![]() |
हिट एंड रन प्रतिकात्मक फोटो |
हिट एंड रन केस में सजा और भारतीय दंड संहिता कानून
केन्द्र सरकार कृषि कानूनों के बाद एक बार फिर विवादास्पद कानून को लेकर सुर्खियों में है हाल ही में मोदी सरकार एक बार फिर कुछ ऐसे कानून लेकर आई जिससे देशभर में विरोध और समर्थन की राजनीति में हड़ताल और विरोध प्रदर्शन का वाकया देखने को मिल रहा है। बता दें कि इस बार कानून कृषि से संबंधित नहीं है बल्कि इसबार यह कानून यातायात या परिवहन तथा इससे जुड़ी दुर्घटनाओं को लेकर है जिसका नाम है हिट एंड रन यानि कि किसी वाहन से एक्सीडेंट हुए व्यक्ति को सड़क पर मरता हुआ छोड़कर वाहन लेकर या वाहन चालक का भाग जाना। लेकिन इससे संबंधित विवादास्पद कानून हैं कि इस मामले में सजा और जुर्माने के प्रावधान में बदलाव।
सरकार ने हाल ही में भारतीय न्याय संहिता को संसद से मंजूरी दे दी है। आने वाले समय में ये भारतीय दंड संहिता (IPC) के प्रावधान को रिप्लेस करेंगे। नए कानून में हिट एंड रन के केस में गलत ड्राइविंग या लापरवाही के चलते किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और ड्राइवर बिना पुलिस को सूचना दिए मौके से फरार हो जाता है, तो उसे 10 साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा 7 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लग सकता है।
कानून के अनुसार अगर ड्राइवर के तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने से मौत होती है और वह पुलिस या मजिस्ट्रेट को जानकारी दिए बिना भाग जाता है तो 10 साल तक की कैद और 7 लाख रुपये जुर्माना लगेगा ये कानून सभी प्रकार के वाहन यानी दोपहिया से कार, ट्रक, टैंकर बस जैसे सभी वाहनों चालकों पर लागू होता है। दूसरी तरफ दुपहिया वाहन से सेफ्टी को लेकर भी इस कानून में बदलाव किये है अब हेलमेट नहीं पहनने पर भी ज्यादा शिकंजा कसा है।
Bus Truck Driver Strike वाहन चालकों का विरोध और हड़ताल
मोटर चालकों से जुड़े 'हिट-एंड-रन' सड़क दुर्घटना मामलों के संबंध में नए दंड कानून में प्रावधान के खिलाफ ट्रक चालकों ने अलग-अलग राज्यों में विरोध- प्रदर्शन किया। बता दें कि
मौजूदा कानून के मुताबिक केस आईपीसी की धारा 279 में ड्राइवर की पहचान के बाद 304ए और 338 के तहत दर्ज किया जाता है। इसमें दो साल की सजा का प्रावधान है लेकिन नये नियमों में अब वाहन चालक को किसी व्यक्ति को कुचल कर या टक्कर मारकर भागने पर मंहगा पड़ सकता है लेकिन इसी बीच ड्राइवरों में असंतोष है कि इस कानून का गलत उपयोग हो सकता है। कुछ दुर्घटनाओं के मामले में ड्राइवर भीड़ से अपनी जान बचाने के लिए भागते हैं।
विरोध कर रहे ड्राइवरों का कहना है कि वह जानबूझकर किसी हादसों को न्योता नहीं देते है ज्यादातर हादसे छोटी गाड़ी वालों की गलती से ही होते हैं अनजाने में उनसे सड़क पर कोई दुर्घटना होने पर भीड़ इकट्टा हो जाती है और भीड़ बड़े वाहन चालक की गलती मानकर उन्हें मार डालती है ।
ड्राइवर्स का मानना है कि दस पंद्रह हजार की मजदूरी में इतना बड़ा जुर्माना कैसे भरेंगे तथा हमारे परिवार का क्या होगा सड़क पर दुर्घटना किसी अनचाहे कारणों से हो सकती है।
सड़क सुरक्षा के लिए बेहतर माना जा रहा है नया कानून
वही इस कानून के समर्थन की बात करें तो यह कानून किसी व्यक्ति को घायल अवस्था में अस्पताल पहुंचाने तथा जान बचाने के साथ साथ वाहन चालकों की लापरवाही को रोकने में मददगार साबित हो सकता है। अक्सर रात के समय में बड़ी बड़ी गाडियां की बार किसी व्यक्ति को कुचलकर घटना स्थल पर बेसुध छोड़ देते हैं जो कभी कभी किसी व्यक्ति का इलाज के अभाव से मौत का कारण बनता है। इसलिए सड़क सुरक्षा और लापरवाही को रोकने में यह कानून जरूर उन लापरवाह चालकों के लिए लगाम है जो शराब के नशे में किसी के जीवन के लिए काल बनते हैं। इसी बीच सुरक्षा व्यवस्था के मध्यनजर से यह कानून प्रभावी बताये जा रहें हैं वहीं दूसरे दृष्टिकोण से इस लंबी सजा और भारी भरकम जुर्माने से अक्सर वाहन चालकों के लिए मुसीबत बन सकते हैं क्योंकि हादसे सड़क और यातायात का हिस्सा है जो तकनीकी कारणों तथा खराब मौसम की वजह से भी हो सकते हैं।
No comments:
Post a Comment