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Wednesday, April 21, 2021

Kumbh 2021: विश्व प्रसिद्ध हरिद्वार कुंभ कोरोना की दहशत में जानें पवित्र स्नान एवं ऐतिहासिक महत्व

Kumbh Mela

 History of Kumbh haridwar, Nasik, Ujjain and Prayag Kumbh Haridwar Maha Kumbh 2021


 
विश्व प्रसिद्ध कुंभ मेला भारत की धार्मिक आस्था का प्रतीक माना जाता है। कुंभ मेला बहुत प्राचीन मेला है जिसका इतिहास बहुत पुराना है। कुंभ मेले का इतिहास लगभग 850 साल पुराना माना जाता है। आदि शंकराचार्य ने इसकी शुरुआत की थी, लेकिन कुछ कथाओं के अनुसार कुंभ की शुरुआत समुद्र मंथन के आदिकाल से ही हो गई थी। समुद्र मंथन में अमृत कलश पर देवताओं और दानवों के बीच संघर्ष हुआ था ।
शाब्दिक अर्थ में कुंभ का अर्थ घड़ा या घट होता है। माना जाता है कि देव-दानवों का युद्ध हुआ था इसी के अनुसार यह युद्ध 12 वर्षों तक चलता रहा। इस बीच जिन चार स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरीं उन्हें अत्यंत पवित्र और कुंभ मेले के योग्य माना गया। चूंकि इस संघर्ष की अवधि 12 वर्ष थी, इसलिए हर स्थान पर 12 वर्ष के बाद ही कुंभ मेला भरता है। यह पवित्र मेला चार स्थानों पर लगता है जिसमें पहला कुंभ हरिद्वार कुंभ है जो सूर्य मेष राशि में और बृहस्पति कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं तब यहां कुंभ का आयोजन होता है। दूसरा प्रयाग कुंभ जो सूर्य मकर राशि में तथा बृहस्पति वृषभ राशि में प्रवेश करता है तब कुंभ का आयोजन प्रयागराज में होता है। तीसरा नासिक में भरता है यह मेला तब भरता है जब बृहस्पति और सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करते हैं। चौथा उज्जैन कुंभ है जो सूर्य मेष राशि में और बृहस्पति सिंह राशि में प्रवेश करता है तब उज्जैन में कुंभ मेला लगता है। इसे सिंहस्थ कुंभ भी कहा जाता है।

हरिद्वार कुंभ 2021 स्नान कार्यक्रम


हरिद्वार कुंभ के कार्यक्रम में स्नान महत्वपूर्ण है। इसलिए इस बार शाही तथा अन्य पवित्र स्थानों का समय निम्नानुसार है।शाही स्नान 12 अप्रैल - सोमवती अमावस्या 14 अप्रैल - वैशाखी 27 अप्रैल - चैत्र पूर्णिमा पर्व स्नान 13 अप्रैल - चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 21 अप्रैल - राम नवमी। 
हालांकि हर की पौड़ी पर श्रद्धालु गंगा स्नान कर रहे हैं। 30 अप्रैल तक चलने वाले महाकुंभ में गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं को कोविड-19 (Covid-19) की 72 घंटे पहले तक की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट लानी होगी। कोरोना महामारी के चलते अब शासन-प्रशासन सख्त हैं। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच कुंभ मेले का आयोजन हो रहा है। सरकार ने श्रद्धालुओं से कोविड-19 के नियमों का पालन करने की अपील की है ।


कोविड महामारी के कारण सख्त नियम


कुंभ मेला एक महीने तक चलेगा। 12,14 और 27 अप्रैल को शाही स्नान है। देश और विदेश से भारी तादात में स्नान करने के लिए श्रद्धालु यहां पर आते हैं। पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। जगह-जगह पुलिस जवानों को तैनात किया गया है।
गाइडलाइंस के अनुसार, कुंभ में 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को प्रवेश नहीं मिलेगा. साथ ही, आज रात से राज्य के सभी बॉर्डर पर रैंडम चेकिंग होगी. रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट और बॉर्डर चेक पोस्ट पर भी चेकिंग होने वाली है।


बैरागियों और संन्यासियों के स्नान के विवाद की कहानी


हरिद्वार कुंभ 2021 में कुंभ में स्नान का पुराना विवाद खत्म नहीं हुआ है। इस विवाद का असर इस बार भी दिखाई दिया। कुंभ अवधि को लेकर नागा संन्यासियों और बैरागी संतों का विवाद सदियों पुराना है। भले ही शिव और राम एक-दूसरे के भक्त हों, लेकिन शैव संन्यासी और रामानंदी वैष्णव बैरागी अनेक कुंभ मेलों में संघर्ष करते आए हैं। संन्यासियों के वर्चस्व वाले हरिद्वार में बैरागियों को कई बार कुंभ पर स्नान नहीं करने दिया गया। अनेक बार वे हरकी पैड़ी पर कुंभ नहीं नहा पाए और चंडी घाट पर नीलधारा में स्नान कर लौट गए। बाद में तो बैरागियों ने हरिद्वार आने के बजाय वृंदावन में कुंभ मनाना शुरू कर दिया था। आज भी बैरागी हरिद्वार आने से पहले उस समय स्थापित परंपरा का पालन करते हुए वृंदावन में एक महीने का कुंभ मनाते हैं। नासिक में भी संन्यासियों के स्नान त्रयंबकेश्वर में होते हैं और नासिक की गोदावरी में केवल बैरागी अखाड़ों का स्नान होता है। दोनों शाखाओं के संत एक स्नान में भी साथ-साथ नहीं आते। वर्ष 1760 के हरिद्वार कुंभ में दोनों के बीच हिंसक संघर्ष हुए थे।



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