मंगल पर चाइना की छलांग Mars mission
तिआनवेन-1 Tianwen-1
अन्तरिक्ष मिशन तथा अन्तरिक्ष से जुड़े तमाम रहस्यों को खोजने में विश्व के शक्तिशाली देशों में होड़ मची हुई है। हम जानते हैं कि वर्तमान में अमेरिका की कामयाबी और नासा के विभिन्न अनुसंधानों के सामने सब बौने साबित होते हैं।
शुरुआती दौर में सोवियत रूस अन्तरिक्ष अनुसन्धान एवं चन्द्रमा तथा अन्य ग्रहों पर अपने इक्युप्मेंट भेजने में सबसे कामयाब था। लेकिन सोवियत संघ के पतन के बाद उनकी यह रफ्तार जरूर कम हुई है। उसके बाद अमेरिका दुनिया का इकलौता देश था जिसने मंगल ग्रह, चंद्रमा सहित अन्य ग्रहों तथा अन्तरिक्ष में विभिन्न खोजों में अग्रणी बन गया था। लेकिन वर्तमान में महाशक्ति राष्ट्रों की प्रगति तथा टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में होड़ बढ़ती जा रही है। चीन की एडवांस तकनीक तथा वर्तमान में हर क्षेत्र में उभरती हुई ताकत अमेरिका को टक्कर दे रही है। इसलिए आज चीन एडवांस तकनीक, मार्केटिंग तथा मेन्युफेक्चरिंग की दौड़ में अमेरिका का चिरप्रतिद्वंद्वी बन गया है। इसलिए चाइना और अमेरिका में तनाव के हालात हैं इसी ईर्ष्या को राजनीति की भाषा में ट्रेडवार भी कहा जाता है। चीन वर्तमान में दुनिया की सबसे तेज उभरती हुई राष्ट्र शक्ति है है जो हर क्षेत्र में मील का पत्थर गाढ़ रही है। हाल ही में चीन का तिआनवेन-1 मिशन जिसने मंगल ग्रह पर बड़ी कामयाबी हासिल की है इससे चीन मंगल ग्रह पर रोवर लैण्ड कराने वाला विश्व का दूसरा देश बन चुका है हालांकि अमेरिका यह कामयाबी हासिल कर चुका है। लेकिन चीन की यह कामयाबी कहीं न कहीं अमेरिका के आंखों में जरूर खटकती होगी। आइए जानते हैं कि चीन के इस मंगल मिशन के बारे में तथा मंगल की भूमि पर लेंड होने वाले रोवर के बारे में।
चीन के तिआनवेन-1 (Tianwen-1) मिशन
चीन के तिआनवेन-1 (Tianwen-1) मिशन के साथ प्रक्षेपित 'झू रोंग' (Zhu Rong ) रोवर ने लाल ग्रह मंगल के धरातल पर 15 मई, 2021 को सफलता पूर्वक लैण्डिग की। 'झू रोंग' द्वारा मंगल ग्रह के उत्तरी गोलार्द्ध में उल्कापिण्ड के टकराने से बनी घाटी में स्थित यूटोपिया प्लेनैशिया (Utopia Planitia) नामक स्थान पर सुरक्षित लैण्ड होने में कामयाब हो गया है।
चीन का तिआनवेन-1 उन तीन अन्तर्राष्ट्रीय मंगल मिशनों में से एक है, जिसे 2020 के मध्य में लॉन्च किया गया था। इन मिशनों में तिआनवेन-1 के अलावा अमेरिका की अन्तरिक्ष एजेंसी नासा का ‘पर्सीवेरेंस रोवर' (जो फरवरी 2021 में मंगल पर उतरा ) और संयुक्त अरब अमीरात का 'होप प्रोब' जिसने मंगल ग्रह का अध्ययन करने के लिए फरवरी में मंगल की कक्षा में प्रवेश किया था वह भी सम्मिलित हैं।
कैसे हुआ रोवर झू रोंग का नामकरण
चीन के इस मिशन में मंगल पर लेंड करने वाले रोवर के नाम की बात करें तो इसका नामकरण आ संग के झू रोंग नाम चीन के अग्नि देवता के नाम पर रखा गया है।
चीन के तिआनवेन-1 मिशन में मंगल पर रोवर की सुरक्षित लेंडिंग बहुत बड़ी कामयाबी है। अन्तरिक्ष अनुसन्धान तथा मंगल की सतह पर ज्ञान आंकड़ों और दशाओं के मुताबिक मंगल ग्रह पर इसप्रकार की लेंडिंग बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण होती है। मंगल की सतह पर तेज धूल भरी आंधियों में यह काम और भी मुश्किल हो जाता है। इस मिशन का लक्ष्य मंगल ग्रह पर बर्फ का पता लगाने तथा मंगल के सतही परिस्थितियों से संबंधित अहम जानकारी जुटाना है।
कैसा है झू रोंग' Zhu Rong रोवर तथा कैसे करेगा काम
मंगल ग्रह पर पहुँचने वाले इस रोवर का भार लगभग 240 किलोग्राम है, उसमें छह पहिए और चार सौर पैनल हैं और यह प्रति घण्टे 200 मीटर तक घूम सकता है। इसमें छह वैज्ञानिक उपकरण हैं - जिनमें वहु-वर्णीय कैमरा,
रडार और एक मौसम सम्बन्धी मापक है। इसके मंगल ग्रह पर करीब तीन महीने तक काम करने की सम्भावना है। तिआनवेन एक ऑर्विटर, एक लैंडर और एक रोवर लेकर गए अन्तरिक्ष यान 'तिआनवेन-1' का प्रक्षेपण 23 जुलाई, 2020 को किया गया था। । लगभग सात माह तक अन्तरिक्ष में चक्कर काटने के बाद इसने फरवरी 2021 में मंगल ग्रह की कक्षा (Mars orbit) में प्रवेश किया था।
अगर यह सिस्टम 90 दिन तक संपर्क बनाकर आंकड़े जुटाने और भेजने में कामयाब होता है। तो चीन यह पहली ही बार में सफल कामयाबी हासिल करने वाला पहला देश होगा। रूस ने भी तीन रोवर भेजे थे लेकिन कामयाब नही हुए अमेरिका ने बहुत कोशिशों के बाद ऐसी कामयाबी हासिल की थी। मंगल की दूरी धरती से लगभग 32 करोड़ किलोमीटर है इसलिए पृथ्वी पर रेडियो संदेश भेजने में तकरीबन 18 मिनट का समय लगता है। इससे पहले चीन चन्द्रमा पर सफर लेंडिंग कर चुका है तथा आंकड़े जुटाने में भी कामयाब रहा है।
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