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Monday, June 7, 2021

वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण, जानें सूतक काल के नियम और उपाय तथा खगोलीय दृष्टिकोण

Solar Eclipse
Solar Eclipse2021

वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण Solar Eclipse 2021


वर्ष 2021 में चन्द्र ग्रहण के बाद मौजूदा वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून गुरुवार को लग रहा है। इसलिए इस बार का सूर्य ग्रहण कई मायनों में खास रहने वाला है। भारत में सूर्य ग्रहण दिखाई देने की बात करें तो भारत में ये सूर्य ग्रहण आंशिक तौर पर दिखाई देगा। भारतीय समय के अनुसार, सूर्य ग्रहण दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर शाम के 6 बजकर 41 मिनट पर खत्म होगा। सूर्य ग्रहण की अवधि लगभग 5 घंटे की रहेगी।
ये सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका, यूरोप, एशिया, अटलांटिक महासागर के उत्तरी हिस्से में आंशिक रूप में दिखाई देगा जबकि ग्रीनलैंड, उत्तरी कनाडा और रूस में पूर्ण सूर्य ग्रहण का नजारा देखने को मिलेगा। भारत में ये सूर्य ग्रहण सिर्फ अरुणाचल प्रदेश में दिखाई देगा। साल 2021 का अन्त भी एक सूर्य ग्रहण से होगा जो 4 दिसंबर को लगने वाला है। हालांकि, यह भारत में नहीं दिखाई देगा. विशेषज्ञों की मानें तो यह अंटार्टिका ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका में दिखाई देने वाला है.

क्या कहते हैं ग्रहण के बारे में ज्योतिष


हालांकि विज्ञान के अनुसार सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है। भौतिक विज्ञान की दृष्टि से जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा का बिल्कुल सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाने से धरती से सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढका हुआ दिखाई देता है। इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। लेकिन ज्योतिष शास्त्र की अपनी अलग मान्यता है इस बार इस सूर्य ग्रहण के बारे में ज्योतिषियों का मानना है कि जहां सूर्य ग्रहण दिखाई देता है वहां सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल मानने की जरूरत है। इसके अलावा शेष भारत के लोगों पर सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल मान्य नहीं होगा। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, इस बार के सूर्य ग्रहण के दिन कई चीजें एक साथ घटित होंगी, जिसका प्रभाव आपके जीवन पर कई तरह से पड़ेगा। चूंकि, सूर्य ग्रहण सिर्फ अरुणाचल प्रदेश में दिखाई देगा।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, सूतक काल की गणना सूर्य ग्रहण लगने 12 घंटे पहले से की जाती है तथा सूतक काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। यहां तक कि मंदिरों के द्वार भी बन्द कर दिये जाते हैं। भोजन आदि भी इस काल में करना या बनना उचित नहीं माना जाता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, सूतक काल में केवल भगवान का भजन करने का ही विधान है।

सूर्य के बारे में वैज्ञानिक दृष्टिकोण


सूर्य हो या चन्द्र ग्रहण अगर हम विज्ञान और खगोलीय दृष्टिकोण से समझने की कोशिश करें तो यह महज खगोलीय घटनाएं हैं जो अन्य गृहों के घूर्णन काल के अनुसार पृथ्वी चन्द्रमा और सूर्य के मध्य होने वाली घटना है। जिसमें चन्द्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में सीधी लाइन में आ जाते हैं । वैज्ञानिक इन घटनाओं पर रिसर्च करते हैं। बड़ी बड़ी दूरबीन से निरीक्षण करते हैं। वहीं धार्मिक मान्यताओं में ग्रहण को लेकर कई भ्रम पैदा किए जाते हैं। सूर्य ग्रहण के समय सूर्य को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए। यह स्पष्ट है कि सूर्य से आने वाली हानिकारक किरणों से हमारी आंखों को नुक्सान पहुंचा सकता है। इस प्रकार दोनों पक्षों में विरोधाभास है ज्योतिष जहां ग्रहण अशुभ माना जाता है वही खगोलशास्त्रियों और वैज्ञानिकों के लिए यह दिन किसी उत्सव से कम नहीं होता।



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