Karwa Chauth is a festival celebrated by Hindu women from the Indian Subcontinent on the fourth day after Purnima in the month of Kartika |
करवा चौथ विशेष Karwa chauth
करवा चौथ से जुड़ी मान्यता
करवा चौथ का व्रत
करवा चौथ पूजन-सामग्री
करवा चौथ व्रत करने की विधि
क्या होती है सासु मां द्वारा बनाई जाने वाली सरगी?
करवा चौथ व्रत पूजन शुभ मुहूर्त,करवा चौथ पूजा मुहूर्त 1 नवम्बर 2023
करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त 1 नवंबर 2023
चतुर्थी तिथि का आरंभ 31 अक्टूबर तो रात में 9 बजकर 31 मिनट पर होगा और 1 नवंबर को रात में 9 बजकर 20 मिनट तक रहेगी। उदय तिथि में चतुर्थी 1 नवंबर को है इसलिए करवा चौथ का व्रत बुधवार 1 नवंबर को ही रखा जाएगा। इस दिन शिव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। करवा चौथ पर पूजा के लिए तीन शुभ मुहूर्त हैं।
करवाचौथ पर तीन समय की पूजा की जाती है। सुबह के पूजन के लिए 1 नवंबर को शुभ मुहूर्त 7 बजकर 55 मिनट से लेकर 9 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप अमृत चौघड़िया में सुबह की पूजा कर सकते हैं। इसके बाद 10 बजकर 41 मिनट से लेकर 12 बजकर 4 मिनट तक शुभ चौघड़िया में पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा। शाम के लिए पूजा के लिए लााभ चौघड़िया 4 बजकर 13 मिनट से शाम में 5 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इस दौरान पूजन करना लाभप्रद रहेगा।
करवा चौथ पर चांद निकलने का समय 2023
करवा चौथ पर महिलाओं को चांद का दीदार करने के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। सभी शहरों में अलग अलग समय पर चांद दिखाई देता है। इस बाद चंद्रोदय का समय 8 बजकर 15 मिनट पर होगा। दिल्ली में इस समय चांद दिखाई देगा। जबकि बाकी शहरों में अलग अलग समय पर चांद निकलेगा।
पंचांग अनुसार करवा चौथ 2023 में तिथि एवं समय (Karwa Chauth 2023 Date)
करवा चौथ की पौराणिक कथा
करवा चौथ से जुड़ी एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसे करवा चौथ का व्रत रखने वाली सुहागिन स्त्रियां इस कथा का वाचन करती है तथा विधिवत सुनती है। एक पौराणिक कथा में बताया गया है कि एक गांव में
एक साहूकार था। उसके सात बेटे थे और एक बेटी थी। वह सातों भाईयों की प्यारी बहन थी। एक साथ ही बैठकर खाना खाते थे। एक दिन कार्तिक की चौथ आई तो उसकी बहन ने करवाचौथ का व्रत रखा। सारे भाई भोजन करने आए और अपनी बहन से बोले- आ बहन! तू भा खाना खा ले। उनकी माँ बोली- आज यह खाना नहीं खाएगी। इसका करवाचौथ का व्रत है। जब चाँद निकलेगा तभी खाना खाएगी। तो उसके भाइयों ने छल-कपट से जंगल में आग जलाकर छलनी में से चाँद दिखा दिया तो वह अपनी भाभियों से बोली- चलो भाभी चाँद निकल आया है। अरग दे लो। तो उसकी भाभी बोली- ये तो तेरा चाँद निकला है। हमारा तो रात को निकलेगा। यह सुनकर भाईयों के कहने से उसने चाँद को अरग दे दिया और खाने बैठ गई। पहला टुकड़ा तोड़ा बाल निकला, दूसरा टुकड़ा तोड़ा छींक मारी, तीसरा टुकड़ा तोड़ा तो राजा के घर से बुलावा आ गया कि राजा का लड़का बीमार है जल्दी भेजो। माँ ने लड़की के पहनने के लिए तीन बार सन्दुक खोला तीनों बार सफेद कपड़े निकले। अब उसको सफेद कपड़े पहनाकर ही ससुराल भेज दिया और माँ ने लड़की के पल्ले में एक सोने का सिक्का बाँध दिया और बोली- रास्ते में जो भी मिले पैर पड़ती जाना जो तुझे सुहाग की आशीष दे उसे सोने का सिक्का दे