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जीवन के मायने बदल रहे हैं। |
विरान गलियां
दहशत में मानव
दिन के उजाले में पसरा सन्नाटा
दूर तलक कानों में गुंजते झिंगुर।
घने वृक्ष पर कलरव करते पंछी
बैखौफ मवेशी टहल रहे हैं
आजकल जहन में जीवन के मायने बदल रहे हैं।।
राहगीर घर में सहमा सा
जनशुन्य लम्बे चौड़े रास्ते
गर्द से पटी कच्ची पगडंडियों पर
फूट रहे हरे अंकुर
आभासी मरीचिका
मृग स्वयं निहार रहें हैं।
आजकल जहन में जीवन के मायने बदल रहे हैं।।
संवेदना खो रहे शहर
दियों की भांति जलते श्मशान
चर्चें खास और जिन्दगियां आम
नगरों के शहंशाह गांवों की ओर
सफर कर रहे हैं
आजकल जहन में जीवन के मायने बदल रहे हैं।।
यहां गांवों में आलम निराला
बोध जन एकांत की तलाश में
और टोली में अबोध बच्चे बैखोफ
भरी दोपहरी छांव छांव भटक रहे हैं
आजकल जहन में जीवन के मायने बदल रहे हैं।।
मानव कैद मवेशी आजाद
शांत चित्त गहरे नीम की छांव में
जुगाली करते गांव के आवारा पशु
जैसे मानव के लिए चिंतन और दुआ कर रहे हैं
आजकल जहन में जीवन के मायने बदल रहे हैं।।
दम घुटते तंग शहरों में
आदमी से आदमी डरने लगा
जान की खातिर लगने लगे सब अजनबी
उन्हें वहम और शंका से मौत की तरह घूर रहे है
आजकल जहन में जीवन के मायने बदल रहे हैं।।
कृत्रिम सांसों के सहारे
सपने संजोते आशावादी।
कुछ जीवन की जंग जो हारे
करते उनको बेताबी से न्यारे
मुर्दों की भीड़ में शव अपनों के बदल रहे हैं
आजकल जहन में जीवन के मायने बदल रहे हैं।।
रहे अगर दुनिया चोकस!
महामारी का यह दौर भी निकल जाएगा
दम तोड़ती दया-करूणा व मानवता
अब इंसानियत की दवा कौन बतलाएगा,
कहीं मातम में भी चोरी डकेती और धन लालच
कफ़न जलती चिताओं से चुराए जा रहे हैं।
आजकल जहन में जीवन के मायने बदल रहे हैं।।
रंग बिरंगे संतरंगी लिबास
गाड़ी बंगले और शाही अहसास
फीके पड़ गए सब उल्लास
क्या छोटा क्या बड़ा
फकत! इक नकाब में जिंदगी तलाश रहे हैं।
आजकल जहन में जीवन के मायने बदल रहे हैं।।
जिन्दा है जमीर अब भी
आंधियों में दिए की भांति
रख दांव पर जीवन की बाजी
खुदा बनकर कुछ फरिश्ते
परमार्थ की खातिर
बन आशा के बादल बरस रहें हैं
आजकल जहन में जीवन के मायने बदल रहे हैं।।
सब्र हौसला और कवच रख ओ मानव!
यह बुरा दौर भी गुजर जाएगा
ले पनाह प्रकृति की छांव में
विजय होगा जुनून और जज्बा
ऊर्जा और उमंग के हर प्रकाश पुंज
आशा व उम्मीद की जगा अलख रहे है।।
आजकल जहन में जीवन के मायने बदल रहे हैं।।
रचियता-रमेश कुमार जोगचन्द
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