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Wednesday, October 25, 2023

vitamins nutrients विटामिन के प्रकार, स्त्रोत एवं उनकी कमी से होने वाले रोग तथा पौषक तत्व

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Vitamins  minerals healthy food



vitamins nutrients विटामिन पौषक तत्व एवं भोजन


भोजन के वह सभी तत्व जो शरीर के लिये आवश्यक होते है। पौषक तत्व कहलाते है। जैसे:- कार्बोहाईड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन एवं खनिज लवण । जब शरीर में पौषक तत्व सही अनुपात में नही होते है। अर्थात पौषक तत्व की कमी या अधिकता की अवस्था कुपौषण कहलाती है।

भोजन के पोष्टिक तत्व nutritional elements of food


भोजन में मुख्य रूप से निम्न पौषक तत्व होते है

प्रोटीन


प्रोटीन अमीनो अम्ल के बने होते है। शरीर का आधा प्रोटीन मांसपेशियों में होता है। कार्य:- प्रोटीन शरीर में होने वाले आवश्यक क्रियाओं के लिये एन्जाइम एवं हार्मोन के रूप में प्रोटीन की आवश्यकता होती है।

● प्रोटीन शरीर का गठन करता है तथा बच्चों में एवं किशोरों की शारीरिक वृद्धि में विकास करता है। भोजन में प्रोटीनः– मांस, मछली, अण्डा एवं दूध में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होती है। इसके अलावा अनाज, बाजरा, दाल में भी प्रचुर मात्रा में होता है। सोयाबीन में 40 प्रतिशत से अधिक प्रोटीन होता है। प्रोटीन की कमी से बच्चों में कुपोषण हो जाता है।

कार्बोहाईड्रेट


कार्बोहाईड्रेट वे कार्बनिक पदार्थ जिसमें कार्बन, हाईड्रोजन एवं ऑक्सीजन होता है। कुछ कार्बोहाईड्रेट सजीवों में शरीर का रचनात्मक निर्माण करते है। जैसे सैलूलौज, पेक्टीन एवं कुछ कार्बोहाईड्रेट उर्जा प्रदान करते है। जैसे:शर्करा, ग्लूकोज, ग्लाईकोजन, कार्बोहाईड्रेट स्वाद में मीठे होते है। यह शरीर में शक्ति उत्पन्न करने का प्रमुख स्त्रोत है। यह वसा की अपेक्षा शरीर मे जल्दी पच जाते है। शरीर को कार्बोहाईड्रेट दो प्रकार से प्राप्त होता है:

स्टार्चः– ज्वार, मक्का, बाजारा, मोटा अनाज, चावल तथा जड़ों वाली सब्जियों में पाये जाने वाले कार्बोहाईड्रेट को मांण्ड या स्टार्च कहते है।

शर्कराः– केला, अमरूद, चूकन्दर, गन्ना, खजूर, मुनक्का अंजीर, शहद, मीठी सब्जियां तथा सभी मीठे खाद्य पदार्थ से प्राप्त कार्बोहाईड्रेट अत्यधिक शक्ति वर्धक होते है। कार्बोहाईड्रेट की

अधिकता अनेक रोगों को जन्म देती है जैसे:- अपच, मधुमह, अतिसार ।

वसा


मानव भोजन का आवश्यक भाग है। वसा 9 किलो कैलोरी प्रति ग्राम उर्जा का उत्पादन करता है । वसा युक्त पदार्थो को अत्यधिक सेवन करने से रक्त में वसा की अधिकता हो जाती है। जिससे मोटापा, उच्च रक्तचाप एवं हृदय संबंधी बिमारियां होती है।
खाना बनाने के लिये उपयोग में लिया जाने वाला तेलः- वनस्पति, मक्खन और घी को प्रत्यक्ष वसा जबकि खाद्य पदार्थो मे उपस्थित वसा को अप्रत्यक्ष कहते है। बड़े बच्चों एवं युवाओं को 25 ग्राम वसा युक्त भोजन करना चाहिये।

विटामिन vitamins


विटामिन भोजन के वे तत्व है जिनकी सभी जीवों को थोड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है। ये कार्बनिक यौगिक होते है। उस यौगिक को विटामिन कहा जाता है जो शरीर द्वारा पर्याप्त मात्रा में उत्पन्न नही किया जा सकता बल्कि खाने के रूप में लेना आवश्यक हैं। विटामिन ए, बी, सी, डी, ई बी-कॉम्पलैक्स आदि तत्वों की आवश्यकता होती है।

विटामिन के प्रकार, स्त्रोत एवं उनकी कमी से होने वाले रोग :

विटामिन (A) एः–


 विटामिन ए दो रूप में पाया जाता हैं। रैटीनाल और केरोटीन विटामिन ए आँखों के लिये बहुत जरूरी होता है। यह विटामिन शरीर में अनेक अंगो जैसेः- त्वचा, बाल, नाखून एवं ग्रंथी की सामान्य क्रियाविधी बनाये रखने में सहायक होता है। विटामिन ए की कमी से ज्यादातर आँखों की बिमारियां होती है। जैसे:रतौंधी, आँख के सफेद हिस्से में धब्बे ।

विटामिन (A) ए के स्त्रोत:- 


शरीर में विटामिन ए की कमी से बचने के लिये चूकन्दर, गाजर, पनीर, दूध हरी सब्जियां एवं पीले रंग के फल खाने चाहिये ।

