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Tuesday, October 4, 2022

Indonesia Football Fans Clash: इंडोनेशिया फुटबॉल मैच हिंसा खेल जगत के इतिहास का काला दिन जानें विवाद और हिंसा की पूरी कहानी

Indonesia Football Fans Clash
Indonesia Football Fans Clash after the match photo credit Twitter

इंडोनेशिया फुटबॉल मैच हिंसा


Indonesia Football Fans Clash: खेल की रोमांचकता में फैन्स की भावनाएं जुड़ी रहती है। हालांकि हार और जीत एक सिक्के के दो पहलू हैं लेकिन कभी कभी खेल प्रेमियों में भावात्मक शैली या इमोशनल लेवल इतना बढ़ जाता है कि वे खुद को बेकाबू कर देते हैं। इन दिनों इंडोनेशिया में फुटबॉल के क्लब मैच के दौरान हुई हिंसा सुर्खियों में है। हालांकि इंडोनेशिया के लोगों में फुटबॉल खेल से गहरा नाता और क्रेज है। यहां के लोग फुटबॉल मैच को इमोशनल लेवल से देखते हैं इसलिए इतिहास गवाह है फुटबॉल मैच के दौरान फैन का बेकाबू होकर मैदान में हिंसक हो जाना जैसी घटनाएं अक्सर देखी जाती है। इस बार भी ऐसा ही हुआ फैंस ने हार को इमोशनल रूप में लेकर मैदान में अफरातफरी मचा दी फिर पुलिस की कार्रवाई से जो भगदड़ मची वह वाकई खौफनाक और मौत का तांडव करने वाली थी। न्यूज नेटवर्क की रिपोर्ट अनुसार इस भगदड़ में मरने वालों की संख्या 174 बताई जा रही है। उनके अनुसार भगदड़ मचने एवं दम घुटने से लोगों की जानें गईं हैं। भगदड़ में मची अफरातफरी से लोगों ने जिंदगियां गंवाई है। अभी भी पुलिस का कहना है कि इस संख्या में इजाफा हो सकता है क्योंकि अब भी कई लोग हॉस्पिटल में गंभीर हालत में हैं।
आइए जानते हैं इस दिल दहलाने वाली पूरी घटना को कि किस कारण हिंसा भड़की? आखिर क्या वजह रही जिससे इतनी संख्या में लोग मारे गए।

इंडोनेशिया फुटबॉल मैच में हिंसा और विवाद के कारण


बताया जा रहा है कि इंडोनेशिया में दो क्लबों के बीच फुटबॉल का मैच हो रहा था। परिणाम के बाद यहां दो फुटबॉल टीमों के समर्थक आपस में भिड़ गए, बता दें कि यह फुटबॉल मैच दो क्लब Arema FC और Persebaya के बीच खेला जा रहा था। 
रात करीब 10 बजे के आसपास मैच खत्म हुआ। अरेमा फुटबॉल क्लब पर्सेबाया सुरबाया से 3-2 से हार गया। अरेमा फुटबॉल क्लब और पर्सेबाया सुरबाया सालों से कट्टर प्रतिद्वंदी रहे हैं। दो दशक में ये पहली बार था जब अरेमा फुटबॉल क्लब पर्सेबाया सुरबाया से हारा है। ऐसे में पर्सेबाया की जीत से अरेमा के फैंस निराश और हताश हो गये। गुस्साए दशकों और प्रशंसकों ने मैदान में प्रवेश कर लिया और खिलाड़ियों और अधिकारियों पर सामान फैंकना शुरू किया इतने तक तो ठीक था जब यह भीड़ बेकाबू हो रही थी तभी पुलिस ने इन्हें नियंत्रण करने की कोशिश में कार्यवाही शुरू की तो यहां भगदड़ मच गई। गुस्साए फैंस ने पुलिसकर्मियों पर भी हमला बोल दिया इस घटना में सैकड़ों लोग बुरी तरह से जख्मी हो गए।


कैसे मौत के तांडव में बदला विवाद?


