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Monday, September 26, 2022

Beating the Retreat Ceremony IND-PAK अटारी बार्डर पर होने वाली बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी क्या है देखें लाइव विडियो एवं इसका इतिहास एवं उद्देश्य

Beeting retrit ceremony Atari Wagah border
flags ceremony at the Attari–Wagah border is a daily military practice that the security forces of Indian and Pakistani have jointly followed since 1959.



Beating Retreat Ceremony Live Video


भारत-पाक के बीच हमने अक्सर तनाव और दुश्मनी की ही बातें ज्यादा सुनी है लेकिन जब हम सीमा पर हमेशा होने वाले कार्यक्रम की बात करें तथा उसे आंखों से देख कर दिल से देशभक्ति के साथ साथ भाईचारे को महसूस करें तो एक अलग तरहां की भावना का संचार होता है। तनिक एक छोटे से कार्यक्रम को देख कर तथा इसे जब दिलो-दिमाग में महसूस करते हैं तो वाकई ऐसा ही लगता है जैसे कि कभी युद्ध ना हो तथा यह सरेमनी हमेशा इन्हीं रंग और साज में होती रहे।
शाम को सूर्य ढलने के समय यहां अद्भुत नजारा होता है। दिलों में जोश भरने वाले संगीत और नारों से यहां का माहौल खास हो जाता है। लोगों की आवाज और जोश देखते ही बनता है। जो कोई इस कार्यक्रम को देख कर वापिस लौटता है तो वो यह जरूर महसूस करता है कि अनुशासन और आपसी भाईचारा भी बहुत सुखदाई होता है। जी हां आज हम बात करते हैं बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी की जो पंजाब के अमृतसर से तीस किलोमीटर दूर अटारी बोर्डर की ग्रांट ट्रक रोड़ से जब हम स्वर्ण जयंती द्वार में प्रवेश करते हैं तो भारत पाक की सीमा का गेट पाकिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज स्पष्ट देखते हैं। इसी गेट पर हर शाम दोनों देशों के झंडों को उतारने तथा विशेष परेड और कलाओं के साथ होने वाले इस कार्यक्रम की बात ही निराली है। हमेशा हजारों की संख्या में देशी व विदेशी दर्शकों से खचाखच भरने वाली इस दर्शक दीर्घा में क्राउड की आवाज अपने आप में जोशीली और राष्ट्र भक्ति को सराबोर करने वाली होती है। आइए आज हम जानते हैं कि आखिर यह बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी क्या है? इसकी शुरुआत कब हुई? इस पूरे कार्यक्रम में क्या क्या होता है? तथा बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का उद्देश्य क्या है?

बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत एवं इतिहास


भारत पाकिस्तान की सीमा रेड क्लिफ के ज़ीरो पांइंट पर होने वाले इस गौरवशाली प्रोग्राम की शुरुआत और इतिहास की बात करें तो इसक इतिहास पुराना है।
अटारी बॉर्डर पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत साल 1959 में हुई थी। बीटिंग द रिट्रीट में टकराव के मौके पर भाईचारे और सहयोग का प्रदर्शन किया जाता है। इस दौरान भारत-पाकिस्तान के देशों के जवान मार्च करते हैं। इस मौके पर बीएसएफ और पाक रेंजर्स के बीच ये सेरेमनी होती है। आजकल इस कार्यक्रम में दर्शकों की मौजूदगी रोमांस रुख़ तय करती है। भारत पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध के बाद तथा बीच-बीच में तनाव के बाद इस कार्यक्रम में आक्रमकता का समावेश हुआ है तथा भड़काऊ और जोशीली परेड और कलाबाजियां की जाती है। पहले भारत और पाकिस्तान के जवान एक दूसरे को मिठाई बांटा करते थें लेकिन फिलहाल रस्म बंद हैं। यहां पाकिस्तान का ऊंचाई में लगा ध्वज अभी भी विद्यमान है लेकिन फिलहाल भारत का विशाल धवज किन्हीं कारणों की वजह हटा दिया गया है।

बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का लाइव विडियो


इस विडियो में बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का पूरा कार्यक्रम देख सकते हैं।




क्या है बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी ?


यह एक परम्परा है जो अक़्सर दो देशों की सीमाओं पर सैनिकों द्वारा अदा की जाती है। विश्व में अन्य देशों में भी यह परंपरा विद्यमान है। इसी प्रकार 
सेना की बैरक वापसी के प्रतीक में यह परंपरा होती है। बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी पूरी दुनिया में होती है। युद्ध के बाद सेना बैरक में वापस लौटती है। सेना की वापसी पर म्युजिकल समारोह होता है। इस कार्यक्रम को बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी कहते हैं। भारत में 1950 से बीटिंग द रिट्रीट की परंपरा है। इस परम्परा में जवानों द्वारा जोश के साथ परेड और प्रदर्शन किया जाता है। जिसमें संगीत और सेना उद्घोष और नारों के साथ शुरुआत की जाती है।


क्या होता है पूरे बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी के दौरान



