शारदीय नवरात्र: मां दुर्गा के नौ रूपों की विधिपूर्वक पूजा अर्चना तथा नवरात्र का इतिहास और धार्मिक महत्वJagriti PathJagriti Path

JUST NOW

Jagritipath जागृतिपथ News,Education,Business,Cricket,Politics,Health,Sports,Science,Tech,WildLife,Art,living,India,World,NewsAnalysis

Thursday, October 7, 2021

शारदीय नवरात्र: मां दुर्गा के नौ रूपों की विधिपूर्वक पूजा अर्चना तथा नवरात्र का इतिहास और धार्मिक महत्व

Navratri Ma Durga Ke Nau Roop
Happy Navratri 2021 Wishes Images, Messages, Photos, and Status  Brahmacharini, Chandraghanta,Shailputri, Kushmanda ,Skandmata ,Katyayani , Kalratri ,Mahagauri, Siddhidatri.


नवरात्र घटस्थापना पूजा,अर्चना,आरती,मंत्र Ma Durga ke Nau Roop Kalash sthapna


शक्ति उपासना तथा मां दुर्गा की आराधना के सबसे पवित्र नव दिवस नवरात्र यानी शारदीय नवरात्रि का पर्व प्रारंभ हो चुका है। विक्रमी संवत 2078 के शारदीय नवरात्र आश्विन प्रतिपदा  7 अक्टूबर 2021 से शुरू हो गये है यह 14 अक्टूबर नवरात्रि उत्सव तक मनाएं जायेंगे। इस प्रकार15 अक्टूबर 2021 को दशहरा उत्सव अर्थात विजयादशी रहेगी। राजस्थान सहित संपूर्ण भारत में नवरात्रि का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। देवालयों में नवरात्र कलश स्थापना तथा देश के 51 शक्तिपीठों में पूजा अर्चना शुरू हो जाती है। दुर्गा भक्त नवरात्र को लगातार नौ दिनों तक उपवास रखते हैं। इस दिन सभी मंदिरों में नवरात्र स्थापना और भजन कीर्तन शुरू हो जातें हैं। देवालयों में नौ दिनों तक अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है। भारत के प्रत्येक अंचल में इस त्यौहार को विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है 
पश्चिम बंगाल में नवरात्रि के आखिरी चार दिनों यानी षष्ठी से नवमी तक दुर्गा उत्सव मनाया जाता है तो गुजरात में गरबा नृत्य का आयोजन होता है तो कुछ स्थानों पर   रामलीला का आयोजन और मंचन किया जाता है। तो  आइए  जानते हैं कि नवरात्रि के 9 दिन ही क्यों होते हैं खास तथा इन नौ दिनों के पीछे का क्या है इतिहास।


नवरात्र मनाने का इतिहास एवं कारण


भारतीय प्राचीन ग्रंथों एवं साहित्य में नवरात्र मनाने के पीछे कई कारण बताएं गये है। तो कुछ मान्यताएं भी प्रचलित है। नवरात्र मनाने के कारण और इतिहास के बारे में एक
 पौराणिक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार मां दुर्गा ने महिषासुर नाम के राक्षस का वध किया था । महिषासुर के वध के लिए देवी दुर्गा का जन्म हुआ था‌ । मां दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक घमासान युद्ध चला और दसवे दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था।

भगवान श्री राम की शक्ति पूजा एवं नवरात्र


भगवान श्री राम ने इन नौ दिनों तक शक्ति पूजा की थी जिससे उनकी दिव्य शस्त्र शक्ति प्रभाव में आ सकें। इसलिए भगवान श्री राम ने रावण पर विजय पाने के लिए नौ दिन तक कठिन तपस्या कर मां शक्ति से वरदान मांगा था। भगवान श्री राम हमेशा मां शक्ति को कमल का फूल चढ़ाते थे। भगवान राम के नयन कमल जैसे होने के कारण राम की माता श्री कौशल्या उन्हें राजीव नयन तथा कमल नयन कहकर पुकारती  हैं। जब श्री राम के शक्ति पूजन का अन्तिम दिन था। तब मां शक्ति श्री राम के धैर्य की परीक्षा लेने के लिए एक कमल को चुरा लेती है। जब मां शक्ति पुजा अर्चना के बाद श्री राम से शुद्ध और ताजा कमल पुष्प मांगती है तब श्री राम अपने शक्ति पूजन की सफलता और मां शक्ति के वचनों को पूरा करने के लिए व्यथित होने लगते हैं तब उनको याद आता है कि मेरी मां मुझे कमल नयन कहकर पुकारती है तो मैं कमल के पुष्प के रूप में मेरा एक नयन मां शक्ति को भेंट करके पूजा में चढ़ा दूं तो मेरी शक्ति पूजा की सार्थकता बनी रहेगी।
फलसिद्धि तथा अपनी दिव्य शक्ति लौटाने के लिए धैर्यवान और पुरूषोत्तम श्री राम ने तरकस में से तीर निकालकर अपनी एक आंख मां शक्ति को चढ़ाने के लिए हाथ बढ़ाया तभी मां शक्ति साक्षात् दर्शन देकर भगवान राम का हाथ पकड़ लिया और श्री राम को विजय श्री का वरदान दिया। इस प्रकार अगले दिन विजयादशमी को श्री राम को विजय श्री प्राप्त होती है।

