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Tuesday, May 11, 2021

जानें कोरोना से जुड़े मेडिकल टेस्ट RTPCR,RAT,CT value,IL-6 ,CT severity score, CRP, PCT, D-Dimmer and Cardiac Triple test

Medical test Covid 19
कोरोना के गंभीर संक्रमण में डाक्टर द्वारा इलाज करते समय सहायक  मेडिकल टेस्ट जो बेहतर उपचार करने में मदद करते हैं। RTPCR,RAT,CT value,IL-6 ,CT severity score, PCT, D-Dimmer and Cardiac Triple test, Oxygen level



कोरोना वायरस से फैली महामारी से पूरा विश्व जूझ रहा है। यह खतरनाक वायरस लोगों की मौत का कारण बन रहा है तो कुछ लोगों को गंभीर स्थिति में भी डाल रहा है। कोरोना वायरस को लेकर विभिन्न प्रकार की भ्रांतियां फैलाई जा रही है जिससे लोगों में दहशत का माहौल बन रहा है। इसलिए कोरोना से लड़ने के लिए सबसे पहले सटीक जानकारी जरुरी है जिससे इस वायरस के प्रति जागरूकता और आत्मविश्वास बढ़ सके। सही जानकारी , सावधानी तथा बचाव किए जाएं तो कोरोना से आसानी से मुकाबला किया जा सकता है। कोरोनावायरस ने दुनिया में हर क्षेत्र को प्रभावित किया है। भारत सहित कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं चरमरा गई। चिकित्सा संसाधन कम पड़ गये। लेकिन इन सब के बावजूद सरकारें और लोग मिलकर सुनियोजित सिस्टम तथा मजबुती से लड़कर कोरोना वायरस के संकट से काफी हद तक बच सकते हैं। आइए जानते हैं कि कोरोनावायरस किस तरह हमारे शरीर में क्रिया कर के हमें कमजोर करता है ? तथा इसके जुड़े विभिन्न निदान (मेडिकल टेस्ट) हमें क्या संकेत देते हैं।


कोरोना के पहले निशाने पर फेफड़े (Lung Infection)


कोविड 19 में इसका वायरस जब शरीर मे प्रवेश करता है तो सबसे पहले गले असर करने के बाद फेफडों पर अटेक करता है। अंदर जाने पर, वायरस कोशिका की मशीनरी को हाईजैक कर लेता है, जिससे खुद की असंख्य प्रतियां और नई कोशिकाओं पर आक्रमण कर देता है। 
वायरस गुणा करता है, विशेष रूप से पहले सप्ताह के दौरान। इस समय पर लक्षण अनुपस्थित हो सकते हैं। या वायरस के नए शिकार में बुखार, सूखी खांसी, गले में खराश, गंध और स्वाद की हानि या सिर और शरीर में दर्द हो सकता है।
सप्ताह भर में वायरस फेफड़ों मे चला जाता है और खुद की असंख्य प्रतियां बनाता है जिससे फेफड़ों का अधिकांश भाग श्लेष्मा से भर जाता है और श्वास लेने मे तकलीफ होती है । इस स्थिति में कोविड निमोनिया Covid Pneumonia की गंभीर स्थिति बनती है।


कोरोना से संबंधित विभिन्न शारीरिक जांचें 

कोरोना वायरस में संक्रमण और लक्षणों के मामले हर व्यक्ति में अलग अलग रूप से देखें गए हैं कुछ व्यक्ति गंभीर लक्षण उत्पन्न नहीं कर रहे हैं। तो कुछ लोगों की सेहत गंभीर स्थिति में पहुंच जाती हैं। इसलिए यह विभिन्न जांचें हर मरीज को जरूर नहीं होती है। मरीज की स्थिति में डाक्टर को लगता है तब यह टेस्ट करवाएं जातें हैं। साथ ही Oxygen level आक्सीजन लेवल टेस्ट भी किया जाता है जो स्वस्थ शरीर में 94-97 के आसपास रहता है। इसके अलावा सीबीसी(CBC) टेस्ट भी करवाया जा सकता है। जिसमें WBC,RBC, PLATELETS,HB आदि की जांच की जाती है।


RTPCR टेस्ट क्या है?


