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Friday, July 14, 2023

Chandrayaan-3 LVM3-M4 चंद्रयान 3 चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर दुनिया का पहला रोवर प्रज्ञान जाने मिशन की खासियत एवं उद्देश्य

Chandrayaan-3
Chandrayaan-3 मिशन चंद्रयान सतीश धवन अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र

मिशन चंद्रयान 3


पृथ्वी से 3,84,400 किलोमीटर दूर 130 करोड़ भारतीयों की आशाओं और अपेक्षाओं को चंद्रमा की सतह तक ले जाने के लिए तैयार चंद्रयान-3 अपनी सुदूर यात्रा पर आज निकल चुका है। चंद्रमा पर पृथ्वी से स्पष्ट दिखने वाला दूसरा सबसे बड़ा आब्जेक्ट है जो हमेशा मानव और अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए केंद्र बिंदु रहा है कि चांद पर जीवन और जल की संभावनाएं कितनी है तथा चंद्रमा की सतह पर उपयोगी कौन कौनसे से खनिज तत्व मौजूद हो सकते हैं। भारत तथा भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन भी अंतरिक्ष चंद्रमा तथा मंगल ग्रह जैसे मिशन पर काम करने में कहीं पीछे नहीं विभिन्न चुनौतियों के होने के बाबजूद भारत की अंतरिक्ष योजनाएं और मिशन समय समय पर दुनिया के लिए हैरतअंगेज रहे हैं। हालांकि अंतरिक्ष की ओर हर कदम में विभिन्न चुनौतियों के साथ विफलता की अपार आशंकाएं रहती है। भारत का चंद्रमा के लिए मिशन चंद्रयान-2 का अपने चांद से मात्र 2 किलो मीटर की दूरी शेष रहते हुए संपर्क टूट गया था । इस प्रकार उस मिशन में हमें असफलता हाथ लगी थी लेकिन इसरो के वैज्ञानिकों के हौसले बुलंद थे चार साल बाद फिर चांद के लिए मिशन चंद्रयान -3 तैयार कर उसे अंतिम रूप दिया गया। इस छ्लांग के लिए पूरे देश में खुशी का माहौल है
इसरो को चहुंओर से बधाइयां मिल रही है एवं वैज्ञानिकों को विशेष शुभकामनाएं मिल रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस से इसरो को बधाई दी।

चंद्रयान 3 का पूरा सफर लांचिंग से लैंडिंग तक


चंद्रयान-3 को LVM3 रॉकेट से लॉन्च किया गया। लैंडर को सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतारने के लिए इसमें कई तरह के सुरक्षा उपकरणों को लगाया गया है। चंद्रयान-3 मिशन की थीम Science Of The Moon यानी चंद्रमा का विज्ञान रखी गई है। चंद्रयान-3 के धरती से चांद तक का पूरा सफर 3.84 लाख किलोमीटर की दूरी का है। जो अपने आप में चुनौतियों भरी है। चंद्रयान 3 के साथ प्रक्षेपित उपकरणों की बात करें तो चंद्रयान-3 तीन में एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रॉपल्सन मॉड्यूल लगा हुआ है। इसका कुल भार 3,900 किलोग्राम है। इसके अलावा वो सभी उपकरण लगे हुए हैं जो एक उपग्रह लांचिंग राॅकेट में लगे होते हैं। चंद्रमा की सतह पर शाॅफ्ट लैंडिंग के समय चंद्रयान का एक रोवर निकलेगा (एक छोटा सा रोबोट) जो कि चांद की सतह पर उतरेगा और लुनर साउथ पोल में स्थापित होगा। यहीं पर रोवर इस बात की खोज करेगा कि चांद के इस हिस्से में उसे क्या-क्या ख़निज,पानी आदि मिल सकता है। जो इस मिशन के मुख्य उद्देश्य हैं।

