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Atal Bihari Vajpayee |
भारत के सबसे ओजस्वी वक्ता थे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई
25 December Atal Bihri Vajpayee
Birthday jayenti sushasan diwas
25 दिसम्बर का दिन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई Atal Bihri vajpei Birthday के जन्म दिवस एवं सुशासन good governance के रूप में मनाया जा रहा है । वर्ष 2020 के 25 दिसम्बर को देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 96वीं जयंती है। वाजपेई भारत के उन प्रधानमंत्रियों की सूची में सबसे ऊपर है जिसमें देश के सभी लोगों द्वारा सबसे ज्यादा सम्मान दिया गया। अटल जी भारत के सबसे ओजस्वी वक्ता के रूप में विश्व पटल पर पहले स्थान पर रहे। अटल जी अच्छे वक्ता ही नहीं वे एक प्रसिद्ध कवि एवं साहित्यकार भी थे। इसलिए अटल जी भारत के उन महापुरुषों की श्रेणी में आते हैं जिनको पूरा देश श्रृद्धा और आदर की दृष्टि से देखते हैं। वाजपेई जी प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए भारत के लिए कई महत्वपूर्ण उपलब्धियों को हासिल किया जो देश की उन्नति और समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हुई। परमाणु परीक्षण हो या कारगिल विजय हो यह सब कीर्तिमान अटल जी के नाम से जुड़े हुए हैं। अटल जी ने राजनीतिक जीवन में दलीय विचारधारा के द्वेष की भावना को अपने नजदीक आने नहीं दिया। वे हमेशा सभी विपक्षी दलों से तालमेल बनाकर निर्णय लिया करते थे। आइए अटल की उपलब्धियों और जीवन परिचय के बारे में विस्तार से जानते हैं।
अटल बिहारी वाजपेई का जीवन परिचय
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म ग्वालियर में 25 दिसंबर 1924 में हुआ था। जो ऋषि गालव की तपोभूमि रही थी।
1942 में 18 साल की आयु में वे स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वाजपेयी 23 दिनों के लिए जेल गए।
1947 में जब देश आजाद हुआ तो वाजपेयी उस दौरान कानपुर के डीएवी कॉलेज में एमए-राजनीति विज्ञान की पढ़ाई कर रहे थे। पढ़ाई के दौरान ही युवा अटल आरएसएस के संपर्क में आए और राजनीति से जुड़ गए। 1957 में अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ के टिकट पर पहला चुनाव लड़े।
जनसंघ की स्थापना श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 21 अक्टूबर 1951 को की थी। वर्ष 1952 में अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार लखनऊ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, पर सफलता नहीं मिली। वे उत्तरप्रदेश की एक लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उतरे थे, जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। आपातकाल के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी की जीत हुई थी और वे मोरारजी भाई देसाई के नेतृत्व वाली सरकार में विदेश मामलों के मंत्री बने। विदेश मंत्री बनने के बाद वाजपेयी पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासंघ को हिन्दी भाषा में संबोधित किया। वाजपेयीजी 1996 से लेकर 2004 तक तीन बार प्रधानमंत्री बने। 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और वाजपेयी पहली बार प्रधानमंत्री बने। हालांकि उनकी सरकार 13 दिनों में संसद में पूर्ण बहुमत हासिल नहीं करने के चलते गिर गई।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की उपलब्धियां
हालांकि अटल बिहारी वाजपेई की अनेक उपलब्धियां एवं कीर्तिमान है जो उन्होंने प्रधानमंत्री काल एवं अपने राजनैतिक जीवन में हासिल की । लेकिन हमें उन दो महत्वपूर्ण उपलब्धियों को याद रखना चाहिए जो वाकई विश्व पटल पर चौंकाने वाली थी।
दूसरा परमाणु परीक्षण
साल 1998, प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण कर दुनिया को चौंका दिया था। अचानक किए गए इन परमाणु परीक्षणों से अमेरिका, पाकिस्तान अमेरिका सहित कई देश दंग रह गए थे। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की अगुआई में यह मिशन कुछ इस तरह से अंजाम दिया गया कि अमेरिका समेत पूरी दुनिया को इसकी भनक तक नहीं लगी। अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA भारत पर नजर रखे हुए थी और उसने पोकरण पर निगरानी रखने के लिए 4 सैटलाइट लगाए थे। हालांकि भारत ने CIA और उसके सैटलाइटों को चकमा देते हुए परमाणु परीक्षण कर दिया। हालांकि एक कार्यक्रम के दौरान अटल बिहारी ने इस परमाणु परीक्षण का श्रेय पूर्व पीएम नरसिम्हा राव को दिया था जो उनकी उदार हृदयता का परिचय देता है।
कारगिल युद्ध में प्राप्त विजयश्री
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान हुए करगिल युद्ध में भारत ने विजय हासिल की और दुनिया को यह संदेश दिया कि भारत कोई कमजोर राष्ट्र नहीं है। अटल सरकार ने करगिल शहीदों के लिए मुआवजे की घोषणा की। साथ ही शहीद सैनिकों के अंतिम संस्कार को सार्वजनिक तौर पर करने का फैसला लिया। इन चीजों का अंतरराष्ट्रीय दबाव बना। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ को समन किया था और उन्हें सेना हटाने का आदेश दिया था।
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