Cyclone Tauktae ताऊ-ते : तौकते चक्रवात क्या है? आखिर अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में क्यों और कैसे बनते हैं तुफान?Jagriti PathJagriti Path

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Monday, May 17, 2021

Cyclone Tauktae ताऊ-ते : तौकते चक्रवात क्या है? आखिर अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में क्यों और कैसे बनते हैं तुफान?

Cyclone Tauktae
Cyclone Tauktae (तौकते) प्रतिकात्मक फोटो 




अरब सागर में बने दबाव के क्षेत्र बनने की वजह से भारत पर एक बार फिर से चक्रवाती तूफन का खतरा मंडरा गया है। मौसम विभाग जानकारी ने अरब सागर में बने दबाव के क्षेत्र से 17 मई को भीषण चक्रवाती तूफान में बदलने की आंशका जताई थी । इस चक्रवाती तुफान का नाम Cyclone Tauktae (तौकते) दिया गया है।
 यह दबाव क्षेत्र आखिर चक्रवात का रूप लेकर गुजरात की तरफ बढ गया है। गुजरात तट को पार करने के बाद यह राजस्थान की ओर बढ़ने की संभावना है। यहां भारी बारिश और तेज हवाओं का दौर रहेगा जिससे जान-माल की हानि को बचाने के लिए सरकार और एनडीआरएफ की टीमें तैयार हो गई है।

मौसम विभाग ने दी चेतावनी


भारतीय मौसम विभाग आईएमडी के चक्रवात चेतावनी प्रभाग ने कहा था कि 16-19 मई के बीच पूरी संभावना है कि यह 150-160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाओं के साथ एक ''अत्यंत भीषण चक्रवाती तूफान में तब्दील होगा। हवाओं की रफ्तार बीच-बीच में 175 किलोमीटर प्रति घंटा भी हो सकती है। मौसम विभाग ने पश्चिमी तटीय राज्यों को सतर्क भी कर दिया था।


केरल कर्नाटक में मचाई अफरातफरी


बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से उठे चक्रवात अक्सर भारत के तटीय क्षेत्रों में टकराते हैं तथा धरातलीय सफर करके तेज हवाओं तथा मुसलाधार बारिश के साथ पेड़ पौधों तथा जान माल को हानि पहुंचाते हैं। इस बार अन्य तुफानों की तरह तौकते (टाउते) चक्रवात ने भी केरल, कर्नाटक और गोवा के तटवर्ती इलाकों में भारी तबाही मचाई इसको देखते हुए गुजरात और महाराष्‍ट्र राज्य अलर्ट हो गये। साथ ही गुजरात के कांडला पोर्ट बंदरगाह को भी हाई अलर्ट करते हुए सुरक्षा के चाक-चौबंद किए गए हैं।


चक्रवात तौकते का नामकरण किसने किया?


विश्व मौसम विज्ञान संगठन के (WMO) के मौसम से जुड़े विभिन्न खतरों से जुड़े चेतावनी केंद्र दुनिया भर में स्थित हैं। संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग एशिया और प्रशांत (ESCAP) के पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन (PTC) में दक्षिण एवं पूर्व एशिया 13 देश शामिल हैं जिसमें भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान, मालदीव, ओमान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर , सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन इस प्रकार यह देश अपने स्थानीय क्षेत्र में बनने वाले तुफानों का नामकरण करते हैं। इस बार एक बोलने वाली छिपकली ( Highly Vocal Lizard ) के नाम पर जो मुख्य रूप से म्यांमार में पाई जाती है इस तुफान का नाम दिया गया है यह  छिपकली  ताऊ ते (Tauktea)| नाम से जानी जाती हैं।इसी के नाम के आधार पर म्यांमार ने ताऊ ते को अरब सागर में उठे चक्रवात को नाम दिया  है। हिन्द महासागर में अगला जो भी चक्रवात आएगा उसका नाम " यास" होगा, जो कि ओमान देश द्वारा दिया गया हैं।  13 देशों द्वारा 13-13 नाम पहले से ही दिए जा चुके है अर्थात 169 चक्रवातों के नाम की सूची पहले से ही तैयार हैं। इनमें से 5 नाम प्रयोग में लाये जा चुके है, आगे 164 चक्रवात के नाम तय हैं।
वर्ष 2019 में तुफान का नामकरण भारत ने 'वायु' दिया था। इस बार अरब सागर में बने चक्रवात Tauktae's (उच्चारण Tau'Te) नाम एक बर्मी शब्द से उत्पन्न हुआ है।


चक्रवात क्या है? क्यों और कैसे बनते हैं?


तुफान या चक्रवात प्राकृतिक एवं मौसम से जुड़ी गतिविधियां है। विश्व के हर हिस्से में यह चक्रवात अपने भौगौलिक क्षेत्रों की विशेषताओं के अनुसार बनते हैं तथा गति करते हैं। कम वायुमंडलीय दवाब के चारों ओर गर्म हवा की तेज आंधी को चक्रवात कहते हैं। दक्षिणी गोलार्ध में इन गर्म हवा को चक्रवात के नाम से जानते हैं तथा उत्तरी गोलार्ध में इन गर्म हवा को हरीकेन या टाइफून नाम से जाने जाते हैं। इनके चलते की दिशा अलग होती है। टाइफून जहां घड़ी की सुई के विपरित चलते हैं। चक्रवात के उद्भव की बात करें तो गर्म इलाके के समुद्र में मौसम की गर्मी से हवा गर्म होकर अत्यंत कम वायु दाब का क्षेत्र बनाती है। हवा गर्म होकर तेजी से ऊपर उठकर ऊपर की नमी से मिलकर संघनन से बादल बनाती है। इस वजह से बने खाली जगह को भरने के लिए नम हवा तेजी से नीचे जाकर ऊपर आती है। जब हवा बहुत तेजी से उस क्षेत्र के चारों तरफ घूमती है तो घने बादलों और बिजली के साथ मूसलाधार बारिश करती है। तेज घूमती इन हवा के क्षेत्र का व्यास हजारों किलो मीटर हो सकता है। तथा बीच का क्षेत्र आंख या केंद्र कहलाता है। धरातल पर यह तुफान तेज बारिश तथा अंधड़ के रूप में तडित झंझावत के रूप में जानमाल को नुक्सान पहुंचाने है। वहीं समुंद्र में यह तेज लहरों का कारण बनते हैं जिससे मछुआरों और तटीय इलाकों में नुकसान होता है।

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