राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस
जुलाई महीने की 1 तारीख को राष्ट्रीय डाॅक्टर्स डे मनाया जाता है।देश भर के चिकित्सकों को समर्पित यह दिन बहुत खास है क्योंकि डाॅक्टर्स को ही भगवान का दर्जा दिया गया है।
पहला सुख निरोगी काया माना जाता है जब व्यक्ति बिमार पड़ता है तो उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता ऐसे में व्यक्ति की आशा की किरण चिकित्सक ही होते हैं जो एक बिमार और दुःखी व्यक्ति के दर्द को समझकर उसे स्वस्थ बनाते हैं।
जब कोई व्यक्ति अपने जीवन की उम्मीद खोने लगता है तब एक अच्छा डाॅक्टर् ही उसके लिए आखिरी उम्मीद होती है जिसमें चिकित्सक अपनी पूरी मेहनत और लगन से मरीज को बचाने की कोशिश करते हैं। कई बार लम्बे और जटिल आपरेशन में डाक्टर दिन-रात एक करके सफलता की कहानी लिखने है जिससे एक व्यक्ति पुनर्जन्म की तरह नया जीवन प्राप्त करता है।
आधुनिक युग में डाॅक्टर् ही वह व्यक्ति हैं जो एक व्यक्ति के जन्म और मृत्यु के समय हाथ थामें हुए आशा और उम्मीद जगाता है। जटिल सिजेरियन डिलीवरी हो या मस्तिष्क की जटिल सर्जरी या हार्ट की सर्जरी डाक्टर बड़ी मुस्तैदी से अपने हाथों को बिना कांपे हर बार एक मरीज़ को नया जीवन देने की भरसक कोशिश करता है। जन्म के यही मसीहा नवजात शिशु की देखभाल तथा मां को सुरक्षित रखने के लिए घंटों घंटों तक जी-जान से जुटे रहते हैं। वहीं ज़िन्दगी की जंग हार जाने वाले मरीजों के अंत समय तक हाथ थामें रखकर अंतिम सांस की गवाही के रूप में विदा करते हैं यह बात अपने में ताज्जुब वाली है क्योंकि एक व्यक्ति की जिंदगी में हजारों चाहने वाले होते हैं लेकिन अंत समय में जो चेहरा सामने होता है वो डाॅक्टर् रूपी भगवान का ही होता है।
1 जुलाई को ही क्यों मनाया जाता है? क्या है उद्देश्य
नेशनल डॉक्टर्स डे के मनाने के इतिहास और शुरुआत की बात करें तो नेशनल डॉक्टर्स डे को मनाने का प्रचलन पहली बार साल 1991 में शुरू हुआ यह दिन प्रसिद्ध चिकित्सक शिक्षाविद और बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय को और सभी डॉक्टर्स को सम्मान देने के उद्देश्य से किया गया था। इनका जन्म 1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना में हुआ था। डॉ. बीसी रॉय के सम्मान में यह दिन राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया गया।
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