आरटी पीसीआर (RT- PCR) टेस्ट यानी रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमर्स चेन रिएक्शन टेस्ट इस टेस्ट के जरिए व्यक्ति के शरीर में वायरस ( Virus) का पता लगाया जाता है। इसमें वायरस के आरएनए (RNA) की जांच की जाती है। जांच के दौरान शरीर के कुछ हिस्सों से सैंपल लेने की जरूरत पड़ती है। जिसमें नाक गला आदि शामिल है।
आरटी पीसीआर टेस्ट की प्रकिया और परिणाम की बात करें तो आरटी पीसीआर (RTPCR) अधिकतर सैंपल नाक और गले से म्यूकोसा के अंदर वाली परत से स्वैब लिया जाता है। फिर प्रयोगशाला में उस सैंपल से वायरस की मौजूदगी का पता लगाया जाता है।
आरटी पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट आने में सामान्यतः 6 से 8 घंटे का समय लग सकता है। कई बार इससे ज्यादा समय भी लग सकता है। यही वजह है कि कुछ लोगों में कोरोना वायरस के लक्षण सामने न आने के बावजूद भी ये टेस्ट पॉजिटिव आता है। हालांकि, आगे चलकर वायरस के कोई लक्षण सामने आएंगे या नहीं, या फिर वायरस कितना गंभीर रूप ले सकता है, इसके बारे में आरटी पीसीआर टेस्ट के जरिए पता नहीं चल पाता। इसके साथ साथ रैपिड एंटीजन टेस्ट (RAT) और RT-PCR जिसे एक गोल्ड स्टैंडर्ड की टेस्टिंग किट समझा जाता है, उसमें नेगेटिव आने के बावजूद कोई इंसान कोरोना संक्रमित हो सकता है। कोरोना की दूसरी लहर में ऐसे कई मामले सामने आए जिनमें आरटीपीसीआर नेगेटिव आने के बावजूद वे गंभीर स्थिति में पहुंच गए तथा सीटी स्कैन में उनके फेफड़ों में ज्यादा संक्रमण देखा गया।

 

सीटी वैल्यू-सीटी स्कोर (CT Value-CT Score)



कुछ लोग सीटी वेल्यू और सीटी स्कैन स्कोर में अन्तर नहीं समझ पाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार बताए गए टिप्स के अनुसार सीटी वैल्यू-सीटी स्कोर (CT Value-CT Score) दोनों अलग-अलग हैं। सीटी वैल्यू साइकिल थ्रेशहोल्ड वैल्यू है, जो शरीर में वायरल लोड बताती है। अगर सीटी वैल्यू 35 से कम है, तो इसका मतलब उक्त व्यक्ति संक्रमित हैं। सीटी वैल्यू 22 से कम होने पर उस व्यक्ति को अस्पताल में एडमिट होने की भी जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में डॉक्टर कुछ मरीजों को सीने के सीटी स्कैन की सलाह भी देते हैं, जिससे निमोनिया और फेफड़ों के लोब में संक्रमण का पता लगा सके। इसमें सीटी स्कोर जितना ज्यादा होगा, संक्रमण भी उतना ही ज्यादा होगा। आगे सीटी वेल्यू और सीटी स्कोर के बारे में जानने की कोशिश करते हैं।

CT value(cycle threshold) क्या होता है 


CT Value सीटी वैल्यू को 'सायकल थ्रैशहोल्ड' कहा जाता है। मतलब कि किसी व्यक्ति में संक्रमण का पता लगाने के लिए कितनी बार साइकिल की जरूरत पड़ी है। व्यक्ति में वायरस डिटेक्ट करने के लिए अगर बहुत ज्यादा साईकल की जरूरत पड़ी तो इसका मतलब है कि व्यक्ति के शरीर में वायरस की मात्र कम थी और अगर संक्रमण का पता कम ही सायकल में चल गया तो इसका अर्थ निकाला जाता है कि व्यक्ति में वायरस की संख्या ज्यादा थी। सीटी वैल्यू व्यक्ति में संक्रमण की मात्रा को नहीं बताता। वह केवल यह बताता है कि व्यक्ति संक्रमित है या नहीं। 
विशेषज्ञाें के अनुसार 30 फीसद मरीज आरटीपीसीआर निगेटिव होने पर भी गंभीर ऑक्सीजन स्तर गिरावट देखी गई है। ऐसे मरीज ना तो नॉन कोविड में इलाज पा रहे और ना ही कोविड अस्पताल में। देश के डॉक्टरों व वैज्ञानिकों के सामने यह मरीज नई चुनौती बने हैं। इसलिए ऐसे में मरीज की सीटी स्कैन करवाईं जाती है जिससे फेफड़ों के इन्फेक्शन का पता लगाया जाता है।


