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Merry Christmas photo jagritipath |
Merry Christmas : ईसाइयों का सबसे पवित्र पर्व
क्रिसमस के बारे में कौन नहीं जानता है कि इस दिन जीसस के जन्म का जश्न मनाया जाता है। क्रिसमस डे ईसाई समुदाय का प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है।
क्रिसमस डे का इतिहास एवं महत्व
ईसाई धार्मिक मान्यता के अनुसार क्रिसमस डे के दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ था। दुनिया भर के ईसाइयों के लिए ये उत्सव का दिन होता हैं। इसाई धर्म के अलावा अ जीसस इस्लाम धर्म में भी काफी अहमियत रखते हैं। इस्लाम धर्म के पवित्र ग्रन्थ कुरान में जीसस और मैरी का कई बार जिक्र किया गया है। दुनियाभर में क्रिसमस की रौनक देखते ही बनती है। इस दिन चर्चों में क्रिसमस की विशेष प्रार्थना prayer होती है। हर साल इस मौके पर लाखों लोग वेटिकन पहुंचते हैं जहां पोप का संबोधन होता है, लेकिन ब्रिटेन में कोरोना का नया स्ट्रेन पाए जाने के बाद तथा पूरे विश्व में कोरोनावायरस के कारण वर्ष 2020 का क्रिसमस-डे थोड़ा फीका रहा।
जीसस क्रिस्ट का जन्म एवं क्रिसमस की शुरुआत
क्रिसमस Christmas day जीसस क्रिस्ट Jesus christ के जन्म की तारीख से जुड़ा हुआ है जिसे 1836 में अमेरिका में आधिकारिक रूप से मान्यता मिली और 25 दिसंबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया।
जीसस क्रिस्ट को भगवान का बेटा कहा जाता है। क्रिसमस का नाम भी क्रिस्ट से पड़ा। बाइबल में जीसस की कोई बर्थ डेट नहीं दी गई है, लेकिन फिर भी 25 दिसंबर को ही हर साल क्रिसमस डे मनाया जाता है। इस तारीख को लेकर कई बार विवाद भी हुआ। लेकिन 336 ई। पूर्व में रोमन के पहले ईसाई रोमन सम्राट के समय में सबसे पहले क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाया गया।
बच्चों के लिए खास होता है सांता क्लॉज क्रिसमस
क्रिसमस को खास बनाने वाली विशेष परम्पराएं हैं जो इस दिन को सबका मन मोह लेती है। इनमें एक संता निकोलस (Sant Nicolas) हैं, जिनका जन्म ईसा मसीह की मृत्यु के लगभग 280 साल बाद मायरा में हुआ था। उन्होंने अपना पूरा जीवन यीशू को समर्पित कर दिया। उन्हें लोगों की मदद करना बेहद पसंद था। यही वजह है कि वो यीशू के जन्मदिन के मौके पर रात के अंधेरे में बच्चों को गिफ्ट दिया करते थे। दरअसल संत निकोलस को सांता क्लॉज माना जाता है, क्योंकि वे रात के वक्त उपहार बांटते थे। उन्होंने पूरे जीवन गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद की थी। विश्वभर के अलग अलग देशों में अपने-अपने तरीके से लोग क्रिसमस का त्यौहार मनाते हैं।
क्यो खास होता है क्रिसमस ट्री
किंवदंती है उत्तरी यूरोप में कई हजार साल पहले क्रिसमस ट्री को सजाने की शुरुआत हुई थी। हालांकि उस समय फेयर नाम के एक पेड़ को सजाकर विंटर फेस्टिवल मनाया जाता था। धीरे-धीरे क्रिसमस ट्री का चलन हर जगह बढ़ता चला गया और हर कोई इस मौके पर पेड़ घर पर लाने लगा। एक मान्यता के अनुसार जीसस के जन्म के समय खुशी व्यक्त करने के लिए सभी देवताओं ने क्रिसमस ट्री को सजाया था। इसी मान्यता के अनुसार क्रिसमस के मौके पर लोग क्रिसमस ट्री को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाते हैं। भारत में केरल सहित कई राज्यों में क्रिसमस ट्री को सजाकर ईसाइयों द्वारा यह दिन बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
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