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Sunday, May 28, 2023

New Parliament House Sengol: प्रधानमंत्री मोदी ने सेंगोल स्थापित कर किया वैदिक विधि से नवीन संसद भवन का उद्घाटन, जानें क्या है सेंगोल

Inauguration of the new Parliament House
Inauguration of the new Parliament House by PM narendra modi 

New Parliament House Sengol: प्रधानमंत्री मोदी ने सेंगोल स्थापित कर किया नवीन संसद भवन देश को समर्पित 


28 मई 2023 का दिन भारतीय लोकतंत्र एवं संसदीय व्यवस्था के लिए ऐतिहासिक बन गया जब भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के लोकतंत्र का पवित्र प्रतीक नवीन संसद भवन का उद्घाटन किया। भारतीय संसद व्यवस्था के संचालन के लिए अब भारत को विशाल आधुनिक भव्य इमारत मिली है जिसमें भारत की संसदीय गतिविधियों का संपादन होगा। इस नवीन संसद भवन का उद्घाटन कर प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को समर्पित किया। इस उद्घाटन से पहले लोक सभा अध्यक्ष के आसन के पीछे सेंगोल की स्थापना की। बता दें सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन का निर्माण किया गया है। इस पूरे प्रोजेक्ट पर 20 हजार करोड़ रुपये खर्च होने हैं। नये संसद भवन के उद्घाटन का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा तथा विपक्षी दलों ने बहिष्कार भी किया कि संसद भवन का उद्घाटन भारतीय लोकतंत्र के संवैधानिक व्यवस्था के प्रमुख राष्ट्रपति के करकमलों से करवाया जाए लेकिन इन सब के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने ही उद्घाटन किया।
नवीन संसद भवन का उद्घाटन पूर्णतः वैदिक एवं हिन्दू कर्मकांड रीति रिवाज से किया गया। नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए हवन हुआ। मंत्रोच्चार के बीच पीएम मोदी ने पूरे विधि-विधान से पूजन कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान उनके साथ लोकसभा के सभापति ओम बिरला भी नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए हो रहे हवन-पूजा में बैठे। यह हवन-पूजा कार्यक्रम करीब एक घंटे तक चला। तमिलनाडु से आए अधीनम संत मंत्रोच्चार के साथ हवन की विधि पूरी की।

नये संसद भवन में सुविधाएं एवं परिसर 


पीएम मोदी ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी। इस बिल्डिंग को आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने डिजाइन किया था।
नए भवन में लोकसभा में 888 और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है ।नए संसद भवन को तिकोने आकार में बनाया गया है और इसमें चार मंजिल हैं। 64 हजार 500 वर्ग मीटर में बना नए संसद में 3 दरवाजे हैं, इन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार नाम दिया गया है। नए संसद भवन में कुल 120 ऑफिस हैं। इनमें कमिटी रूम, मिनिस्ट्री आफ पार्लियामेंट्री अफेयर्स के ऑफिस, लोक सभा सेक्रेट्रिएट, राज्य सभा सेक्रेट्रिएट के लिए ऑफिस, पीएम ऑफिस आदि शामिल किए गए है। ऑफिसर्स और कर्मचारियों के लिए भी हाईटेक ऑफिस की सुविधा मुहैया कराई गई है। इस प्रकार नवीन संसद भवन में वो सभी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं जो देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था की सर्वोच्च इमारत में होनी चाहिए।


प्रधानमंत्री मोदी ने ज़ारी किया 75 रूपए का सिक्का 


प्रधानमंत्री मोदी ने नवीन संसद भवन के उद्घाटन में विभिन्न ऐतिहासिक प्रतीकों का उद्घाटन भी किया जिसमें नये संसद भवन से स्मारक डाक टिकट भी जारी किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह पर 75 रुपये का नया सिक्का भी जारी करेंगे। सिक्के पर नए संसद भवन का चित्र होगा। संसद की तस्वीर के ठीक नीचे वर्ष 2023 भी लिखा होगा। 75 रुपये के सिक्के पर नए संसद भवन के चित्र के ठीक नीचे वर्ष 2023 लिखा है. इन सिक्कों पर अशोक स्तंभ भी अंकित है और हिंदी में संसद संकुल, अंग्रेजी में पार्लियामेंट कॉम्प्लेक्स लिखा हुआ है। 75 रुपये के इन सिक्कों पर हिंदी में भारत और अंग्रेजी में इंडिया भी लिखा हुआ है।


क्या है सेंगोल जो हुआ भारतीय संसद भवन में स्थापित?
What is Sengol which was installed in the Indian Parliament House?


सेंगोल तमिल भाषा के शब्द 'सेम्मई' से बना है। जिसका अर्थ है सच्चाई, धर्म और निष्ठा इस प्रकार सेंगोल आजादी का प्रतीक है। सेंगोल का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। चोल साम्राज्य के समय सेंगोल का महत्व हुआ करता था। चोल साम्राज्य के दौरान दक्षिण भारतीय में एक व्यवस्था चलती थी, जहां पर जब एक राजा दूसरे राजा को सत्ता देता था तो वह बड़े बड़े पुजारियों के आशीर्वाद के बाद सेंगोल(sengol) पधारने वाले राजा को सौंपता था। चोल काल के समय राजा जब भी समारोह में आते थे तो वहां पर Sengol का अत्यधिक महत्व होता था। संगोल (sengol) एक भाले के आकार का होता है जिसमें बेहतरीन नक्काशी की जाती है। आइए जानते हैं भारतीय संसद भवन में स्थापित संगोल का इतिहास एवं निर्माण?
सेंगोल तमिलनाडु का ऐतिहासिक राजदंड (Scepter) है। स्वाधीन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इसे स्वीकार किया था। ये सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक था। बाद में इसे इलाहाबाद (प्रयागराज)म्यूज़ियम में नेहरू द्वारा इस्तेमाल की गई अन्य वस्तुओं के साथ रख दिया गया था। सेंगोल के निमार्ण और आकार की बात करें तो यह सोने की परत चढ़ा हुआ राजदंड है। जो भालेनुमा लम्बी छड़ की तरह दिखाई देता है जिसकी लंबाई लगभग 5 फीट (1.5 मीटर) है इसका मुख्य हिस्सा चांदी से बना है। सेन्गोल को बनाने में 800 ग्राम (1.8 पौंड) सोने का इस्तेमाल किया गया था। इसे जटिल डिजाइनों से सजाया गया है और शीर्ष पर नंदी की नक्काशी की गई है। नंदी हिंदू धर्म में एक पवित्र पशु और शिव का वाहन माना जाता है। 
सेंगोल या राजदंड सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक है। राजा का धर्म है कि निष्ठा और ईमानदारी से राज-काज चलाना, सेंगोल उसे अपना धर्म और निष्ठा याद दिलाता है।

 

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