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Tuesday, July 25, 2023

Blister beetles फफोले भृंग ब्लिस्टर बीटल प्रजाति का कीट शरीर पर पैदा करता है पानी से भरे फफोले


Indian Red-necked Blister Beetle



Blister beetles फफोले भृंग मेलोईडी ब्लिस्टर बीटल कैंथरिडिन 



Indian Red-necked Blister Beetle Asclera ruficollis/Asclera ruficollis Oedemeridae

गर्मी और बरसात के दिनों में ऐसे कीटों से सब परेशान रहते हैं जो रोशनी से आकृषित होकर आते हैं तथा रात में मानव के शरीर पर बैठकर दर्दनाक फफोले पैदा करते हैं जो काफी पीड़ादायक होते हैं। बरसात के दिनों में फसलों पर आने वाले ये हानिकारक कीट छोटे बच्चों और वयस्कों के गर्दन,हाथ पैर और पेट पर बैठ जाते हैं जब करवट लेते समय जब इस कीट पर दबाव पड़ता है तब इसके शरीर से निकलने वाला लार्वा शरीर पर जलन और फफोले का कारण बनता है।

Blister beetles फफोले भृंग का वैज्ञानिक परिचय और उत्पत्ति



वैज्ञानिक रूप से मेलोईडी फैमिली के इस कीड़े की लगभग 7500 प्रजातियां पायी जाती हैं। इनकी प्रजातियों में यह विभिन्न रंग और आकार में अलग-अलग पाते जाते हैं चीन , यूरोप एशिया आदि स्थानों में यह भृंग पाये जाते हैं। इनकी कुछ प्रजातियों में विशेष प्रकार का रसायन पाया जाता है जो दर्द सूजन और फफोले का कारण बनता है। हालांकि यह कीट मानव जीवन के लिए खतरा उत्पन्न नहीं करते हैं।
सर्वप्रथम 1810 में गाइलिनहेल नामक वैज्ञानिक द्वारा इसकी खोज की गई थी। यह भृंग स्वयं को ख़तरा महसूस होने पर या किसी अजीब स्थान को महसूस करने पर यह कैंथरिडिन नामक जहरीला तरल पदार्थ छोड़ता है। जो कि मनुष्य की त्वचा के संपर्क मैं आने पर ठीक वैसे ही फफोले बना देता है जैसे कि जलने से बन जाते हैं। जब यह फफोले फूटते हैं तो अत्यधिक जलन महसूस होती है। वर्षा ऋतु में इन भृंगो की संख्या बढ़ जाती है। विभिन्न स्थानों पर स्थानीय लोग इन्हें विभिन्न नामों से जानते हैं। रोशनी से आकृषित होने वाले बीटल्स काटते नहीं है बल्कि अपने शरीर से जहरीला रसायन या एक रंगहीन, गंधहीन पानी रिलीज करते हैं। विभिन्न रंगों और अलग-अलग शारीरिक संरचना में पाये जाने वाले इन भृंगो में। कुछ लाल,हरे भूरे मटमेले रंग के पाये जाते हैं भारत में जहरीला रसायन छोड़ने वाला बीटल अक्सर भूरे रंग का तथा लाल रंग गर्दन व पंखों वाला पाया जाता है जिसकी पहचान आसानी से हो जाती


करा मूतने पर क्या करें? चोचल के काटने पर क्या करें?


पश्चिम राजस्थान के कुछ हिस्सों में स्थानीय लोग इस ब्लिस्टर बीटल को करा कहते हैं तथा जब इसके लार्वा से फफोले बनते हैं तो करे ने मूत दिया कहते हैं बाजरे की फ़सल पर जब बालियां निकलनी शुरू होती है तब यह कीट बड़ी मात्रा में आ जाते हैं फसल को नुकसान पहुंचाने के साथ साथ रात में नींद में सोते लोगों के शरीर पर लार्वा छोड़कर दर्दनाक फफोले के कारण बनते हैं।
इस बीटल्स शरीर पर देखकर मचलने की कोशिश नहीं करें अगर यह शरीर पर घूमता है तो पता चलने पर तुरन्त पानी से प्रभावित त्वचा को तुरंत धोना चाहिए। लेकिन फफोले के बन जाने के बाद इसे तुरंत खुरचने से बचें और साफ पानी या एंटीबायोटिक तरल से आराम से धोना चाहिए।

ब्लिस्टर बीटल से बचाव

•कीटों और जहरीले कीड़ों से बचने के लिए खुले आसमान में नहीं सोये।
•मच्छरदानी का प्रयोग करें।
•कमरे की खिड़कियों को बंद करके सोये या खिड़कियों में जाली लगाएं।
•प्रकाश या रोशनी में यह कीट आकृषित होकर ज्यादा संख्या में आते हैं इसलिए बल्ब को दूर लगाकर रखें।
•ब्लिस्टर बीटल कीटों को पनपने से रोके तथा बच्चों को जालीदार मच्छरदानी में सुलाएं।
•घरों में कीटनाशक का छिड़काव करें।
•शरीर पर ओढ़ कर सोएं।

ब्लिस्टर बीटल से पड़ने वाले फफोले का इलाज


हालांकि ब्लिस्टर बीटल के लार्वा से पड़ने वाले फफोले दो तीन दिन में अपने आप ठीक होकर फूट जाते हैं लेकिन इन फफोले को तुरंत नहीं फोड़े । कच्चे फफोले से निकला लार्वा आसपास की त्वचा पर नये फफोले पैदा कर देते हैं तुरंत खुरचने पर यह जलन और पीड़ा का कारण बनते हैं। तुरंत फोड़ने के बाद इसमें घाव बन जाता है। हालांकि फफोला बड़ा होने पर डाक्टर के पास जाएं चिकित्सक इस फफोले के भराव को इंजेक्शन से खाली कर देते हैं। फफोले से बने घाव पर मरहम लगा दिया जाता है तो यह जल्दी ठीक हो जाते हैं।
छाले या फफोले को साबुन और पानी से धोएं, और फिर एक सामयिक स्टेरॉयड या एंटीबायोटिक लगा सकते हैं। यह द्वितीयक संक्रमण को रोक सकता है और लालिमा, सूजन और दर्द को कम कर सकता है। 
घाव पर दिन में कई बार कोल्ड कंप्रेस लगाने से भी सूजन और दर्द कम हो सकता है। आपको डॉक्टर को देखने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन अगर कैंथरिडिन आपकी आँखों में चला जाए तो डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए। अगर गर्दन,पेट या हाथ पैर पर फफोले बनते हैं तो घबराने की जरूरत नहीं है यह दो तीन दिन या सप्ताह में ठीक हो जाते हैं तथा त्वचा पर निशान बनने की संभावना भी कम ही रहती है।


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