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An encounter broke out between security forces and Naxals along the Sukma-Bijapur border in Chhattisgarh photos slide cradits facebook. |
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बीजापुर छत्तीसगढ़ नक्सलवादी मुठभेड़
हाल ही में छत्तीसगढ़ के बीजापुर में बड़ा नक्सली हमला हुआ है तथा इस हमले में 20 से अधिक जवानों के शहीद हुए हैं,तथा तकरीबन तीस से अधिक जवानों के घायल होने की घायल होने की खबर हैं। सूत्रों के मुताबिक इस हमले के पीछे गलत खुफिया जानकारी का होना बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक सुरक्षाबलों को खुफिया जानकारी मिली थी कि नक्सलियों के दो बड़े कमांडर माडवी हिडमा और उसकी सहयोगी सुजाता बीजापुर के तर्रेम इलाके में जोनागुड़ा पहाडिय़ों के पास के छिपे हुए हैं। इस हमले की पूरी घटना की बात करें तो
छत्तीसगढ़ में भारतीय सुरक्षा बलों को 3 अप्रैल को जिला बीजापुर और सुकमा के बॉर्डर पर तरतेम के पहाड़ी इलाकों में PLGA-1 माओवादियों की उपस्थिति की सूचना मिलती है जिसके आधार पर DRG, एसटीएफ, कोबरा एवं सीआरपीएफ की संयुक्त नक्सल विरोधी अभियान टीम को ऑपरेशन के लिए रवाना करते हैं। लेकिन नक्सलियों को इस ओपरेशन का अंदाजा होता है इसलिए इसलिए वे इन सुरक्षा बलों को अपने U फॉर्मेशनमें घेर लेते हैं।
जब सुरक्षा बल के जवान नक्सलियों के उनके कोर एरिया में घेरने और खदेड़ने के लिए थाना तारतेम से भेजे जाते हैं उस समय संयुक्त बल के अतिरिक्त उसूल पामीर मिनर्वा और नरसापुर बेस कैंपों से भी कोर एरिया के अलग-अलग टारगेट बाबत सुरक्षाबलों को रवाना किया जाता है 3 अप्रैल को तकरीबन दोपहर 12 बजे से जोनागुंडम और टिकलागुंडम के बीच जंगल में सीआरपीएफ के संयुक्त बल और PLGA बटालियन नंबर-1 के बीच मुठभेड़ होती है इस मुठभेड़ में बताया जा रहा है कि 24 के करीब जवान शहीद होते हैं तथा तीस से अधिक जवान घायल होते हैं। नक्सलियों द्वारा तीनों और से ताबड़तोड़ फायरिंग की जाती है तथा विभिन्न प्रकार के आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल भी होता है। जवाबी कार्रवाई में कुछ नक्सली भी मारे जाते हैं। इस हमले के बाद नक्सली जवानों के हथियार और कुछ सामान भी ले जाते हैं। नक्सलियों में कुछ महिलाओं का शामिल होना बताया जा रहा है। इस मुठभेड़ के पीछे अधिकारियों ने वांछित माओवादी कमांडर एवं 'पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन नंबर 1 के नेता हिड़मा और उसकी सहयोगी सुजाता के सहयोग से कम से कम 400 नक्सलियों के हमले में शामिल होने की बात कही है। इस हमले में सुरक्षाबलों की टीम के साथ नक्सलियों की तीन चार घंटे मुठभेड़ चलती है । इस हमले का मास्टरमाइंड बटालियन नंबर एक का प्रमुख हिडमा माना जा रहा है नक्सलियों का ये सबसे बड़ा बटालियन है। इसलिए सुरक्षाबलों की नजर भी हिडमा पर थी इसके लिए सरकार ने हिडमा पर लाखों का इनाम भी रखा हुआ है।
कौन है मांडवी हिडमन्ना
हिडमा के जीवन परिचय के बारे में ज्यादा जानकारी सार्वजनिक नहीं है लेकिन समाचार एजेंसियों की जानकारी के मुताबिक हिडमा एक 40 वर्षीय शख्स है जो नक्सलियों की एक टूकडी का नेतृत्व करता है । ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं है फिर भी हथियार चलाने एवं गुरिल्ला हमलों में उसे महारत हासिल है। हिडमा का असली नाम हिडमन्ना है और सुकमा जिले के पुर्ववर्ती गांव का रहने वाला है। इसे पीपुल लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (He heads the People’s Liberation Guerrilla army-PLGa) का प्रमुख है यह ग्रुप माओवादी दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमिटी (Maoists Dandakaranya Special Zonal committee-DKSZ) में जुड़ा होना। बताया जा रहा है।