चंद्रयान 3 की गति संरचना एवं मिशन के उद्देश्य


14 जुलाई 2023 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) शार, श्रीहरिकोटा, से दोपहर 2.35 बजे LVM3 रॉकेट के जरिए चंद्रयान-3 लॉन्च किया गया। तब इसकी शुरुआती गति 1,627 किमी प्रति घंटा थी। लॉन्च के 108 सेकंड बाद 45 किमी की ऊंचाई पर इसका लिक्विड इंजन स्टार्ट हुआ और रॉकेट की रफ्तार 6,437 किमी प्रति घंटा हो गई। आसमान में 62 किमी की ऊंचाई पर पहुंचने पर दोनों बूस्टर रॉकेट से अलग हो गए और रॉकेट की रफ्तार सात हजार किमी प्रति घंटा पहुंच गई। तकरीबन 90 किमी की ऊंचाई पर चंद्रयान-3 को वायुमंडल से बचाने वाली हीट शील्ड अलग हुई। 115 किमी की दूरी पर इसका लिक्विड इंजन भी अलग हो गया और क्रॉयोजनिक इंजन ने काम करना शुरू कर दिया। तब रफ्तार 16 हजार किमी/घंटा थी। क्रॉयोजनिक इंजन इसे लेकर 180 किमी तक की ऊंचाई में ले गया और इसकी रफ्तार 36968 किमी/घंटे तक पहुंच गई। पृथ्वी से चांद की दूरी करीब 3.84 लाख किलोमीटर है। चंद्रयान-3 इस दूरी को 40 से 50 दिनों में तय करेगा। अगर सबकुछ बेहतर रहा तो 50 दिनों में चंद्रयान-3 का लैंडर चांद की सतह लैंडिंग कर लेगा। इसरो के प्रोग्राम के मुताबिक, इसे 23-24 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी। अगर दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिग होती है, तो भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा। क्योंकि इस थ्रुव पर अभी तक किसी देश का रोवर नहीं पहुंचा है। चन्द्रमा का दक्षिणी ध्रुव, 90°S पर, चन्द्रमा का सबसे दक्षिणी बिंदु है। इसके आसपास क्षेत्रों में पानी और बर्फ की उपस्थिति की संभावना के कारण यह वैज्ञानिकों के लिए विशेष रुचि का विषय है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ऐसे क्रेटर हैं जो इस मायने में अद्वितीय हैं कि लगभग-निरंतर सूर्य की रोशनी उनके आंतरिक भाग तक नहीं पहुंच पाती है। इसलिए यह क्षेत्र मिशन के लिए चुनौतीपूर्ण है।

क्या है चंद्रयान 3 के रोवर और लैंडर


चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम 'विक्रम' और रोवर का नाम 'प्रज्ञान' ही रखा गया है। रोवर के भीतर ही लैंडर मौजूद है। 615 करोड़ रुपये की लागत वाले चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य भी चंद्रयान-2 की तरह ही है। इसके जरिए चांद की सतह के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाना है। खासतौर पर चांद के सबसे ठंडे इलाके की जानकारी जुटाना है। चंद्रयान-3 के लैंडर पर चार तरह के साइंटिफिक पेलोड जा रहे हैं। ये चांद पर आने वाले भूकंपों, सतह की थर्मल प्रॉपर्टीज, सतह के करीब प्लाज्मा में बदलाव और चांद और धरती के बीच की सटीक दूरी मापने की कोशिश करेंगे। चांद की सतह के रासायनिक और खनिज संरचना का अध्ययन भी किया जाएगा।

चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक चांद पर उतरा 


Moon landing of Chandrayaan-3, Vikram Lander lands on South Pole of the Moon: भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में इतिहास रच दिया है। चांद पर भेजा गया भारत का तीसरा मिशन कामयाब हो गया है। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर दी है। अब आगे का काम रोवर प्रज्ञान करेगा। जिसमें विभिन्न प्रकार के उपकरण है जिसमें एक है रम्भा जो चंद्रमा के वातावरण का अध्ययन करेगा। बता दें कि 40 दिन पहले यह मिशन चंद्रमा के लिए भेजा गया था। लम्बे सफ़र तथा चुनौतियों के बाद आखिरकार भारत का इंतजार खत्म हुआ। पृथ्वी से चंद्रमा तक 3.84 लाख किलोमीटर का सफर तय करने के बाद चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा की धरती पर कामयाबी के साथ उतर गया। इसी के साथ भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला रूस, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का चौथा देश बन गया है। वहीं, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। 
Chandrayaan-3 Vikram landing
Chandrayaan-3 mission Success



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