Supertech Twin Tower Noida demolition: ट्विन टावर विवाद , कोर्ट की कार्यवाही तथा विस्फोट से जमींदोज की कहानी एवं तकनीकी प्रक्रियाJagriti PathJagriti Path

JUST NOW

Jagritipath जागृतिपथ News,Education,Business,Cricket,Politics,Health,Sports,Science,Tech,WildLife,Art,living,India,World,NewsAnalysis

Monday, August 29, 2022

Supertech Twin Tower Noida demolition: ट्विन टावर विवाद , कोर्ट की कार्यवाही तथा विस्फोट से जमींदोज की कहानी एवं तकनीकी प्रक्रिया

Supertech Twin Tower Noida demolition
Supertech Twin Tower Noida demolition Image credit Facebook



 ट्विन टावर नोएडा इतिहास और विवाद


देश में ट्विन टावर सुर्खियों में है विवादित इमारत को धमाके के साथ गिराने से पहले तथा बाद में चर्चा का विषय बना हुआ है। भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़ी इस बिल्डिंग पर कितने संसाधन खर्च हुए होंगे । इन दोनों टावरों के नाम एपेक्स और सियान (Apex and Ceyane Tower) हैं। जिनमें एपेक्स टावर 32 मंजिल और 102 मीटर का ऊंचा है। सियान 29 मंजिल का है और करीब 95 ऊंचा है।
ध्वंस होती इन मंहगी इमारतों को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो गया होगा का आखिर पानी , बजरी , कंक्रीट,सीमेंट,सरिया आदि प्राकृतिक संसाधनों से लम्बे समय में बड़ी लागत की इस बिल्डिंग को गिराया क्यों गया। लेकिन न्यायालय ने इसे गैर कानूनी बताकर ध्वस्त कर दिया। बड़ी मात्रा में प्रयोग हुए संसाधनों तथा लागत की बर्बादी को लेकर आलोचना भी हो रही है। न्यायपालिका के निर्णय को लेकर अचरज हो रहा है कि आखिर इतनी बड़ी इमारत को ध्वस्त करने की जगह निलाम करके सरकारी नियंत्रण में उपयोग में लाया जा सकता था। लेकिन आखिर रविवार 28 अगस्त को नोएडा स्थित सुपरटेक के ट्विन टावर को 3700 किलो बारूद से उड़ा दिया गया है। लेकिन सभी कयासों के बाद आखिरकार अवैध तरीके से बनाए गए इन टावरों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से गिरा दिया गया। कहा जाता है कि इसके लिए सोसायटी के लोगों ने लंबी लड़ाई लड़ी। जिसमें आखिरकार उनकी जीत हुई।
आइए इस पोस्ट में जानने की कोशिश करेंगे की आखिर इस इमारत के निर्माण में क्या कानुनी दांव-पेंच थे? यह इमारत किस तरहां से अवैध थी? 



शुरूआती विवाद की संक्षिप्त कहानी


विवाद की संक्षिप्त कहानी की बात करें तो सरल भाषा में अनुमति के विरुद्ध इस इमारत का निर्माण जारी रहा तथा नियमों को ताक पर रखकर धांधली से अवैध निर्माण से ढांचा तैयार किया गया। इसलिए इस इमारत के फ्लैट खरीदने वाले तथा इन्वेस्टमेंट करने वाले लोगों सहित सोसायटी के लोगों ने नाराजगी जाहिर की तथा कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद नौ साल चली सुनवाई में आखिर गिराने का फैसला कायम रखा। इसी विवाद के चलते शुरुआत में ट्विन टावर बिल्डिंग के प्लान में बदलाव करने का आरोप लगाते हुए कई खरीदार 2012 इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गए थे. इसमें 633 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे. जिनमें से 248 रिफंड ले चुके हैं, 133 दूसरे प्रोजेक्ट्स में शिफ्ट हो गए, लेकिन 252 ने अब भी निवेश कर रखा है. साल 2014 में नोएडा प्राधिकरण को जोरदार फटकार लगाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्विन टावर को अवैध घोषित करते हुए उन्हें गिराने का आदेश दे दिया था. हालांकि, तब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे गिराने का आदेश दिया। आखिर 28 अगस्त को सिलसिलेवार बारूद के धमाकों के साथ इस इमारत के तल पर ही मलबे के ढ़ेर में तब्दील कर दिया। मुंबई स्थित एडिफिस इंजीनियरिंग के कर्मचारियो की टीम जिन्होंने इस ऑपरेशन के लिए दक्षिण अफ्रीका स्थित जेट डिमोलिशन के साथ भागीदारी की, जिससे इस गगनचुंबी इमारतों को विध्वंस के बाद तकनीकी सफलता का परिचय दिया।

