लिए बहुत संघर्ष किया । इतना ही नहीं, उन्होंने किसानों के लिए कई योजनाएं भी शुरू कीं और 2001 में तात्कालिक  सरकार ने चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन को किसान दिवस (Kisan Diwas) या राष्ट्रीय किसान दिवस National farmers day के  रूप में मनाने का फैसला किया था।

चौधरी चरण सिंह का जीवन परिचय


चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को पश्चिमी उत्तरप्रदेश के हापुड़ नामक जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम चौधरी मीर सिंह था। चौधरी साहब जब बाल्यावस्था में थे जब उनका परिवार जानी इलाके में जाकर बस गया था। उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से पढाई की और फिर गाजियाबाद में  वकालत भी की। वे गांधी जी से काफी प्रभावित हुए तथा वे गांधीवादी विचारधारा के समर्थक भी थे। किसानों के प्रति चौधरी साहब का प्रेम इसलिए भी था क्योंकि चौधरी चरण सिंह खुद एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे और वह उनकी समस्याओं को अच्छी तरह से समझते थे। राजनेता होने के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री एक अच्छे लेखक भी थे। उनकी अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ थी। लेखक के तौर पर उन्होंने एबॉलिशन ऑफ जमींदारी, इंडियाज पॉवर्टी एंड इट्ज सॉल्यूशंस और लीजेंड प्रोपराइटरशिप जैसी किताबें लिखी थी।


वर्ष 2020 का किसान दिवस और किसानों की दशा


किसान को देश का अन्नदाता कहा जाता है किसान ही पूरे देश के लिए अन्न उत्पादन करता है इसलिए जिस देश में किसान मजबूत है वहीं देश समृद्धशाली है। कृषि प्रधान देशों में तो किसान अर्थव्यवस्था की धूरी होते हैं। इसलिए कृषि प्रधान देश में किसानों की स्थिति बहुत अच्छी होनी चाहिए। लेकिन सन 2020 का किसान दिवस किसानों के लिए ऐतिहासिक भी है तो बहुत दुखद भी है । क्योंकि इस बार किसान दिवस पर किसान हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में दिल्ली की सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं। दुःख की बात यह है कि इस संघर्ष भरे आन्दोलन में कुछ भारतीय अन्नदाता प्राण भी त्याग चुके हैं। पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से मोदी सरकार झुकने को तैयार नहीं है तथा किसानों कृषि बिलों को पूर्णतः वापिस लेने पर आन्दोलन कर रहे हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश इतने बड़े पैमाने पर किसानों के विरोध के बावजूद भी सरकार ज़बरदस्ती किसानों को फ़ायदे की बात कह कर यह कानून थोंप रही है । इसलिए वर्ष 2020 का किसान दिवस किसानों के लिए काला दिवस साबित हो रहा है। लेकिन गर्व की बात यह कि इस बार किसान दिवस के अवसर पर बड़ी संख्या में किसान संगठित और व्यवस्थित नजर आये। इससे लगता है कि भारत का किसान जागरूक हो गया है लेकिन वर्तमान सरकार कि नितियां उनके हित में नहीं है। किसानों विरोध आन्दोलन इन तीनों बिलों को वापिस लेने के लिए है। लेकिन सरकार अपनी अकड़ पर बार बार संशोधित की बात कर रही है जो किसानों को नामंजूर है।

यह तीन कृषि बिल क्या है? किसानों में असंतोष क्यो व्यापत है ? इन प्रश्नों के उत्तर के लिए पढ़िए संबंधित लेख जिसका लिंक टेक्स्ट दिया जा रहा है।
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