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Tuesday, October 26, 2021

Dengue Disease :बिना बुखार का एफेब्रिल डेंगू तथा खतरनाक डेंगू लक्षण,उपचार एवं बचाव

Dengue fever Aedes aegypti
Dengue Fever Symptoms, Prevention, Treatment & Health & Hygiene


डेंगू रोग क्या है ?What is Dengue?

•लक्षण
•बचाव
•उपचार 
डेंगू Dengue एक विषाणु Virus से फैलने वाली बीमारी है जो एडीस इजिप्टाई Aedes aegypti नामक संक्रमित मादा मच्छर काटने से फैलती है।
डेंगू एक विषाणुजन्य बीमारी है, जो कि मच्छरों के काटने से फैलती है मतलब मच्छर इस बिमारी के वायरस को फ़ैलाने का काम करते हैं। मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होने वाला डेंगू बुखार दुनिया भर में सबसे ख़तरनाक डिजीज मानी जाती है हड्डी तोड़ बुखार बहुत दर्दनाक होता है

डेंगू फैलाने वाले मच्छर के बारे में जानकारी


• वर्षा ऋतु के दौरान बहुतायत से पाये जाते हैं।
•यह मच्छर प्राय: घरों, स्कूलों और अन्य भवनों में तथा इनके आस-पास एकत्रित खुले पानी में अण्डे देते हैं।
• डेंगू फैलाने वाले मच्छर प्राय: दिन में ही काटते हैं और इनके शरीर पर सफेद और काली पट्टी होती है इसलिए इनको “टाइगर मच्छर" भी कहते हैं।
•यह मच्छर निडर होता है और ज्यादातर दिन के समय ही काटता है।
•16 मई को भारत में नेशनल डेंगू डे के तौर पर मनाया जाता है। हालांकि भारत में मच्‍छरों से फैलने वाली इस बीमारी का प्रसार बरसात के दिनों में ज्‍यादा होता है 

डेंगू लक्षण Dengue Symptoms


•अचानक तेज बुखार।
• सिर में आगे की ओर तेज दर्द।
• आँखों के पीछे व आँखों के हिलने से दर्द।
• मांसपेशिया व जोड़ों में दर्द।
•स्वाद का पता न चलना व भूख न लगना।
•छाती व ऊपरी अंगों पर खसरे जैसे दाने।
•चक्कर आना।
•जी घबराना व उल्टी आना।

डेंगू के प्रकार Types of Dengue

डेंगू के सामान्यतः चार प्रकार माने जाते हैं।

1. साधारण डेंगू

साधारण (क्लासिकल) डेंगू बुखार की अवधि लगभग 5-7 दिन तक रहती है और रोगी ठीक हो जाता है। अधिकतर मामलों मे रोगियों को साधारण डेंगू बुखार ही होता है। लेकिन स्थिति बिगड़ने पर कुछ लक्षण प्रकट होते है तो DHF होने की संभावना रहती है।

2. रक्त स्त्राव वाला डेंगू

यह डेंगू की खतरनाक स्टेज होती है जिसमें प्लेटलेट्स गिर जाती है जिससे रोगी में रक्त स्राव की समस्या होनी लगती है।

3. डेंगू शॉक सिन्ड्रोम (Shock Syndrome)

यह डेंगू बुखार की दूसरी और तीसरी स्‍टेज में होता है। जब मरीज का बुखार कई दिन तक नहीं उतरता है और बदन दर्द भी होने लगता है तो इसकी शुरुआत होती है। होंठ नीले पड़ने लगते हैं। त्‍वचा पर लाल चकत्‍ते और दाने तेजी से उभरते हैं।

4.खतरनाक डेंगू 

डेंगू की स्थति बिगड़ जाने पर यह जानलेवा साबित हो जाता है। लेकिन अक्सर ऐसा बहुत कम होता है। 
खतरनाक डेंगू और उसके लक्षण 
•शरीर की चमड़ी पीली तथा ठण्डी पड़ जाना।
•नाक, मुँह और मसूड़ों से खून बहना।
• चमड़ी में घाव पड़ जाना।
• पेट में तेज दर्द होने से लगातार कराहना।
•प्यास ज्यादा लगना (गला सूख जाना)।
•नब्ज कमजोर होकर तेजी से चलना।


डेंगू से बचाव कैसे करें how to prevent dengue?


•घर एवं आसपास के कचरे का निस्तारण सही प्रकार से करें। 
•पानी के टैंक, कूलर, पानी से भरे बर्तनों को सप्ताह में एक बार खाली करके एवं सुखा कर पुन: पानी से भरे
• घर में रखे गमलों आदि में टेमिफोस नामक दवा का •छिड़काव स्वास्थ्य कार्यकर्ता के निर्देशानुसार करें।
• गंदगी नहीं होने दें आसपास के जलाशयों को स्वच्छ रखें।
• संतुलित आहार लें
• पर्याप्त पानी पिएं
• बुखार के लक्षणों के समय तुंरत जांच करवाकर चिकित्सक से संपर्क करें।

डेंगू का उपचार treatment of dengue?