विवादित ट्विन टावर नोएडा का इतिहास एवं विवाद के कारण


इस विवादित इमारत का निर्माण और इतिहास 23 नंवबर 2004 से शुरू होता है। जब नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर-93ए स्थित प्लॉट नंबर-4 को एमराल्ड कोर्ट के लिए आवंटित किया। आवंटन के साथ ग्राउंड फ्लोर समेत 9 मंजिल के 14 टावर बनाने की भी अनुमति दी जाती है।नोएडा के सेक्टर 93-A में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के लिए जमीन आवंटन 23 नवंबर 2004 को ही हुआ था। इस प्रोजेक्ट के लिए नोएडा अथॉरिटी ने सुपरटेक को 84,273 वर्गमीटर जमीन आवंटित की थी। 16 मार्च 2005 को इसकी लीज डीड हुई लेकिन उस दौरान जमीन की पैमाइश में लापरवाही के कारण कई बार जमीन बढ़ी या घटी हुई दर्ज की जाती थी।
सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के मामले में भी प्लॉट नंबर 4 पर आवंटित जमीन के पास ही 6.556.61 वर्गमीटर जमीन का टुकड़ा निकल आया जिसकी अतिरिक्त लीज डीड 21 जून 2006 को बिल्डर के नाम कर दी गई। लेकिन ये दो प्लॉट्स 2006 में नक्शा पास होने के बाद एक प्लॉट बन गया। इस प्लॉट पर सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया। इस प्रोजेक्ट में ग्राउंड फ्लोर के अलावा 11 मंजिल के 16 टावर्स बनाने की योजना थी। इसके बाद साल 2009, 26 नवंबर को नोएडा अथॉरिटी ने टावर नंबर-17 का नक्शा पास किया, जिसमें टावर नंबर 16 और 17 पर 24 मंजिल निर्माण का नक्शा बनाया गया और इसकी ऊंचाई 73 मीटर तय कर दी गई।
28 फरवरी 2009 को उत्तर प्रदेश शासन ने नए आवंटियों के लिए एफएआर बढ़ाने का निर्णय लिया। इसके बाद सुपरटेक को 24 मंजिल यानी करीब 73 मीटर और बिल्डिंग को ऊंचा करने की इजाजत मिल गई। यानी दोनों टावरों (16 व 17) की ऊंचाई 121 मीटर तय की गई।

मामला कोर्ट में चलने के बाद ध्वस्त करने की योजना बड़े स्तर पर बनी


 2012 में बायर्स ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया। कोर्ट के आदेश पर पुलिस जांच के आदेश दिए गए और पुलिस जांच में बायर्स की बात को सही बताया गया। तेवतिया का कहना है कि इस जांच रिपोर्ट को भी दबा दिया गया। इस बीच बायर्स अथॉरिटी के चक्कर लगाते रहे लेकिन वहां से नक्शा नहीं मिला. इस बीच खानापूर्ति के लिए अथॉरिटी ने बिल्डर को नोटिस तो जारी किया लेकिन कभी भी बिल्डर या अथॉरिटी की तरफ से बायर्स को नक्शा नहीं मिला।
बायर्स का आरोप है कि इन टावर्स को बनाने में नियमों को ताक पर रखा गया है। सोसायटी के निवासी यूबीएस तेवतिया का कहना है कि टावर्स की ऊंचाई बढ़ने पर दो टावर के बीच का अंतर बढ़ाया जाता है। खुद फायर ऑफिसर ने कहा कि एमराल्ड कोर्ट से एपेक्स या सियाने की न्यूनतम दूरी 16 मीटर होनी चाहिए. लेकिन एमराल्ड कोर्ट के टावर से इसकी दूरी महज 9 मीटर थी। इस नियम के उल्लंघन पर नोएडा अथॉरिटी ने फायर ऑफिसर को कोई जवाब नहीं दिया। 16 मीटर की दूरी का नियम इसलिए ज़रूरी है क्योंकि ऊंचे टावर के बराबर में होने से हवा, धूप रुक जाती है।
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद बीते कई महीनों से नोएडा स्थित सुपरटेक ग्रुप के प्रोजेक्ट एमराल्ड कोर्ट के 2 निर्माणाधीन टावर्स को गिराने की तैयारी शुरू की गई थी। बायर्स की शिकायत के बाद एपेक्स और सियाने टावर्स को गिराने का आदेश कोर्ट ने दे दिया। हालांकि सुपरटेक समूह के अध्यक्ष आरके अरोड़ा ने विश्वास व्यक्त किया है कि ट्विन टावरों के विध्वंस से अन्य परियोजनाओं पर असर नहीं पड़ेगा

