करवा चौथ: सुहागिन स्त्रियों के लिए अखंड सौभाग्य की कामना का पावन पर्व, पौराणिक व्रत कथा व शुभ मुहूर्तJagriti PathJagriti Path

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Sunday, October 24, 2021

करवा चौथ: सुहागिन स्त्रियों के लिए अखंड सौभाग्य की कामना का पावन पर्व, पौराणिक व्रत कथा व शुभ मुहूर्त

Karwa chauth vrat poojan vidhi
Karwa Chauth is a festival celebrated by Hindu women from the Indian Subcontinent on the fourth day after Purnima in the month of Kartika


करवा चौथ विशेष Karwa chauth 


करवा चौथ सुहागिनों का सबसे बड़ा एवं पवित्र त्योहार माना जाता है भारत में हिन्दुओं का यह त्योहार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह त्यौहार अपने आप में पौराणिक महत्व रखने के साथ साथ सौभाग्य और वरदान से जुड़ा पर्व है। पूरे भारत में यह त्योहार बड़ी धूमधाम और वहां की स्थानीय संस्कृति के अनुसार मनाया जाता है। इस त्योहार का संबंध पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते से जुड़ा हुआ है जिसमें पत्नी अपने पति की लम्बी आयु तथा मंगलकामना के लिए व्रत रखकर चन्द्रोदय के बाद विशेष छलनी में दीपक रखकर चांद और पति की सूरत एक साथ देखती है। चन्द्रदर्शन के बाद पति अपने हाथों से विशेष तांबे या मिट्टी के बने के कवरे से पत्नी को पानी पिला कर निर्जला व्रत को छुड़वाते है तथा मिठाई खिलाकर व्रत छुड़वाते है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां करवा चौथ व्रत के दौरान कथा सुनती है इस कथा पाठ में कुछ महिलाएं पेड़ के नीचे बैठकर करवा चौथ से जुड़ी पौराणिक कथाओं का वाचन करती है और सुनती है। आइए जानते हैं करवा चौथ से जुडे खास तथ्य,इतिहास,पौराणिक कथा,व्रत रखने की विधि,पूजन सामग्री तथा पर्व से संबंधित पूरी जानकारी।

करवा चौथ से जुड़ी मान्यता


कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं। यह व्रत सौभाग्य, सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन व्रती को शिव परिवार और भगवान गणपति की पूजा करनी चाहिए।

करवा चौथ का व्रत


यह व्रत- कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को किया जाता है । इस व्रत को 'करवा चौथ' का व्रत कहा जाता है ।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ कहते हैं। इसमें गणेश जी का पूजन करके उन्हें पूजन दान से प्रसन्न किया जाता है। इसमें गेहूँ का करवा भर के पूजन किया जाता है और विवाहित लड़कियों के यहाँ चीनी के करवे पीहर से भेजे जाते हैं तथा इसमें कहानी सुनकर चन्द्रोदय में अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। सुहागिन स्त्रियों के लिये यह श्रेष्ठ और उत्तम व्रत है । स्त्रियाँ इस व्रत को अपने पति की दीर्घायु के लिये करती हैं । हिन्दुओं में इस व्रत को बहुत अधिक महत्व प्राप्त है । वास्तव में, यह एक अत्यन्त प्रभावशाली तथा उपयोगी व्रत है । 

करवा चौथ पूजन-सामग्री


1. पीली मिट्टी, 2. पीले या लाल रंग का कपड़ा, 3. लकड़ी का पटरा, 4. करवा ( मिट्टी का बना हुआ ), 5. करवा (खाँड़ का बना हुआ), 6. रोली, 7. सिन्दूर, 8. कलावा, 9. दीपक, 10. रुई, 11. घी, 12. धूपबत्ती, 13. कपूर, 14. फूल-माला, 15. मौसम के फल, 16. पंचमेवा, 17. पंचामृत, 18. पान, 19. पेड़े या बताशे, 20. गंगाजल ( न होने पर सादा (स्वच्छ पानी), 21. चावल 