•लक्षण नजर आते ही चिकित्सक से संपर्क करें।
•समय-समय पर जाँच कराएं।
•मच्छरों के काटने से बचें
•फलों का सेवन करें।
•खुब पानी पिएं

एफेब्रिल डेंगू' क्या है?

'एफेब्रिल डेंगू' febrile dengue यानी बिना बुखार वाला डेंगू। आम तौर पर होने वाले डेंगू में मरीज़ को तेज़ बुखार होता है। उसके शरीर में भयानक दर्द होता है। लेकिन मधुमेह के मरीज़ों, बूढ़े लोगों और कमज़ोर इम्यूनिटी वाले लोगों में बुखार के बिना भी डेंगू हो सकता है। इसके अलावा कैंसर रोगियों जो किमोथेरेपी से गुजर रहे हैं तथा कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को खतरा रहता है। इस डेंगू की पहचान करना थोड़ा मुश्किल होता है, ऐसे मरीज़ों को बुखार तो नहीं होता, लेकिन डेंगू के दूसरे लक्षण ज़रूर होते हैं। ये लक्षण भी काफी हल्के होते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं इस तरह का डेंगू ख़तरनाक हो सकता है, क्योंकि मरीज को पता ही नहीं होता कि उसे डेंगू हो गया है। कई बार वो डॉक्टर के पास भी नहीं जाते। है।

प्लेटलेट्स बिम्बाणु या थ्रॉम्बोसाइट क्या है कैसे बढ़ाएं इनकी संख्या Platelets Ka Kya Kaam Hota Hai


प्लेटलेट्स(platelets platelets or thrombocytes) हमारे शरीर की लाल रक्त कणिकाओं तथा सफेद रक्त कणिकाओं (WBC-RBC) जैसी कोशिकाएं होती हैं जो ब्लड को बहने से रोकती है। शरीर में किसी चोट या अन्य कारण से वेसल्स से ब्लीडिंग होने पर प्लेटलेट्स की मदद से ब्लड को रोका जाता है। मतलब रक्त का थक्का बनने में डिम्बाणु सहायक होते हैं। यदि किसी स्थिति में प्लेटलेट्स की संख्या में कमी या वृद्धि होने लगता है तो कई तरह की बीमारियाँ होना शुरू हो जाती हैं। आमतौर प्लेटलेट्स की कमी समस्या का कारण बनती है। प्लेटलेट्स ब्लड में मौजूद एलेमेंट्स होते हैं, जो पानी के समान द्रव और कोशिकाओं से बनी होते हैं। इन सेल्स में ऑक्सीजन को ले जाने वाली रेड ब्लड सेल्स RBC भी होता हैं। प्लेटलेट्स ब्लड में मौजूद माइक्रो पार्टिकल्स होते हैं यह हमारे रक्त में मोजुद तीसरे सबसे महत्वपूर्ण कण होते हैं। स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में (1,50,000 से 4,00000) डेढ़ से चार लाख प्रति माइक्रोलीटर प्लेटलेट्स होती हैं। किसी कारण से यदि ये 50 हजार से कम हो जाएं तो चिंता की बात नहीं होती है लेकिन इससे भी कम होने पर रक्तस्त्राव होता है। यदि 10-20 हजार की संख्या रहे तो यह स्थिति इमरजेंसी की है। डेंगू बुखार में अक्सर प्लेटलेट्स कम होने की शिकायत होती है।


प्लेटलेट्स कैसे बढ़ाएं Platelets kaise badhayen?


मानव का स्वस्थ शरीर बिम्बाणु या प्लेटलेट्स को बनाता रहता है लेकिन इसी बिमारी या अन्य किसी कारणवश इनकी संख्या में गिरावट आने पर प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ाया जा सकता है जिसमें संतुलित आहार, विभिन्न प्रकार के फल आदि का सेवन करने से इनकी संख्या में इजाफा होता है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीना , फल मेवों का सेवन तथा विभिन्न प्रकार से बिम्बाणुओं की संख्या को इंक्रीज किया जा सकता है। बकरी का दूध भी प्लेटलेट्स बढ़ाने में बहुत लाभकारी होता है, किवी फल , गिलोय, पपीता,नारीयल पानी आदि फल प्लेटलेट्स बढ़ाने तथा डेंगू की रोकथाम में काफी सहायक सिद्ध होते हैं। आंवला,गाजर,आदि फल प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने में सहायक होते हैं। पपीता तो प्लेटलेट्स बढ़ाने में रामबाण की तरहां हैं पपीता तो लाभदायक है ही लेकिन पपीते के छिलके और पते भी बहुत लाभदायक मानें जातें हैं। पपीते के पत्तों को पानी में उबालकर उसे ग्रीन टी के रूप में पीने से काफी लाभ होता है। इससे बिम्बाणुओं की संख्या बढ़ाने में इजाफा होता है। इसके अलावा लाल रक्त कणिकाओं को बढ़ाने वाले सभी आयरन युक्त फल चुकंदर,गाजर,सेव,अनार आदि लाभदायक मानें जातें हैं।

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है।अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। जागृति पथ इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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