अटारी बार्डर पर होने वाले कार्यक्रम की शुरुआत परेड और बुलंद आवाज के नारों और देशभक्ति गीतों के साथ होती है। क्राउड की आवाज से पूरा स्टेडियम गूंज उठता है। गर्व और कड़क कदमों से आगे बढ़ते जवानों के कदम और हाथ जोशीले झटकों के साथ प्रदर्शित किए जाते हैं। दर्शकों की बात करें तो दोनों राष्ट्रों की दीर्घा में प्रतिदिन हजारों दर्शक देखने आते हैं। अनुमानित समारोह को प्रतिदिन 15,000 -20,000 लोग देखते हैं स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर 30,000 से अधिक लोग यह कार्यक्रम देखने आते हैं जिसमें विदेशी दर्शक भी शामिल होते हैं।
इस कार्यक्रम में भारतीय बीएसएफ तथा पाक रेंजर्स के जवान भाग लेते हैं जिसमें कड़ी सुरक्षा और अनुशासन व्यवस्था होती है। इस दौरान भारतीय और पाकिस्तानी जवान, खाकी और काली वर्दी में, कड़क और जोशीली परेड के साथ जीरो लाइन की ओर बढ़ते हैं, अपने पैरों को थपथपाते हैं और उन्हें ऊंचा उठाते हैं, इसके अलावा आक्रामक इशारे जैसे मुट्ठी और मूंछें घुमाते हैं, झंडा लहराते, हथियार घुमाते हैं तथा दर्शकों के साथ जयकार और नारे लगाते हैं। इस कार्यक्रम की अगुवाई बीएसएफ के सहायक कमांडेंट करते हैं और इसमें एक सब-इंस्पेक्टर और दो महिला कांस्टेबल सहित 13 अन्य कर्मी शामिल होते हैं। यह दोनों देशों के झंडे उतारने से 25 मिनट पहले शुरू होता है और झंड़ा उतारने के बाद जीरो लाइन पर गेट बंद कर दिए जाते हैं। इस कार्यक्रम में दर्शकों के लिए बैठने तथा सेना के प्रतिको , बच्चों के कपड़ों और खिलौनों की खरीदारी की सुविधा भी है। यहां एंट्री के समय सघन जांच भी की जाती है तथा दर्शक अपने गालों पर राष्ट्रीय ध्वज के प्रतीक के रूप में चित्र भी बनवाते हैं तथा हाथों में ध्वज भी रखते हैं तथा लहराते हुए जोश में जवानों का हौसला अफजाई करते हैं।


गणतंत्र दिवस पर होती है मुख्य बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी


भारत में गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति के सम्मान तथा सेना के नियमों के मुताबिक गणतंत्र दिवस के समापन समारोह काे मुख्यत: बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी कहा जाता है। यह शब्द मुख्य रूप से सेना के लिए ही इस्तेमाल होता है। यह सेना का अपने बैरक में लौटने का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसा माना जाता है जब सेनाएं युद्ध समाप्त करके लौटती थी और युद्ध के मैदान से वापस आने के बाद अपने अस्त्र-शस्त्र उतार कर रखती थीं। आम तौर पर सूर्यास्त के समय ही सेना अपने शिविर में लौट आती थीं। इस दौरान झण्डे नीचे उतार दिए जाते थे। इसे ही बीटिंग रिट्रीट कहते हैं। यह समारोह बीते समय की एक झांकी होती है। 

राजधानी में इस समारोह का कैसे होता है आयोजन


राजधानी दिल्ली के विजय चौक पर हर साल 29 जनवरी को इसे सेना धूमधाम से मनाती है। इस समारोह से पहले नार्थ ब्लॉक साउथ ब्लॉक सहित राष्ट्रपति भवन को बहुत ही खूबसूरत तरीके से लाइटों से सजाया जाता है। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत के राष्ट्रपति होते हैं। इस बार राष्ट्रपति के तौर इस कार्यक्रम में राम नाथ कोविंद इस समारोह में मौजूद रहेंगे। राष्ट्रपति इस कार्यक्रम में अपने अंग रक्षकों के साथ समारोह स्थल पर पहुंचते हैं। जब राष्ट्रपति इसमें शिरकत करते हैं तो उनके अंगरक्षक राष्ट्रीय सलामी देने के लिए एकत्र होते हैं, जिसके बाद भारतीय राष्ट्रगान, जन गण मन बजाया जाता है और इसके बाद सामूहिक बैंड वादन सहित भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। सेना के बैंड अपने प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लेते हैं। भारत माता की जय और तालियों की गर्जना के साथ ही यह शाम इतिहास में अमर हो जाती है।



कब हुई गणतंत्र दिवस के अवसर पर बिटीग द रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत


'बीटिंग द रिट्रीट' समारोह 1950 की शुरूआत में आरंभ किया गया था जब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने सामूहिक बैंड के प्रदर्शन का एक अनोखा समारोह स्वदेशी रूप से आरंभ किया। सबसे बड़ा समारोह नई दिल्ली में आयोजित किया जाता है जहां ध्वजारोहण के बाद परेड की जाती है और जिसमें भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया जाता है।


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