करवा चौथ व्रत करने की विधि 


इस दिन सुहागिन स्त्री को पूरे दिन निर्जल उपवास रखना चाहिये । इस दिन स्त्री को प्रातःकाल ही घर की सफाई आदि करके स्नानादि से निवृत्त हो लेना चाहिये । फिर पूजन की सारी सामग्री एकत्रित कर लें । इसके बाद, शाम के समय अपने घर के पूजा-स्थान या आँगन को स्वच्छ कर लें । फिर स्त्री को मुँह-हाथ आदि धोकर स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिये और आभूषण आदि धारण करने चाहिये ।
फिर चावल को पीसकर उसमें थोड़ा-सा सिन्दूर तथा पानी मिलाकर मिश्रण बना लें और इससे दीवार पर करवा माता' का चित्र बनायें। साथ में- गणेश जी, सूर्य, चन्द्रमा आदि देवी-देवताओं के चित्र भी बनायें । साथ ही, सुहाग की विभिन्न वस्तुओं (जैसे- चूड़ी, बिन्दी, बिछुआ आदि), दूध देने वाली गाय, करुआ बेचने वाली कुम्हारिन, महावर लगाने वाली नाइन्, चूड़ी पहनाने वाली मनिहारिन, सात भाई और उनकी इकलौती बहन आदि के भी चित्र बनाये जाते हैं । यदि आपको चित्र बनाने में कोई समस्या हो तो बाजार से 'करवा चौथ का कैलेण्डर खरीद कर सामने रख देना चाहिए।


क्या होती है सासु मां द्वारा बनाई जाने वाली सरगी?


यह रस्म अक्सर पंजाब हरियाणा प्रांत में मनाई जाती है। जब सुहागिन स्त्री करवा चौथ का व्रत रखती है तो उसकी सास उसे सरगी (Sargi) बनाकर देती है। सरगी एक भोजन की थाली है जिसमें खाने की कुछ चीजें होती हैं। जिसके बाद दिनभर निर्जला रहा जाता है और फिर रात में चांद की पूजा करने के बाद ही खाया जाता है। चूंकि सरगी को खाकर व्रत की शुरुआत की जाती है इसलिए सरगी की थाली में ऐसी चीजें होती है जिसे खाने से भूख और प्यास कम लगती है और दिनभर शारीरिक शक्ति बनी रहती। इसमें अक्सर सूखे मेवे और फल होते हैं।
सास द्वारा दी हुई सरगी से बहू अपने व्रत की शुरुआत करती है। अगर सास साथ में नहीं हैं, तो वो बहू को पैसे भिजवा सकती हैं, ताकि वो अपने लिए सारा सामान खरीद सके। इस सरगी में कपड़े, सुहाग की चीजे, फेनिया, फ्रूट, ड्राईफ्रूट, नारियल आदि रखे होते हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश और बिहार में इस त्योहार को मनाने का तरीका अलग है।

करवा चौथ व्रत पूजन शुभ मुहूर्त,करवा चौथ पूजा मुहूर्त 1 नवम्बर 2023

करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त 1 नवंबर 2023


चतुर्थी तिथि का आरंभ 31 अक्टूबर तो रात में 9 बजकर 31 मिनट पर होगा और 1 नवंबर को रात में 9 बजकर 20 मिनट तक रहेगी। उदय तिथि में चतुर्थी 1 नवंबर को है इसलिए करवा चौथ का व्रत बुधवार 1 नवंबर को ही रखा जाएगा। इस दिन शिव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। करवा चौथ पर पूजा के लिए तीन शुभ मुहूर्त हैं।

