कारगिल युद्ध। आपरेशन विजय Operation Vijay
भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल में 60 दिनों तक चले युद्ध में भारत के जांबाज सैनिकों के द्वारा युद्ध के अंतिम दिवस 26 जुलाई 1999 को पाकिस्तान की सेना के छक्के छुड़ा दिए और युद्ध जीत लिया। ऑपरेशन विजय' के जरिए पाकिस्तानी घुसपैठियों को कारगिल से खदेड़ा और इस तरह 26 जुलाई को Kargil War खत्म हुआ।
उसी को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाते है।
कारगिल युद्ध, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है, यह युद्ध की विजय भारत के गौरवशाली इतिहास का अहम हिस्सा है। अटल बिहारी वाजपेई की सरकार के समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ थे इसी दौरान पाकिस्तान की सेनाओं ने कारगिल की पहाड़ियां (कश्मीर) पर हमला कर दिया था। इस दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है। बता दें कि 3 मई साल 1999 को कश्मीर (अब लद्दाख) के कारगिल जिले में ऊंची पहाड़ियों के ऊपर पाकिस्तान ने अपने 5000 सैनिकों के साथ घुसपैठ करके वहाँ पर कब्जा जमा लिया था।
भारतीय सेना के योद्धाओं ने बहुत हीं वीरता के साथ कारगिल युद्ध को लड़ा था। पाकिस्तान के खिलाफ इस युद्ध में भारत के तकरीबन 527 से भी ज्यादा सैनिक शहीद हो गए थे। और 1300 से भी अधिक सैनिक बुरी तरह से जख्मी हुए थे।
सफल हुआ आपरेशन विजय
15 जून को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने परवेज मुशर्रफ को फोन करके कहा कि वह अपने सैनिकों को कारगिल सेक्टर से हटा ले। दूसरी तरफ भारतीय सैनिकों के द्वारा बाल्टिक क्षेत्र, द्रास सेक्टर, टाइगर हिल्स, बटालिक में जुबर हिल्स आदि पर एक के बाद एक कब्ज़ा जमाना जारी रहा। 2 जुलाई 1999 को भारतीय सेना द्वारा कारगिल पर तीन तरफ से हमला बोल दिया गया जिसके बाद पाकिस्तानी रेंजरों ने बटालिक से भागना शुरू किया। इसके तुरंत बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने बिल क्लिंटन से बातचीत की और कहा कि वह अपनी सेना को कारगिल से हटाने के लिए तैयार है। 14 जुलाई को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने “ऑपरेशन विजय” के जीत का ऐलान किया।
ऊंचाई पर मुश्किल भरी थी कारगिल की जंग
कारगिल का यह दुर्गम क्षेत्र भारत के लिए सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इस अभियान में भारत के जांबाज वीर विक्रम बत्रा का नाम गर्व से लिया जाता है। इस युद्ध के दौरान विक्रम बत्रा ने अपनी व अपने साथियों की वीरता के दम पर 20 जून 1999 को लगभग 3 बजकर 30 मिनट पर अपने कब्जे में ले लिया। उनके उस समय के रेडियो संदेश के माध्यम से सुचना मिलते ही भारतीय लोगों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया, जब उन्होंने ने 'यह दिल मांगे मोर लाइन बोलकर विजय की घोषणा की। इसी दौरान भारतीय सूर वीरों का अगला पड़ाव चोटी 4875 का था यह अभियान भी विक्रम बत्रा की ही अगुवाई में शुरू हुआ था।
फिर शहीद हो गये अमर बलिदानी
विक्रम बत्रा बहुत से पाकिस्तानी सैनिकों को मारते हुए आगे बढ़े लेकिन इस बीच वह अपने घायल साथी लेफ्टिनेंट नवीन को बचाने के लिए बंकर से बाहर निकल आए।
घायल लेफ्टिनेंट नवीन को बचाते हुए जब एक गोली विक्रम बत्रा के सीने में लगी तो मां भारती के इस लाल ने भारत माता की जय कहते हुए अंतिम सांस ली, इससे आहत सभी सैनिक गोलियों की परवाह किए बिना दुश्मन पर टूट पड़े और चोटी 4875 को आखिरकार फतह किया। इस वीरता के चलते 15 अगस्त 1999 को कैप्टन विक्रम बत्रा को परमवीर चक्र से नवाजा गया था। आज विजय दिवस पर कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की शहादत को शत शत नमन और श्रदांजलि।
कारगिल युद्ध की कहानी पर बन चुकी है यह फिल्में
कारगिल युद्ध पर पहली फिल्म 'एलओसी कारगिल' बनी थी। इसके अलावा धूप (2003),स्टम्प्ड (2003),लक्ष्य (2004) , टैंगो चार्ली (2005) तथा मौसम जैसी खूबसूरत मूवी बन चुकी है।
Jay hind
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