CT severity score imaging फेंफड़ों में निमोनिया की गंभीरता


आमतौर पर चेस्ट के सीटी स्कैन सीवियारिटी स्कोर को डिजिट्स में देखा जाता है। कोरोनावायरस से होने वाले निमोनिया को सीटी सीवियरीटी से इंगित किया जाता है।
इसे समझने के लिए पहले फेफड़ों (लंग्स) को समझते हैं। हमारे शरीर के फेफड़े पांच लोब्स में बंटे होते है दांई ओर तीन लोब्स तथा बाएं फैफडे में दो लोब्स होते हैं इनमें प्रत्येक लोब्स में पांच-पांच कोच होते हैं। इन पांच लोब्स को सीटी रिपोर्ट में RUL,RML,RLL,LUL,LLL में व्यक्त किया जाता है। जिसके प्रत्येक कोच का CT Severity score निकाला जाता है। CT severity स्कोर की बात करें तो 0-8 mild माना जाता है। 8-15 moderate स्कोर माना जाता है। इस स्थति में मरीज को सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द, खांसी आदि लक्षण होते हैं।
15 से अधिक स्कोर (Severe) गंभीर माना जाता है इस स्थिति में अस्पताल में मेडिकल सहायता की जरूरत पड़ती है। इसमें फेफड़ों में लगभग 95% इन्फेक्शन होता है। यह गंभीर इन्फेक्शन माना जाता है। कोविड निमोनिया (Pneumonia) की ये सबसे जटिल स्थति होती है। हालांकि सही इलाज से यह संक्रमण ठीक हो जाता है। कोरोना में अक्सर देखा गया है कि निमोनिया के चलते मरीज का सीटी सेविरीटी स्कोर काफी बढ़ जाता है।
अंकों की गणना को प्रतिशत के हिसाब से मानने पर 1 स्कोर का मतलब है फेफड़े सामान्य ढंग से काम कर रहे हैं। ये 5% लंग इनवॉल्वमेंट को शो करता है।
स्कोर 5–25% के बीच होने को भी लगभग सामान्य माना जाता है। इसमें लोब्स का इन्वॉल्वमेंट 5–25% तक तक होता है। स्कोर 25% से ज्यादा होना खतरे को बताता है। ये मॉडरेट से लेकर गंभीर खतरे तक चला जाता है, जिसका स्कोर 25 से लेकर 75% तक जा सकता है।

D-Dimmer डी डायमर टेस्ट क्या है?


कोरोना के गंभीर मरीजों का इलाज करते समय डाक्टर अक्सर यह टेस्ट करवाते देखे गए हैं। डी-डिमर प्रोटीन का ऐसा टुकड़ा है जो तब बनता है जब शरीर में रक्त का थक्का घुल जाता है । ऐसे में डी-डीमर टेस्ट करवाना जरूरी होता है, जिससे खून में थक्के जमने की समस्या का पता चल जाता है। तथा मरीज को ह्रदय घात से बचाया जा सकता है। कोरोना से संक्रमित (Covid 19) अधिकतर मरीजों में डी-डिमर बढ़ने के कारण थ्रोम्बोसिस की समस्या हो सकती है। एक डी-डिमर परीक्षण टेस्ट में रक्त के धक्के बनने की स्थिति का पता लगाया जाता है जिसके निम्न प्रकार हैं।

 1.गहरी शिरा घनास्त्रता Deep vein thrombosis(DVT)-

 एक रक्त का थक्का जो एक नस के अंदर गहरा होता है। ये थक्के आमतौर पर निचले पैरों को प्रभावित करते हैं, लेकिन ये शरीर के अन्य हिस्सों में भी हो सकते हैं।


2. फुफ्फुसीय अन्त: शल्यता Pulmonary embolism (PE)-

फेफड़ों में एक धमनी में रुकावट होना यह आमतौर पर तब होता है जब शरीर के किसी अन्य भाग में रक्त का थक्का खुन में मिलकर फेफड़े तक जाता है। 