भारत के विभिन्न राज्यों में अब तक की बड़ी नक्सलवाद की बड़ी घटनाएं
नक्सलवादी इलाके में सुरक्षा बलों और नक्सलियों में भिड़ंत होती रहती है लेकिन यहां भारत में नक्सल्वादियों और भारतीय जनता तथा जवानों के बीच बड़
घटनाओं का उल्लेख किया जा रहा है।
ओडिशा
वर्ष 2008 ओडिसा के नयागढ़ में नक्सलवादियों ने 14 पुलिसकर्मियों और एक नागरिक की हत्या कर दी।
महाराष्ट्र
वर्ष 2009 महाराष्ट्र के गढ़चिरोली में हुए एक बड़े नक्सली हमले में 15 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गये थे।
पश्चिम बंगाल
वर्ष 2010 में नक्सलवादियों की जिम्मेदारी में बताएं गये विस्फोट में कोलकाता-मुंबई ट्रेन हादसे में लगभग 150 यात्रियों की जान गई थी। नक्सलियों ने त्रिवेणी एक्सप्रेस और कोलकाता-मुंबई मेल को निशाना बनाया था । लेकिन इस हमले में विस्फोट और पटरियों की तोड़फोड़ की आंशका बताई गई थी। इस हादसे में कोलकाता-मुंबई ट्रेन के पटरी से उतरी थी तथा दुसरी ट्रेन से टकराईं थी।
पश्चिम बंगाल में ही वर्ष 2010 सिल्दा केंप में घुसकर नक्सलियों ने हमला कर दिया जिसमें अर्द्धसैनिक बलों के 24 जवान शहीद हुए थे।
झारखंड
वर्ष 2012 झारखंड के गढ़वा जिले के पास बरिगंवा जंगल में 13 पुलिसकर्मीयों की हत्या कर दी थी।
छत्तीसगढ़ राज्य में अब तक के बड़े नक्सली हमले
नक्सलियों के सबसे अधिक हमले छत्तीसगढ़ राज्य में होते हैं। यहां घने जंगलों का इलाका नक्सलियों के कब्जे में है।
हालांकि माना जाता है कि रेड कॉरीडोर Red coridor पशुपति नेपाल से तिरूपति आंध्र प्रदेश तक माना जाता है भारत के कर्नाटक से शुरू होकर उड़ीसा, महाराष्ट्र मध्य प्रदेश से निकले छत्तीसगढ से होते हुये झारखंड, बिहार और बंगाल और नेपाल तक फैला हुआ है। गौरतलब है कि केरल कर्नाटक से लगाकर भारत के पूर्वी राज्यों में यह क्षेत्र नेपाल तक जुड़ा हुआ है । इसप्रकार 100 जिलों में तथा भारत के क्षेत्र के 40% हिस्से पर नक्सल्वादियों की गतिविधियां होती है इसमे मुख्य रूप से हैं मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड, प. बंगाल, छ्त्तीसगढ, उडीसा व महाराष्ट्र राज्य है। इस प्रकार क्षेत्र का नाम ही " रेड कोरिडोर " पड गया है । लेकिन अकेले छत्तीसगढ़ में हिंसा की घटनाएं अधिक होती है।
वर्ष 2007 छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में 300 से ज्यादा नक्सल विद्रोहियों ने हमला किया जिसमें 55 पुलिसकर्मियों की शहादत हुई थी।
6 अप्रैल 2010 में नक्सलियों का एक हमला ताड़मेटला इलाके में होता है इस हमले में सीआरपीएफ के 76 जवानों की शहीद होते हैं । यह हमला नक्सलियों के अब तक के सबसे बड़े हमलों में आता है। छत्तीसगढ़ राज्य में ही 25 मई 2013 झीरम घाटी के पास हमला होता है इस हमले में 30 से अधिक लोग मारे जाते हैं इस हमले में कांग्रेस पार्टी के कुछ लोग और जवानों कीह शहादत भी शामिल है ।
11 मार्च 2014 को छत्तीसगढ़ के टहकवाड़ा में हमला होता है इस हमले में सुरक्षा बलों के 15 जवान शहीद होते हैं । 12 अप्रैल 2015 को दरभा में में एक एम्बुलेंस पर हमला किया जाता है जिसमें पांच जवानों की शहादत तथा एक ड्राइवर भी शहीद होता है। अकेले छत्तीसगढ़ राज्य के अन्य हमलों में मार्च 2017 का भेज्जी स्थित हमले में 11 सीआरपीएफ जवान शहीद होते हैं। इसी वर्ष 6 मई 2017 को सुकमा के कसालपाड़ में हुए हमले में 14 जवान शहीद हूए । 25 अप्रैल 2017 को सुकमा के बुरकापाल बेस केम्प के समीप किये नक्सली हमले में 32 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए तथा 21 मार्च 2020 को सुकमा के मिनपा हमले में 17 जवानों की शहादत हुई थी।
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