देना और पल्ले को गाँठ लगा लेना। अब उसे रास्ते में जो कोई भी मिला सबके पैर पड़ी पर किसी ने भी सुहाग की आशीष नहीं दी। अब वह ससुराल में आई तो दरवाजे पर छोटी ननद खड़ी थी। वह उसके पैर पड़ी तो ननद बोली सीली हो, सपूती हो, सात बेटों की माँ हो, मेरे भाई का सुख देख। अब उसने सोने का सिक्का ननद को देकर पल्ले को गाँठ मार ली। उसके बाद वह अंदर आई। आकर देखा कि उसका पति मरा पड़ा है। अब वह उसे लेकर एक कोठरी में पड़ी रही। एक साल तक उसकी सेवा करी। उसकी सास बान्दी के हाथ बची-खुची रोटी भेज देती। इस प्रकार उसे अपने पति की सेवा करते-करते एक साल हो गया। करवाचौथ का व्रत आया। सारी पड़ोसनों ने नहा-धोकर करवाचौथ का व्रत रखा। सबने सिर धोकर हाथों में मेंहदी लगाई, चूड़ियां पहनीं। वह सब देखती रही। एक पड़ोसन बोली- तू भी करवाचौथ का व्रत कर ले। तब वह बोली- मैं कैसे करूँ?तो वह बोली- चौथ माता की कृपा से सब ठीक हो जाएगा। उसके कहने से उसने भी व्रत रखा। थोड़ी देर के बाद करवे बेचने वाली आई-करवे लो री करवे लो। भाईयों की प्यारी, करवे लो। ऐ करवे वाली मेरे को भी करवे दे जा। वह कहने लगी- मेरी दूसरी बहन आएगी वो तेरे को करवे देगी। दूसरी आई- करवे लो री करवे लो। भाईयों की प्यारी, करवे लो। ऐ करवे वाली! मेरे को भी करवे दे जा। तो वह बोली- मेरी तीसरी बहन आएगी वो तेरे को करवे देगी। इस तरह पाँच बहन आकर चली गईं। पर किसी ने भी करवे नहीं दिए। फिर छठी बहन आई और बोली- मेरी सातवीं बहन आएगी वह तुझे करवे देगी। बस तू सारे रास्ते में काँटे बिखेरकर रख देना। जब वह खूब चिल्लाती हुई आएगी तो उसके पैर में काँटा चुभ जाएगा तब तू सूई लेकर बैठ जाना और उसका पैर पकड़कर छोड़ना मत और उसके पैर का काँटा निकाल देना तो वह तेरे को आशीर्वाद देगी। भाई जियो सांई जियो। जब वह तुझे आशीर्वाद देगी तो तुम उससे करवे माँग लेना। तब वह तुझे करवे देकर जाएगी फिर तू उजमन करना जिससे तेरा पति अच्छा हो जाएगा। अब उसने वैसा ही किया। सारे रास्ते में काँटे बिछा दिए । जब वो करवे लेकर खूब चिल्लाती हुई आई तो उसके पैर में काँटा चुभ गया। उसने उसका पैर पकड़कर छोड़ा नहीं और उसके काँटे निकाल दिये। तो उसने आशीर्वाद दिया। तब वह बोली- जब तूने मुझे आशीर्वाद दिया है तो करवे भी देकर जा। तो वह बोली- तूने तो मुझे ठग लिया। यह कह कर उसने उसे करवे दे दिए। अब करवे लेकर उसने उजमन की तैयारी की। व्रत रखा। राजा का लड़का ठीक हो गया और बोला- मैं बहुत बोली- सोये नहीं, बारह महीने हो गए तेरी सेवा करते-करते। फिर उसने चौथ माता का उजमन अच्छी तरह से किया। अब उसने चौथ माता की कहानी सुनी और उजमन करा। अब वे दोनों चौपड़ खेलने लग गए। इतने में उसकी बान्दी तेल की पली और गुड़ की डली लेकर आ गई। दोनों को खेलते देखकर सासू से जाकर बोली- महलों में खूब रौनक है। तेरी बहू चौपड़ सार खेल रही है। इतना सुनकर सासू देखने को आई। दोनों को देखकर बहुत खुश हो गई। बहू ने सासू के पैर दबाए और बहू सच-सच बता तूने क्या किया? उसने सारा हाल अपनी सासू को बताया तो राजा ने सारे शहर में ढिंढोरा पिटवाया कि अपने पति की जीवन सुरक्षा के लिए सब बहनें करवाचौथ का व्रत रखें पहले करवे को अपने पीहर में जाकर उजमन करें। हे चौथ माता! जैसा राजा के लड़के को जीवन दान दिया वैसे सब किसी को देना।
बहुत बढ़िया जानकारी करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteHappy karwachouth
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