3. अपचायक इंट्रावास्कुलर जमावट Disseminated intravascular coagulation (DIC)-

एक ऐसी स्थिति जिसके कारण बहुत सारे रक्त के थक्के बनते हैं। वे पूरे शरीर में बन सकते हैं, जिससे अंग क्षति और अन्य गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं। निमोनिया में यह स्थिति बनने की आशंका होती है।

डी-डायमर क्रॉसलिंकड फाइब्रिन का गिरावट उत्पाद है। यह हेमोस्टैटिक प्रणाली की चल रही सक्रियता को दर्शाता है। डी-डिमर का संदर्भ एकाग्रता <250 ng / ml, या <0.4 mcg / ml है। लेकिन संदर्भ मूल्य आदर्श रूप से प्रदर्शन प्रयोगशाला द्वारा स्थापित किया जाता है। जो विभिन्न मानकों का उपयोग कर के निर्धारित करते हैं। इसलिए इस टेस्ट की सटीकता और परिणाम डाक्टर की सलाह पर माने जाएं। समायोजित डी-डिमर परीक्षण के लिए सूत्र का उपयोग किया जाता है जिसमे आयु (वर्ष) x 10 ug/ml करके निकाला जाता है। उदाहरण के लिए रोगी की आयु 66 वर्ष होने पर समायोजित d-dimer 660 ug / L लेकिन यहां सिर्फ जिज्ञासा और सामान्य ज्ञान के लिए समझने की कोशिश कर रहे हैं। बाकी किसी मरीज़ के उपचार करवाते समय जांच डाक्टर को दिखाएं स्वयं अनुमान लगाकर फैसला ना लें। लेकिन वर्तमान में कोविड के दौरान मरीज को सुरक्षित रखने के लिए डाक्टर डी डायमर टेस्ट करवा रहे हैं जो मरीज को हार्ट संबंधित किसी खतरे से बचने के लिए अच्छा कदम है।
सामान्यत: डी डायमर की नार्मल रेंज स्वस्थ व्यक्ति मे सामान्य 500 नैनो ग्राम प्रति एमएल होता है। कोविड संक्रमण मे लंग्स में निमोनिया तथा माइक्रो वैस्कुलर नुकसान के कारण के कारण अधिक मात्रा मे असामान्य माइक्रोक्लाट बनने से यह दर बढ़ी हुई आ सकती है, यदि मान सामान्य से दो गुना से ज्यादा है तो गंभीरता इंगित करता है जो कभी कभी गंभीर मरीजों में हार्ट अटैक तथा ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन सकता है । 


Procalcitonin (PCT) टेस्ट क्या है?


Procalcitonin (PCT) एक रक्त परीक्षण है जिसे अक्सर बैक्टीरिया सेप्सिस (सदमा)का संदेह होने पर किया जाता है, एक गंभीर प्रणालीगत संक्रमण जो जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है। प्रिकैल्सीटोनिन(पीसीटी) परीक्षण निदान को जल्दी और संभावित रूप से जीवन बचाने के लिए एक आसान तरीका है। जिससे मरीज के शरीर में सदमे जैसी स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
आमतौर पर, उच्च पीसीटी स्तर गंभीर सेप्सिस और सेप्टिक सदमे वाले रोगियों में पाए जाते हैं। पीसीटी (> 2 एनजी / एमएल या> 10 एनजी / एमएल, क्रमशः) के उच्च स्तर के साथ-साथ ऊंचा स्तर अलार्म का संकेत है जो प्रणालीगत सूजन के कारण अंग की शिथिलता के उच्च जोखिम का संकेत देता है और रोगी के तत्काल उपचार के लिए कहता है। पीसीटी टेस्ट के परिणाम वेल्यू की बात करें तो सामान्य: 0.5 ng / ml से कम सामान्य 0.5 -2.0ng / ml सेप्सिस मध्यम जोखिम तथा 2.0 ng/ml अधिक से सेप्सिस के उच्च जोखिम को इंगित करता है। हालांकि थाइराइड कर्सीनोमा में यह स्तर बहुत अधिक हो सकता है। लेकिन सामान्यतः प्रोकैल्सिटोनिन का स्तर 0.15-2 ng/mL से अधिक होना असामान्य माना जाता है ।

