मिग MIG-21 क्रैश: हादसों और इस लड़ाकू विमान की सेवा का इतिहास , क्रैश होने के कारण एवं प्रमुख हादसे तथा ब्लैकबॉक्स Jagriti PathJagriti Path

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Friday, July 29, 2022

मिग MIG-21 क्रैश: हादसों और इस लड़ाकू विमान की सेवा का इतिहास , क्रैश होने के कारण एवं प्रमुख हादसे तथा ब्लैकबॉक्स

Fighter plane crash
symbolic photo of plane crash


मिग MIG-21 क्रैश: 


जानें हादसों और सेवा का इतिहास , क्रैश होने के कारण एवं प्रमुख हादसे तथा ब्लैक बॉक्स की संरचना


#IAF #MIG-21
28 जुलाई 2022 को रात के करीब 9 बजकर 7-8 मिनिट के आसपास बाड़मेर जिले के बायतु कस्बे की भीमड़ा गांव में वायुसेना का टर्नर मिग-21 क्रेश हो गया। इस विमान को विंग कमांडर मोहित राणा और लेफ्टिनेंट अद्वितीय बाल उड़ा रहे थे।अचानक तकनीकी खराबी के कारण मिग क्रैश होने वाला था, इस बात की खबर दोनों बहादुरों को लग गई थी। लेकिन दोनों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर इस विमान को आबादी क्षेत्र से दूर ले गए इसी दौरान जोरदार धमाके के साथ विमान आग का गोला बनकर क्रैश हो गया दोनों बहादुरों ने करीब 3000 हजार की आबादी वाले गांव भीमडा को तो बचा लिया, लेकिन खुद को इस लड़ाकू विमान से इंजेक्ट नहीं कर पाए। 
बता दें कि इंडियन एयरफोर्स का फाइटर विमान मिग-21 ने उत्तरलाई एयरबेस से ट्रेनिंग के लिए उड़ान भरी थी। भारतीय वायुसेना के मुताबिक, तकनीकी खराबी या किसी अन्य कारण से प्लेन में हवा में ही आग लग गई थी। दोनों पायलट्स को इसका अंदेशा भी हो गया था। ऐसे में उन्होंने सूझबूझ दिखाई और रेत के टीलों में वह क्रैश हो गया। बायतु के भीमडा गांव के ईशरामो की ढाणी के पास जब विमान गिरा तब 3 किलोमीटर तक धमाका सुनाई दिया, जहां विमान गिरा वहां आसपास के रेत के टीलों में भी आग फैल गई।

किन कारणों से होते है विमान हादसे?


आसमां में किसी मशीन को उड़ाना अपने आप में हैरतअंगेज और रिस्की काम है लेकिन मानव जाति ने अपने दिमाग से पक्षियों की बराबरी कर विमान जैसी चीजें बनाई। हालांकि सड़कों पर गाड़ियों का भी एक्सीडेंट हो जाता है तो आसमान में इन विमानों में तकनीकी खराबी होना तो लाजमी है लेकिन आधुनिक तकनीकी युग तथा एडवांस टेक्नोलॉजी ने इन सब चीजों को कम कर दिया है कहां जाता है कि अधिकांश हादसे पायलट की गलती से होते हैं जो लगभग 50% हैं। वहीं 20% मामले में विमान के मशीनों में खराबी की वजह से हादसे होते हैं। जबकि 10% मामले में मौसम की खराबी की वजह से विमान हादसे हुए हैं। यह आंकड़े मात्र है जो अनुमानित है वास्तव में कई कारण हैं जो विमान को क्रैश करवाने के जिम्मेदार होते हैं जिसमें विमान के किसी पुर्जे में खराबी, पक्षियों का टकराना, इंजिन का बंद होना,गर्म होने पर आग लगना,मौसम की खराबी आदि कारणों से विमान हादसे के शिकार होते हैं। हालांकि लड़ाकू विमान जिसमें एक या दो पायलट बैठते हैं उन्हें उन्हें पेराशूट की व्यवस्था होती है लेकिन कभी कभी दुर्भाग्यवश यह इंजेक्ट नहीं हो पाते हैं तो पायलटों की जान चली जाती हैं।