करवाचौथ पर तीन समय की पूजा की जाती है। सुबह के पूजन के लिए 1 नवंबर को शुभ मुहूर्त 7 बजकर 55 मिनट से लेकर 9 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप अमृत चौघड़िया में सुबह की पूजा कर सकते हैं। इसके बाद 10 बजकर 41 मिनट से लेकर 12 बजकर 4 मिनट तक शुभ चौघड़िया में पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा। शाम के लिए पूजा के लिए लााभ चौघड़िया 4 बजकर 13 मिनट से शाम में 5 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इस दौरान पूजन करना लाभप्रद रहेगा।


करवा चौथ पर चांद निकलने का समय 2023


करवा चौथ पर महिलाओं को चांद का दीदार करने के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। सभी शहरों में अलग अलग समय पर चांद दिखाई देता है। इस बाद चंद्रोदय का समय 8 बजकर 15 मिनट पर होगा। दिल्ली में इस समय चांद दिखाई देगा। जबकि बाकी शहरों में अलग अलग समय पर चांद निकलेगा।


पंचांग अनुसार करवा चौथ 2023 में तिथि एवं समय (Karwa Chauth 2023 Date)


हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष करवा चौथ का त्योहार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस प्रकार वर्ष 2023 में करवा चौथ का पर्व 1 नवम्बर को मनाया जाएगा।