महाधमाके के साथ जमींदोज करने की पूरी प्रक्रिया और तकनीक


28 अगस्त 2022 को ठीक ढाई बजे चेतन दत्ता ब्लैक बॉक्स से जुड़े हैंडल को दस बार घुमाकर जब लाल बल्ब में हलचल हुई तभी दत्ता के ग्रीन बटन दबाते ही उससे जुड़े चार डेटोनेटर्स तक इलेक्ट्रिकल वेव्स पहुंच गई अगले 9 सेकेंड्स में सिलसिलेवार तरीके से कई धमाकों के ट्विन टावर भरभरा कर ढह गया। परमाणु बंब की तरहां धुएं का गुब्बार दूर दूर तक फैल गया। धूल और डस्ट चारों तरफ गुब्बारों के रूप में फैल गई। इस इमारत को गिराने से पहले युद्ध स्तर की तैयारियां की गई थी। सबसे पहले दोनों टावरों के आसपास के 100 मीटर के इलाके को एक्सक्लूजन जोन बनाया गया। केवल छह लोगों को जोन के पास रहने की इजाजत दी गई इनमें ब्लास्ट का डिजाइन तैयार करने वाले जेट डिमॉलिशन डायरेक्टर जो ब्रिंकमन के अलावा, उनके दो एक्सपर्ट, एडिफिस इंजीनियरिंग के एक अधिकारी, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और दत्ता मौजूद रहें। पिछले 20 साल से ऐसे धमाके करने का अनुभव रखने वाले दत्ता को डिमॉलिशन कंपनी Edifice Engineering ने ग्रीन बटन दबाने के लिए चुना। 3700 किलोग्राम विस्फोटक को हजारों सुरंग करके फिट किया गया । किसी ऊंची इमारत को जमींदोज करने की अपनी एक तकनीकी होती है जिसमें पास में 10-12 मीटर तक किसी प्रोपर्टी को नुक्सान नहीं हो यह अपने आप में बड़ी चुनौती होती है लेकिन नोएडा की इस इमारत को पूर्व नियोजित तरीके से बड़ी सावधानी से गिराया गया

गगनचुंबी इमारत गिरने के बाद भी जारी रहेगी मशक्कत


इस बिल्डिंग को गिराने के कारण जो पर्यावरण को नुकसान हुआ है उसकी भरपाई करना आसान नहीं है। करीब 88000 टन मलबा निकलने की संभावना बताई जा रही है। जिसे हटाने में 3 महीने का समय लग जाएगा। टावर गिरान के चलते 28 अगस्त को नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे बंद रखा गया था। दोनों टावरों से करीब 500 मीटर की दूरी तक सभी सड़कें बंद की गई। स्वीपिंग मशीनों से इलाके की सारी डस्ट साफ करने की कोशिश की जाएगी। 100 टैंकर पानी के व 200 कर्मचारी काम पर लगा दिए है और महीनों तक काम पर लगे रहेंगे।

क्या कहा जेट डिमोशन कंपनी के निदेशक ने,?


दक्षिण अफ्रीका के जेट डिमोलिशन के प्रबंध निदेशक ब्रिंकमैन ने नोएडा की इमारतों को जमींदोज करने के बाद पहला बयान दिया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि नोएडा में सुपरटेक ट्विन टावरों को धराशायी करने में 12 सेकंड का समय लगा। विशेष रूप से, कार्य के लिए डेवलपर द्वारा किराए पर ली गई एडिफिस इंजीनियरिंग ने सुपरटेक ट्विन टावरों के विध्वंस के लिए दक्षिण अफ्रीका के जेट डिमोलिशन के साथ सहयोग किया था।


Disclaimer

 Any information / material / calculations and facts etc. contained in this article should be taken as user information and general knowledge only. The information of this article has been presented concisely and simply by understanding the study experience of the author and from various sources. This website is not responsible for the accuracy and reliability of the content of this article. This article is not eligible for any legal use. Neither deserves any argument. Apart from this, the responsibility of the use of any facts of this article in any examination or other medium will be the responsibility of the reader himself. We don't take responsibility for any problem. The content of the article is presented with fair intention, there is no intention to hurt anyone's sentiments. For any dispute related to copyright, please contact us first.



No comments:

Post a Comment


Post Top Ad