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Indians Role in world Affairs |
भारत विश्व में जनसंख्या की दृष्टि से दसूरे पायदान पर है और यहाँ की तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था की दृष्टि से इसे एक उभरती हुई महाशक्ति के रूप में देखा जा रहा है। विश्व मामलों में भारत का बढ़ता हुआ अन्तर्राष्ट्रीय प्रभाव का प्रमुख स्वर के रूप में माना जाता है। भारत का अनेक देशों से सहयोग का दीर्घकालीन इतिहास है जब से विकाशील देशों को नेइत्व प्रदान कर रहा है। भारत संयुक्त राष्ट्र संघ और गुट निरपेक्ष आन्दोलन का संस्थापक सदस्य रहा है और विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों का सक्रिय सदस्य है। शीतयुद्ध के दौरान भारत ने गुटनिरपेक्ष की नीति को अपनी विदेशी नीति को शामिल करते हुए तटस्थ भूमिका निभाई लेकिन सौ. संघ के साथ इसकी निकटता से भारत ने रूस से अत्यधिक सैन्य सहायता प्राप्त की। शीत युद्ध की समाप्ति जिस प्रकार विश्व को प्रभावित किया उसी प्रकार की विदेश नीति पर भी इसका व्यापक असर पड़ा। अत : भारत अब अमेरिका, चीन, यूरोपीय संघ, जापान, इजराइल, लैटिन अमेरिका एवं दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों से कूटनीतिक एवं आर्थिक सम्बन्धों को सुदृढ़ करना चाहता है। रूस के साथ भी भारत के मजबूत सैन्य सम्बन्ध है
भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के शान्ति अभियानों में सक्रिय भूमिका अदा की है तथा उसके शान्ति अभियानों को सर्वाधिक सैन्य सहायता प्रदान की है। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थायी शीट की मांग रखी है। भारत की बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था, सामरिक स्थिति, मैत्रीपूर्ण विदेशी नीति जैसे गुणों से दुश्मनी की अपेक्षा मित्र देशों की संख्या में वृद्धि हुई है। हालांकि भारत किसी भी बड़े सैन्य गठबन्धन का हिस्सा नहीं है, लेकिन विश्व की बड़ी शक्तियों से इसके मधुर सामरिक एवं सैन्य सम्बन्ध है। भारत के नजदीकी सहयोगी देशों में रूसी संघ के देश, इजराइल, भूटान, नेपाल, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस एवं जापान के साथ घनिष्ठ सम्बंध बनाये है भारत ने विकासशील देशों द. अफ्रीका, ब्राजील, मैक्सिको, चीन आदि के साथ मिलकर विश्व आर्थिक मंचो पर विकासशील देशों के हितों का प्रतिनिधित्व किया है।
भारत के खाड़ी देशों के साथ भी मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध है। द.पू. एशियाई देशों के साथ आर्थिक व सामरिक भागीदारी विकसित करने में भारत की 'पूर्व की ओर देखो' विदेशी नीति ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। भारत ने 1985 में अपने पड़ौसी के साथ मिलकर सार्क संगठन (SAARC) की स्थापना की जिसका मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच कृषि, ग्रामीण विकास, व प्रौद्योगिकी, संस्कृति, स्वास्थ्य, जनसंख्या नियंत्रण, नशीले पदार्थों की तस्करी पर नियंत्रण और आतंकवाद के खिलफ एक दूसरे का सहयोग प्रदान करना था।
हिन्द महासागर तीन ओर स्थल से आबद्ध होने के कारण प्रकृति ने भारत को एक समादेशक स्थिति प्रदान की है जिससे भारत एक महान भू-राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व का केन्द्र बना है। हिन्द महासागर में कई संकरे जल संयोजी मार्ग हैं जिनसे विश्व व्यापार संचालित होता है। इन मार्गों को खुले एवं नियंत्रण मुक्त रखने के लिए भारत ने समय-समय पर महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
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