पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी के पीछे का गणित तथा केन्द्र व राज्यों के टैक्स एवं VATJagriti PathJagriti Path

JUST NOW

Jagritipath जागृतिपथ News,Education,Business,Cricket,Politics,Health,Sports,Science,Tech,WildLife,Art,living,India,World,NewsAnalysis

Thursday, September 30, 2021

पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी के पीछे का गणित तथा केन्द्र व राज्यों के टैक्स एवं VAT

Petrol diesel Rates Gst VAT
The math behind the increase in the prices of petrol and diesel and the taxes and VAT of the Center and the states

पेट्रोल और डीजल के दाम टैक्स VAT तथा क्रूड ऑयल


पेट्रोल और डीजल के दामों में आई बढ़ोतरी से देश का हर नागरिक समस्याओं का सामना कर रहा है। पेट्रोल और डीजल के भाव बढ़ने से यातायात सहित हर तरफ से मंहगाई की मांग झेल रहा है। पेट्रोल और डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं एक तरफ महंगाई दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। पेट्रोल और डीजल के दामों में उछाल लेते हुए दाम बढ़े हैं तो लोग विभिन्न प्रकार अपने अपने बयान देते दिखाई दे रहे हैं कोई केन्द्र सरकार को दोषी बता रहा है तो कोई राज्य सरकारों के सिर पर दोष मढ रहे हैं। पेट्रोल और डीजल के साथ साथ रसोई गैस के दामों में हैरान करने वाला उछाल आया है। पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों का सीधा असर मुद्रास्फीति (inflation) मतलब महंगाई पर पड़ रही है। ईंधन के दामों की बढ़ौतरी का असर गरीब व्यक्ति की जेब पर सीधा प्रभाव डालता है।
आइए समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर पेट्रोल और डीजल के दामों में इतनी बढ़ोतरी क्यों हो रही है? पेट्रोल और डीजल के क्रय विक्रय में राज्यों की क्या स्थिति है।

पेट्रोल डीजल के दामों में बढ़ोतरी के कारण तथा क्रूड ऑयल

वैसे माना जाता है कि पेट्रोल-डीजल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से बढ़ती है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घट जाने के बाद भी घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ते ही जाते हैं।
पेट्रोल की कीमत बढ़ने का एक प्रमुख कारण स्थानीय करों की ज्यादा वसूली है। बढते दामों के लिए केन्द्र सरकार के टेक्स तथा राज्य सरकारों के टेक्स भी समान रूप से उत्तरदाई होते हैं। विभिन्न करों तथा तेल की खरीदारी तथा आयात निर्यात आदि से गुजर कर पेट्रोल डीजल आम उपभोक्ता तक पहुंचते-पहुंचते बढ़े हुए दामों में पहुंचता है। देश में पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों से जनता प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से मार झेलती है। वर्तमान में डीजल और पेट्रोल 100 रूपए प्रति लीटर के अरीब-करीब पहूंच गया है।
भारत मुख्य रूप से आयात के माध्यम से अपनी घरेलू तेल की मांग को पूरा करता है। अपनी जरुरत का लगभग 80 से 85 प्रतिशत कच्चा तेल बाहर से आयात करता है। कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) द्वारा तय की जाती है। इसलिए देश को भी उसी कीमत पर कच्चा तेल खरीदना पड़ता है जो वहां तय होता है। इसलिए आए दिन सरकारी तेल कंपनिया पेट्रोल-डीजल की कीमत रोज निर्धारित करती है। दुसरी तरफ भारत में केन्द्र सरकार भी राजस्व की लालसा में विभिन्न करों में कटौती नहीं करती है क्योंकि पेट्रोल-डीजल से अच्छी खासी कमई भी होती है। इसलिए भारत में बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कीमतों के बीच भी केन्द्र सरकार और राज्य सरकारें अपने करों में कटौती नहीं करती नजर आ रही है। दूसरी तरफ तेल की मंहगाई का कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार ने ईंधन का कम उत्पादन तथा अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए विनिर्माण देश कम ईंधन का उत्पादन कर रहे हैं। इससे तेल खरीदार देश दयनीय स्थिति में हैं। 

पेट्रोल-डीजल पर सबसे ज्यादा कमाई करने वाले राज्य


पेट्रोल-डीजल पर सबसे ज्यादा कमाई करने वाले राज्यों की बात करें तो आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में यह स्थति है। हालांकि पेट्रोल-डीजल पर टैक्स वसुलने में राज्यों का अलग-अलग अनुपात है।
महाराष्ट्र 25,430 करोड़ रुपये
उत्तर प्रदेश 21,956 करोड़ रुपये
तमिलनाडु 17,063 करोड़ रुपये
कर्नाटक 15,476 करोड़ रुपये
गुजरात 15,141 करोड़ रुपये
राजस्थान 15,119 करोड़ रुपये
मध्य प्रदेश 11,908 करोड़ रुपये
आंध्र प्रदेश 11,041 करोड़ रुपये

पेट्रोल डीजल के दामों में बढ़ोतरी का कारण है VAT

विभिन्न राज्यों द्वारा पेट्रोल डीजल पर वेट के कारण मंहगे दामों में मिलता है। वेट का भारी भरकर अनुपात दरों में बढ़ोतरी का मुख्य कारण है। माना जाता है कि अगर पेट्रोल डीजल GST के दायरे में आने पर VAT खत्म हो जाएगा। इस प्रकार अगर पेट्रोल-डीजल के दाम जीएसटी के दायरे में आते हैं तो ये आमजन के लिए राहत की बात होगी। जिससे पूरे देश में पेट्रोल-डीजल समान दाम पर बिकेगा। जीएसटी में आने पर केंद्र की एक्साइज और राज्यों का वैट खत्म हो जाएगा। जीएसटी का सबसे बड़ा स्लैब 28 फीसदी का है जो आज लग रहे टैक्स से काफी कम है। हर राज्य में पेट्रोल-डीजल पर अलग अलग टैक्स है। यदि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया गया, तो केंद्र और राज्य सरकारों को 4.10 लाख करोड़ के राजस्व से वंचित होना पड़ेगा।

No comments:

Post a Comment


Post Top Ad