लगातार हादसों का शिकार हुआ है मिग 21 



भारतीय वायुसेना (Indian Air force) का मिग-21 (MiG-21) लगातार हादसों का शिकार हुआ है हादसों और क्रैश होने की बात करें तो भारतीय वायुसेना के युद्धक बेड़े में शामिल होने के बाद वर्ष 2013 में 2, 2014 में 3, 2015 में 2, 2016 में 3, 2018 में 2, 2019 में 3 तथा 2021 में 5 तथा 2022 में अब ताजा हादसा भीमडा बाड़मेर में क्रैश (Crash) होने हुआ है। हालांकि यह लिस्ट लम्बी है क्योंकि साल 2012 में रक्षा मंत्री (Defence Minister) एके एंटनी (AK Antony) ने एक आधिकारिक बयान में कहा था कि वायु सेना में शामिल होने के बाद से लेकर साल 2012 तक 482 मिग-21 प्लेन हादसे का शिकार हुए। इन हादसों में 171 पायलट (Pilot) और 39 आम नागरिकों के अलावा 8 अन्य लोगों की जान ली है। इसलिए अब इस विमान को भारतीय वायुसेना से छुट्टी करने की बात भी कही जा रही है क्योंकि यह अपने आप में एक विवादित इतिहास रहा है। लगातार अंतराल में हो रहे हादसे विमान की तकनीकी बनावट पर सवाल खड़े करती है वहीं यह अब बहुत पुराना हो चुका है।
मिग 21 के इतिहास और निर्माण की बात करें तो यह रूस की मिकोयान कंपनी द्वारा 1955 के करीब निर्मित किया गया था। भारतीय वायु सेना में साल 1963 में शामिल किया गया था। भारत ने कुल 874 मिग-21 विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया था। वर्तमान में वायुसेना इसके अपग्रेडेड वर्जन मिग-21 बाइसन का प्रयोग करती है।
मिग-21 दुनिया के पहले सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों में से एक है। यह एकमात्र ऐसा विमान है जिसका इस्तेमाल दुनियाभर के करीब 60 देशों ने किया है। 1964 से इस विमान को ऑपरेट कर रही भारतीय वायुसेना में इसके क्रैश रिकॉर्ड को देखते हुए फ्लाइंग कॉफिन (उड़ता ताबूत) नाम दिया गया है।


1964 में भारतीय बेड़े में शामिल हुआ था मिग-21


साल 1964 में मिग-12 लड़ाकू विमान को पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट के रूप में इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया था। शुरुआत में ये जेट रूस में बने थे और फिर भारत ने इस विमान को असेम्बल करने का अधिकार और तकनीक भी हासिल कर ली थी। जिसके बाद हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को 1967 से लाइसेंस के तहत मिग-21 लड़ाकू विमान का प्रोडक्शन शुरू कर दिया था। रूस ने तो 1985 में इस विमान का निर्माण बंद कर दिया, लेकिन भारत इसके अपग्रेडेड वैरिएंट का इस्तेमाल करता रहा है। पाकिस्तान के साथ हुए 1971 और 1999 के कारगिल युद्ध में भी मिग-21 ने अहम भूमिका निभाई थी। मिग-21 बाइसन लड़ाकू विमान मिग-21 का एक अपग्रेडेड वर्जन है। जिससे अगले 3 से 4 साल तक इसका उपयोग किया जा सकता है। इस वर्जन का इस्तेमाल केवल भारतीय वायुसेना ही करती है। बाकी दूसरे देश इसके अलग-अलग वैरियंट का प्रयोग करते हैं। सितंबर, 2018 तक वायु सेना के पास तकरीबन 120 मिग-21 विमान थे।

ब्लैक बॉक्स से हादसे के कारणों का चलता हैं पता


विमान के आसमान में दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए ब्लैक बॉक्स को हवाई जहाज में लगाया जाता है। हवाई जहाज का ब्लैक बॉक्स या फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर, विमान में उड़ान के दौरान विमान से जुडी सभी तरह की गतिविधियों जैसे विमान की दिशा, ऊंचाई, ईंधन, गति, हलचल, केबिन का तापमान जैसे 88 तरह के आंकड़ों के बारे में 25 घंटों से अधिक की रिकार्डेड जानकारी एकत्रित रखता है। शुरुआत में इस डिब्बे का रंग लाल होता था इसलिए इसको रेड एग कहते थे फिर इसकी अन्दर की दीवार पर काला रंग करने के कारण इसे ब्लैक बॉक्स कहा जाता है। यह बॉक्स 11000°C के तापमान को एक घंटे तक सहन कर सकता है जबकि 260°C के तापमान को 10 घंटे तक सहन करने की क्षमता रखता है। इस दोनों बक्सों का रंग काला नही बल्कि लाल या गुलाबी होता है जिससे कि इसको खोजने में आसानी हो सके। दो उपकरणों के काम और रिकॉर्ड अलग अलग-अलग है पहला उपकरण फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर इसमें विमान की दिशा, ऊंचाई, ईंधन, गति, हलचल, केबिन का तापमान आदि रिकॉर्ड करता है वहीं दूसरा उपकरण कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर करता है। यह बॉक्स विमान में अंतिम 2 घंटों के दौरान विमान की आवाज को रिकॉर्ड करता है। यह इंजन की आवाज, आपातकालीन अलार्म की आवाज , केबिन की आवाज और कॉकपिट की आवाज को रिकॉर्ड करता है, ताकि यह पता चल सके कि हादसे के पहले विमान की समस्या क्या रही होगी।


अस्वीकरण:बाड़मेर जिला पुलिस की अपील के आदेशानुसार भीमडा मिग हादसे के वीभत्स वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल नही करने की सूचना को  को मध्य नजर रखते हुए इस पोस्ट में कोई फोटो विडियो नहीं दिए जा रहे हैं। इस पोस्ट में लगा फोटो प्रतिकात्मक है। तथा यह पोस्ट केवल जानकारी मात्र है। तथ्यों और आंकड़ों की सत्यता के लिए यह बेवसाइट जिम्मेदार नहीं हैं।यह वेबसाइट देश सेवा में वीरगति को पाने वाले जांबाज़ वायु सैनिकों और भारतीय सेना का सम्मान करती है।

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