करवा चौथ की पौराणिक कथा

करवा चौथ से जुड़ी एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसे करवा चौथ का व्रत रखने वाली सुहागिन स्त्रियां इस कथा का वाचन करती है तथा विधिवत सुनती है। एक पौराणिक कथा में बताया गया है कि एक गांव में
एक साहूकार था। उसके सात बेटे थे और एक बेटी थी। वह सातों भाईयों की प्यारी बहन थी। एक साथ ही बैठकर खाना खाते थे। एक दिन कार्तिक की चौथ आई तो उसकी बहन ने करवाचौथ का व्रत रखा। सारे भाई भोजन करने आए और अपनी बहन से बोले- आ बहन! तू भा खाना खा ले। उनकी माँ बोली- आज यह खाना नहीं खाएगी। इसका करवाचौथ का व्रत है। जब चाँद निकलेगा तभी खाना खाएगी। तो उसके भाइयों ने छल-कपट से जंगल में आग जलाकर छलनी में से चाँद दिखा दिया तो वह अपनी भाभियों से बोली- चलो भाभी चाँद निकल आया है। अरग दे लो। तो उसकी भाभी बोली- ये तो तेरा चाँद निकला है। हमारा तो रात को निकलेगा। यह सुनकर भाईयों के कहने से उसने चाँद को अरग दे दिया और खाने बैठ गई। पहला टुकड़ा तोड़ा बाल निकला, दूसरा टुकड़ा तोड़ा छींक मारी, तीसरा टुकड़ा तोड़ा तो राजा के घर से बुलावा आ गया कि राजा का लड़का बीमार है जल्दी भेजो। माँ ने लड़की के पहनने के लिए तीन बार सन्दुक खोला तीनों बार सफेद कपड़े निकले। अब उसको सफेद कपड़े पहनाकर ही ससुराल भेज दिया और माँ ने लड़की के पल्ले में एक सोने का सिक्का बाँध दिया और बोली- रास्ते में जो भी मिले पैर पड़ती जाना जो तुझे सुहाग की आशीष दे उसे सोने का सिक्का दे देना और पल्ले को गाँठ लगा लेना। अब उसे रास्ते में जो कोई भी मिला सबके पैर पड़ी पर किसी ने भी सुहाग की आशीष नहीं दी। अब वह ससुराल में आई तो दरवाजे पर छोटी ननद खड़ी थी। वह उसके पैर पड़ी तो ननद बोली सीली हो, सपूती हो, सात बेटों की माँ हो, मेरे भाई का सुख देख। अब उसने सोने का सिक्का ननद को देकर पल्ले को गाँठ मार ली। उसके बाद वह अंदर आई। आकर देखा कि उसका पति मरा पड़ा है। अब वह उसे लेकर एक कोठरी में पड़ी रही। एक साल तक उसकी सेवा करी। उसकी सास बान्दी के हाथ बची-खुची रोटी भेज देती। इस प्रकार उसे अपने पति की सेवा करते-करते एक साल हो गया। करवाचौथ का व्रत आया। सारी पड़ोसनों ने नहा-धोकर करवाचौथ का व्रत रखा। सबने सिर धोकर हाथों में मेंहदी लगाई, चूड़ियां पहनीं। वह सब देखती रही। एक पड़ोसन बोली- तू भी करवाचौथ का व्रत कर ले। तब वह बोली- मैं कैसे करूँ?तो वह बोली- चौथ माता की कृपा से सब ठीक हो जाएगा। उसके कहने से उसने भी व्रत रखा। थोड़ी देर के बाद करवे बेचने वाली आई-करवे लो री करवे लो। भाईयों की प्यारी, करवे लो। ऐ करवे वाली मेरे को भी करवे दे जा। वह कहने लगी- मेरी दूसरी बहन आएगी वो तेरे को करवे देगी। दूसरी आई- करवे लो री करवे लो। भाईयों की प्यारी, करवे लो। ऐ करवे वाली! मेरे को भी करवे दे जा। तो वह बोली- मेरी तीसरी बहन आएगी वो तेरे को करवे देगी। इस तरह पाँच बहन आकर चली गईं। पर किसी ने भी करवे नहीं दिए। फिर छठी बहन आई और बोली- मेरी सातवीं बहन आएगी वह तुझे करवे देगी। बस तू सारे रास्ते में काँटे बिखेरकर रख देना। जब वह खूब चिल्लाती हुई आएगी तो उसके पैर में काँटा चुभ जाएगा तब तू सूई लेकर बैठ जाना और उसका पैर पकड़कर छोड़ना मत और उसके पैर का काँटा निकाल देना तो वह तेरे को आशीर्वाद देगी। भाई जियो सांई जियो। जब वह तुझे आशीर्वाद देगी तो तुम उससे करवे माँग लेना। तब वह तुझे करवे देकर जाएगी फिर तू उजमन करना जिससे तेरा पति अच्छा हो जाएगा। अब उसने वैसा ही किया। सारे रास्ते में काँटे बिछा दिए । जब वो करवे लेकर खूब चिल्लाती हुई आई तो उसके पैर में काँटा चुभ गया। उसने उसका पैर पकड़कर छोड़ा नहीं और उसके काँटे निकाल दिये। तो उसने आशीर्वाद दिया। तब वह बोली- जब तूने मुझे आशीर्वाद दिया है तो करवे भी देकर जा। तो वह बोली- तूने तो मुझे ठग लिया। यह कह कर उसने उसे करवे दे दिए। अब करवे लेकर उसने उजमन की तैयारी की। व्रत रखा। राजा का लड़का ठीक हो गया और बोला- मैं बहुत बोली- सोये नहीं, बारह महीने हो गए तेरी सेवा करते-करते। फिर उसने चौथ माता का उजमन अच्छी तरह से किया। अब उसने चौथ माता की कहानी सुनी और उजमन करा। अब वे दोनों चौपड़ खेलने लग गए। इतने में उसकी बान्दी तेल की पली और गुड़ की डली लेकर आ गई। दोनों को खेलते देखकर सासू से जाकर बोली- महलों में खूब रौनक है। तेरी बहू चौपड़ सार खेल रही है। इतना सुनकर सासू देखने को आई। दोनों को देखकर बहुत खुश हो गई। बहू ने सासू के पैर दबाए और बहू सच-सच बता तूने क्या किया? उसने सारा हाल अपनी सासू को बताया तो राजा ने सारे शहर में ढिंढोरा पिटवाया कि अपने पति की जीवन सुरक्षा के लिए सब बहनें करवाचौथ का व्रत रखें पहले करवे को अपने पीहर में जाकर उजमन करें। हे चौथ माता! जैसा राजा के लड़के को जीवन दान दिया वैसे सब किसी को देना।

2 comments:

  1. बहुत बढ़िया जानकारी करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं

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