ऋतु सहित प्राकृतिक परिवर्तन से जुडा नवरात्र का पर्व


दरअसल इन नौ दिनों में प्रकृति में विशेष प्रकार का परिवर्तन होता है और ऐसे समय हमारी आंतरिक चेतना और शरीर में भी परिवर्तन होता है। प्रकृति और शरीर में स्थित शक्ति को समझने से ही शक्ति की आराधना का भी महत्व समझ में आता है। चैत्र और आश्विन के नवरात्रि का समय ऋतु परिवर्तन का समय है। ऋतु-प्रकृति का हमारे जीवन, चिंतन एवं धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इसीलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने बहुत सोच-विचार कर सर्दी और गर्मी की इन दोनों महत्वपूर्ण ऋतुओं के मिलन या संधिकाल को नवरात्रि का नाम दिया। भारत में सनातन संस्कृति के अनुसार कुल चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि प्रमुख मानी जाती हैं। 13 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो गई है, नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री वहीं दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। इस प्रकार नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित होता है तथा नौ दिनों में मां शक्ति के प्रत्येक रूप की विधि विधान से पूजा अर्चना और आराधना की जाती है।


माता दुर्गा के 9 रूप 

1.शैलपुत्री 2.ब्रह्मचारिणी 3.चंद्रघंटा 4.कुष्मांडा 5.स्कंदमाता 6.कात्यायनी 7.कालरात्रि 8.महागौरी 9.सिद्धिदात्री। इसीलिए इन नौ रूपों के अनुसार नवरात्रि के 9 दिन होते हैं। जिनकी विधिपूर्वक पूजा अर्चना की जाती है।


मां दुर्गा के नौ रूपों के नौ मंत्र


नवरात्र को मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते समय मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना करते समय इन मंत्रों का उच्चारण जरूर करें।

1.वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम्‌।
वृषारूढां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥
2.दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
3.पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।
4.सुरासंपूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।।
5.सिंहासनगता नित्यं, पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी, स्कंदमाता यशस्विनी।
6.चंद्रहासोज्ज्वलकरा, शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यात्, देवी दानवघातनी।।
7.एकवेणी जपाकर्ण, पूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी, तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोह, लताकंटकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा, कालरात्रिभयंकरी।।
8.श्वेते वृषे समारूढा, श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यात्, महादेवप्रमोददाद।।
9.सिद्धगंधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

नवरात्र की पूजा विधि एवं मूहूर्त


नवरात्रि के पहले दिन स्नान आदि कर निवृत्त हो जाएं। इसके बाद पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें, फिर पूजा स्थल पर चौकी रखें, उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। अब चौकी के पास मिट्टी के बर्तन में ज्वार बोएं। इसके बाद मां भगवती की प्रतिमा स्थापित करें। प्रतिमा के सामने चौकी पर कलश की स्थापना करें, कलश स्थापना के लिए सबसे पहले स्वास्तिक बना लें। कलश में दो सुपारी अक्षत, रोली और सिक्के डालें और फिर एक लाल रंग की चुनरी उस पर लपेट दें। फिर आम के पत्तों से कलश को सजाएं और उसके ऊपर पानी वाला नारियल रखें। धूप, अगरबत्ती जलाकर दुर्गा चालीसा पढ़े। अंत में मां की आरती करें।
शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना का शुभ समय सुबह 06 बजकर 17 मिनट से सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक ही है। कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन यानी 07 अक्टूबर, गुरुवार को ही की जाएगी।

अस्वीकरण:
यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है इसलिए इस लेख की सामग्री कानुनी वाद विवाद के लिए उपयोगी नहीं है। इस लेख के तथ्यों की सटीकता और आधार के लिए यह वेबसाइट उत्तरदाई नहीं है। 


No comments:

Post a Comment


Post Top Ad