विटामिन (B) बी:- 


विटामिन बी हमारी कोशिकाओं में पाये जाने वाले जीन, डीएनए को बनाने और उनकी मरम्मत में सहायता करता है। इसके कई कॉम्पलैक्स होते है:- बी-1, बी - 2, बी - 3, बी - 5, बी - 6, बी - 7 एवं बी-12 लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण भी इसी विटामिन से होता है। इसकी कमी से बैरी - बैरी, त्वचा की बिमारियां, एनीमियां, मंद बुद्धि जैसी खतरनाक बिमारियां हो सकती है।


विटामिन (B) बी के स्त्रोत:-


 विटामिन बी ज्यादातर मांसाहारी पदार्थो जैसे:- मछली मांस एवं अण्डा आदि में पाया जाता है। शाकाहारी लोग इसकी आपूर्ति दूध और इससे बनने वाले उत्पादों के द्वारा करते हैं। जमीन के अन्दर उगने वाली सब्जियां आलू, गाजर, मूली में आंशिक रूप से पाया जाता है।

विटामिन (C) सीः–


 विटामिन सी शरीर की मूलभूत रसायनिक क्रियाओं में सहायता करता है। इसमे ऐस्कॉरबिक अम्ल पाया जाता है जो कि हर तरह सिट्रस फल जैसे:- नींबू, संतरा, अमरूद, मौसमी आदि में पाया जाता है। विटामिन सी की कमी से स्कर्वी नामक रोग हो जाता है। जिसमे शरीर में थकान मांस पेशियों की कमजोरी मसुड़ों में खून आना एवं पैरो में चकते पड़ने जैसी बिमारियां होती है।

विटामिन (C) सी के स्त्रोतः– 


विटामिन सी खट्टे रसदार फल जैसे:- आंवला, मौसमी, नींबू, पुदीना, अंगुर, दूध, चूकन्दर और पालक विटामिन सी के अच्छे स्त्रोत होते है।

विटामिन (D) डीः–


 विटामिन डी का सबसे अच्छा स्त्रोत सूर्य की किरणे है। जब हमारे शरीर की खुली त्वचा सूर्य की किरणों के सम्पर्क में आती है तो यह किरणें त्वचा में अवशोषित होकर विटामिन डी का निर्माण करती है। अगर सप्ताह में दो बार 10-15 मिनट तक शरीर की त्वचा पर सूर्य की अल्ट्रा वॉयलट किरणे पडती है तो शरीर में विटामिन डी की पूर्ति हो जाती है। विटामिन डी की कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती है, हाथ एवं पैर की हड्डियां टेढ़ी हो जाती है, जिसे रिकेट्स कहते है।

विटामिन (D) डी के स्त्रोतः–


 सूर्य विटामिन डी का सबसे अच्छा स्त्रोत माना जाता है। इसके अलावा दूध, अण्डे, चिकन, सोयाबीन और मछली में भी विटामिन डी पाया जाता है ।

विटामिन (E) ईः–

 विटामिन ई शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। शरीर को एलर्जी से बचाये रखने एवं कॉलेस्ट्राल के स्तर को नियमित रखने में प्रमुख भूमिका निभाता है। विटामिन ई वसा मे घुलनशील विटामिन है। यह एन्टीऑक्सीडेन्ट के रूप में कार्य करता है। इसकी कमी से जनन शक्ति में कमी आ जाती है।


विटामिन (E) ई के स्त्रोतः—


 सूखे मेवे, बादाम, अखरोट, वनस्पति तेल एवं सरसो में पाया जाता है।

विटामिन ( K) केः–


 विटामिन के रक्त का थक्का बनाने में सहायक होता है। इसकी कमी से रक्त के जमने की क्षमता कम हो जाती है ।


विटामिन ( K) के स्त्रोत:-


 केला, पनीर एवं हरी सब्जियां आदि विटामिन-के के स्त्रोत है।


विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्व


1. कैल्शियम:- पौषण के लिये 1 ग्राम कैल्शियम की आवश्यकता प्रतिदिन होती है। यह मात्रा 250 ग्राम दूध लेने से प्राप्त होती है। बढ़ने वाले बच्चों एवं स्त्रियों के लिये 1.5 ग्राम प्रतिदिन की आवश्यकता होती है। इसके अभाव में हड्डियां सही प्रकार से विकसित नही होती है और सुखण्डी रोग हो जाता है । यह तत्व दूध, पनीर, अण्डों में पाया जाता है।

2. लौह तत्व:- यह तत्व पालक, दूध में पाया जाता है। हमारे शरीर में लाल रूधिर कणिकाओं में हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिये आवश्यक है। इसकी कमी से एनीमिया हो जाता है।

3. सोडियमः- यह तत्व साधारण नमक, दूध, मांस आदि में पाया जाता है। यह तत्व तंत्रिका तंत्र से मिले आवेग का संचरण शरीर में करता है जिससे पेशियां कार्य करती है ।

4. आयोडिन:- यह आयोडिन युक्त नमक, हरी पत्तेदार सब्जियों में पाया जाता है। यह थॉयराक्सीन हार्मोन के निर्माण के लिये आवश्यक है। इसकी कमी से गलगण्ड रोग हो जाता है।

5. अन्य तत्वः- कोबाल्ट तत्व लाल रूधिर कणिका तथा विटामिन-बी 12 के निर्माण के लिये आवश्यक है। 6. जिंक तत्व:- इनसूलिन हार्मोन के निर्माण के लिये आवश्यक है।

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