इंटरल्यूकिन -6 (IL-6) टेस्ट


इंटरल्यूकिन -6 (IL-6) विभिन्न कोशिकाओं द्वारा निर्मित प्रोटीन है। यह प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को विनियमित करने में मदद करता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रियण के मार्कर के रूप में IL-6 परीक्षण को संभावित रूप से उपयोगी बनाता है। IL-6 को सूजन, संक्रमण, ऑटोइम्यून विकारों, हृदय रोगों और कुछ कैंसर में बढ़ा हुआ हो सकता है। परीक्षण रक्त में IL-6 की मात्रा को मापता है। इंटरल्यूकिन -6 (IL-6) टेस्ट की रिपोर्ट की बात करें तो व्यस्कों में यह
0-7.0 pg/ml के बीच माना जाता है। कोविड ट्रीटमेंट में यह टेस्ट डाक्टरों के लिए आजकल काफी मददगार साबित हो रहा है। 


Cardiac Triple test (कार्डिएक ट्रिपल टेस्ट)


Myoglobin,CK, Troponin
कोविड के उपचार के दौरान तथा बाद में रोगी को ह्रदय सम्बंधित किसी संभावित समस्याओं से बचाने के लिए आजकल डाक्टर कार्डिएक ट्रिपल टेस्ट भी करवा रहे हैं। 
जिसके सबसे महत्वपूर्ण मायोग्लोबिन (mg) लेवल महत्वपूर्ण माना जाता है जो मायोसिटिस की स्थति को क्लियर करता है। मायोसिटिस की स्थति में एमबी लेवल उच्च रहता है। यह हृदय की मांपेशियों में क्षति होने के तीन से बारह घंटे के बाद ट्रोपोनिन टी का स्तर रक्त में बढ़ जाता है। उपचार से ठीक हो जाता है। हालांकि बढ़ा हुआ स्तर 10 से 15 दिनों में फिर से सामान्य होने लगता है। सीने में दर्द , दिल के दौरे का खतरा होने पर यह टेस्ट कोविड में करवाए जाते हैं। जब कोविड से उभरने के बाद हार्ट की समस्या को दूर किया जा सके।
कार्डिएक ट्रिपल टेस्ट दिल के दौरे या दिल की मांसपेशियों की चोट का पता लगाने और निगरानी करने के लिए सीके-ट्रोपोनिन और मयोग्लोबिन के स्तर को मापता है।  
मायोग्लोबिन की सामान्य दर 0.0 से 70 ng /ml मानी जाती है। इसके अलावा जो लोग स्वस्थ हैं, उनके रक्त में बहुत कम या शुन्य कार्डियक ट्रोपोनिन होता है। ट्रोपोनिन I का स्तर अक्सर 0.12 एनजी / एमएल से कम होता है। ट्रोपोनिन टी का स्तर अक्सर 0.01ng / mL से कम होता है। 


Disclaimer (अस्वीकरण) : इस लेख में दी गयी जानकारी कुछ खास स्वास्थ्य स्थितियों और उनके संभावित उपचार के संबंध में शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है। यह किसी योग्य और लाइसेंस प्राप्त चिकित्सक द्वारा दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवा, जांच, निदान और इलाज का विकल्प नहीं है। यदि आप,  या आपका कोई संबंधी ऐसी किसी स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहा/रही है, जिसके बारे में यहां बताया गया है तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें। यहां पर दी गयी जानकारी का उपयोग किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या या बीमारी के निदान या उपचार के लिए बिना विशेषज्ञ की सलाह के ना करें। यदि आप ऐसा करते हैं तो ऐसी स्थिति में आपको होने वाले किसी भी तरह के संभावित नुकसान के लिए यह वेबसाइट जिम्मेदार नहीं होगी। दी गई जानकारी केवल मानव शरीर तथा चिकित्सा क्षेत्र संबंधित सामान्य ज्ञान के लिए है। हर व्यक्ति की शारीरिक संरचना क्षमताए एवं रोग अलग अलग प्रकार के होते हैं तथा जांच परिणामों में विभिन्न परिस्थितियों में विषमताएं होती है। इसलिए अपनी किसी भी शारीरिक समस्या से जुड़े मूद्दे पर अपने डाक्टर की सलाह को सर्वश्रेष्ठ मानें।
Disclaimer- This article is not for the purpose of legal and statutory matters, but only for general information.You are not being given any medical advice  in this article.  Prioritize doctor's advice only.

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