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Attack on Jammu Air Force Station प्रतिकात्मक फोटो |
जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर हमला:पहली बार सैन्य ठिकाने पर ड्रोन हमला
हाल ही में जम्मू में भारतीय वायुसेना स्टेशन पर दो धमाके हुए थे। जिसकी चर्चा सुर्खियों में है। खबरों के मुताबिक इस हमले को ड्रोन हमला माना जा रहा है । आइए जानते हैं कि ड्रोन हमला कैसे होता है?यह ड्रोन रडार को चकमा देकर कैसे पहुंच जाते हैं? पहले जानते हैं कि आखिर जम्मू में एयर स्टेशन पर हुए हमले की पूरी कहानी क्या है।
भारतीय न्युज एजेन्सी आजतक के मुताबिक
जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर हाल ही में दो धमाके हुए थे वायुसेना का कहना है कि दोनों ही धमाकों की इंटेसिटी बहुत कम थी और पहला धमाका छत पर हुआ, इसलिए छत को नुकसान पहुंचा है, लेकिन दूसरा धमाका खुली जगह पर हुआ था धमाके में दो जवानों को भी मामूली चोटें आई हैं।
इस धमाके को ड्रोन अटैक माना जा रहा है। शुरुआती जानकारी में सामने आया है कि ड्रोन अटैक के जरिए यहां खड़े एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर को टारगेट करने की कोशिश की गई थी। अगर ये धमाका ड्रोन हमला साबित हो जाता है तो ये देश के सैन्य ठिकाने पर हुआ देश का पहला ड्रोन अटैक होगा।
वायुसेना की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है, लेकिन अभी तक हुई जांच में ड्रोन हमले का शक जताया गया है। इसकी एक वजह ये भी है कि ये धमाके टेक्नीकल एरिया के पास हुए हैं, जो साफ दिखाता है कि टारगेट एयरक्राफ्ट थे। इसके अलावा सूत्रों का ये भी कहना है कि वायुसेना की पेट्रोलिंग टीम ने हथियारों को गिरते देखा था। अगर जांच में इस धमाके के पीछे ड्रोन हमले के सबूत मिल जाते हैं, तो ये देश के किसी सैन्य ठिकाने पर हुआ पहला ड्रोन हमला होगा। इससे पहले आजतक किसी भी सैन्य ठिकाने पर ड्रोन अटैक नहीं हुआ है।
कैसे होता है ड्रोन से हमला?
हम जानते हैं कि ड्रोन स्वचालित एवं मानव रहित होते हैं जो मानव द्वारा रिमोट कंट्रोल होते हैं। हालांकि ड्रोन अधिकतर फोटोग्राफी के लिए उपयोग किए जाते हैं लेकिन आजकल एडवांस तकनीक के ड्रोन जो शक्तिशाली होते हैं इसलिए इन ड्रोन पर विस्फोटक सामग्री लैंस करके टारगेट पर गिराया जाता है। कुछ बड़े ड्रोन भारी भरकम हथियारों को लेकर उड़ने में सक्षम होते हैं।
रडार की नजर से कैसे बच जाते हैं ड्रोन
ड्रोन बनावट और डिजाइन में कई तरह के हो सकते हैं यह बहुत छोटे से बहुत बड़े भी हो सकतें हैं। छोटे ड्रोन आकार में छोटे होने के कारण रडार की पकड़ में नहीं आते
दूसरी तरफ ये काफी नीचे उड़ते हैं और इनका रडार की पकड़ में आना मुश्किल हो जाता है। छोटे छोटे ड्रोन को कैच करने के लिए अलग तकनीक के विशेष रडार सिस्टम होना जरूरी है। लेकिन यह विशेष रडार हर जगह तैनात नहीं होते । हालांकि ड्रोन को इंटरसेप्ट करने के एयर डिफेंस सिस्टम मौजूद हो सकतें हैं। हाल ही में जम्मू हमले में अधिकारियों ने बताया कि दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सीमावर्ती इलाकों में तैनात रडार द्वारा ड्रोन का पता नहीं लगाया जा सकता। उन्होंने संकेत दिया कि एक अलग रडार प्रणाली लगाई जा सकती है जो एक पक्षी के रूप में छोटे ड्रोन का भी पता लगा सकती है।
आधुनिक ड्रोन तकनीक से भविष्य में ख़तरा
हम जानते हैं कि भविष्य में ड्रोन के दुरपयोग की चिंता साफ़ है कि आंतकी लोग या अपराधी लोग ड्रोन पर हथियार लैंस करके विभिन्न प्रकार के अपराधों को अंजाम दे सकते हैं। आजकल ऐसी घटनाएं भी सामने आने भी लगी है। जिसमें ड्रोन पर विस्फोटक सामग्री लगाकर किसी निश्चित स्थान पर गिराकर किसी घटना को अंजाम भी दिया जा सकता है। यह घटना अगर ड्रोन से जुड़ी हुई है तो हम निश्चित ही कह सकते हैं कि ड्रोन तकनीक भविष्य में हमलों के लिए अभिशाप बन जाएगी।
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