देखते ही देखते हार की नाराज़गी से बदला विवाद मौत के तांडव में बदल गया।
जब यह फुटबॉल मैच इंडोनेशिया के एक बड़े स्टेडियम में Arema FC और Persebaya क्लब के बीच खेला जा रहा था। पूरा स्टेडियम दोनों ही टीमों के समर्थकों से खचाखच भरा था, लेकिन तभी एक टीम हार गई और इसे लेकर दोनों ही टीमों के फैंस के बीच झगड़ा शुरू हो गया। देखते ही देखते ये झगड़ा पूरे स्टेडियम में फैल गया और लोग एक दूसरे से भिड़ गए। हालात ये थे कि वहां मौजूद सुरक्षाबलों को किसी तरह अपनी जान बचानी पड़ी। दंगा बढ़ता देख इंडोनेशिया की नेशनल आर्म्ड फोर्सेस को मौके पर बुलाया गया। हालांकि तब तक काफी देर हो चुकी थी। किसी तरह सेना के जवानों ने दंगा कर रही भीड़ को स्टेडियम से बाहर निकाला। स्टेडियम से बाहर निकलने के बाद भी जमकर हिंसा हुई। बताया जा रहा है कि पुलिस ने आंसु गैस का उपयोग किया जिससे गेट से बाहर निकलते और भागते फैन्स पुलिस के आंसु गोलों से बोखला गये तथा भगदड़ में गिरकर एवं दम घुटने से मौत के मुंह में चले गए। जिसमें कुछ लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ा तो कुछ ने रास्ते और अस्पताल में इलाज के दौरान अंतिम सांस ली।

इंडोनेशिया फुटबॉल मैच हिंसा का पूरा विडियो Indonesia Football Fans Clash live video


विडियो में देखिए किस प्रकार दर्शकों ने मैदान में अफरातफरी मचा दी।





खेल मैदानों में इतिहास की चर्चित घटनाएं


खेल मैदानों में अक्सर दर्शकों की बेकाबू भीड़ ने नियमों को तोड़कर मैदान में माहौल खराब किया है। सुरक्षा खामियों और लोगों में इंसानियत और संयम के अभाव से ऐसी कई हिंसाए हुईं हैं जिसमें सैकड़ों लोगों की जानें गईं हैं। हाल ही में कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच क्रिकेट मैच के दौरान देखी गई हालांकि इसमें कोई जान माल की हानि नहीं हुई। इतिहास की बात करें तो वर्ष 1964 में पेरू-अर्जेंटीना के ओलिंपिक क्वालीफायर मैच के दौरान भगदड़ मचने से 320 लोगों की मौत हुई थी वहीं हजार से ज्यादा लोग घायल हुए थे। यह मैच लिमा के नेशनल स्टेडियम में खेला गया था।
ऐसी ही एक घटना वर्ष 1989 में ब्रिटेन के हिल्सबोरो स्टेडियम के स्टैंड्स में भी भगदड़ के चलते 97 लिवरपूल फैंस की मौत हो गई थी । साल 2012 में इजिप्ट के पोर्ट सेड स्टेडियम में ट्रेजेडी में 74 लोगों ने जान गई थी। की बार चिर प्रतिद्वंद्वी टीमों के बीच मैच हाई प्रोफाइल के होते हैं इसमें दर्शकों का जोश बेकाबू हो जाता है। जिसमें अक्सर क्रिकेट और फुटबॉल के मैचों में देखा गया है। भारत श्रीलंका के एक क्रिकेट मैच के दौरान दर्शकों द्वारा बोतलें फेंकी गई थी। वहीं इंडोनेशिया में फुटबॉल मैच में दर्शकों को ज्यादा जोश और जुनून होने के कारण यहां ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी है। इस प्रकार 90 के दशक से फुटबॉल से जुड़ी हिंसा में दर्जनों फैंस मारे गए थे। ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1994 से 2019 के बीच फुटबॉल से जुड़ी हिंसा में 74 फैंस की जान जा चुकी है।


हिंसा और खलल खेल जगत के लिए चिंता का विषय


अक़्सर कहा जाता हैं कि खेल खेल की भावना से खेला जाना चाहिए हालांकि हार जीत तो इक सिक्के के दो पहलू हैं। लेकिन यह बात दर्शक भूल जाते हैं या सुरक्षा व्यवस्था की खामियों की वजह से दर्शकों को हिंसा करने का मौका मिल जाता है जिसमें कुछ निर्दोष लोगों को जान से हाथ धोना पड़ता है। हालांकि हिंसा फैलाने वालों को नुक्सान होता है वो अलग बात है लेकिन जिस तरह महिलाओं, बच्चों और शान्ति से मैच का लुत्फ लेने वाले निर्दोष लोगों को जो खामियाजा भुगतना पड़ता है वह आयोजकों और खेल जगत के लिए चिंता का विषय है। खेल स्टेडियम में हिंसात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले लोगों पर कठिन कार्यवाही तथा चाक-चौबंद की जरूरत है। किसी खेल में किसी प्रशंसक की जान जाना अपने आप में बड़ी बात है। हालांकि डिजिटल मीडिया के समय में भारी मात्रा में दर्शकों को मैदान में प्रवेश देना भी उचित नहीं है। ऐसी घटनाओं से सबक लेते हुए भविष्य में किसी भी खेल के दौरान सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

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