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World Wildlife Day विश्व वन्य जीव दिवस प्रतिकात्मक फोटो jagriti path |
World Wildlife Day: प्रकृति में मानव संरक्षण के साथ साथ जैव विविधता का संरक्षण है जरूरी
प्रकृति में मानव एवं उनके वातावरण की सुरक्षा के साथ जैव विविधता का संरक्षण करना भी महत्वपूर्ण आवश्यकता है। जिसका आभास विश्व के बुद्धिजीवियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं को विलंब से हुआ इससे पहले कुछ जानवरों और पक्षियों की प्रजातियां विलुप्त हो चुकी थी। लेकिन जिस तरह वन्य जीवों पर बदलते परिवेश और मानव जनसंख्या की वृद्धि का असर हुआ है तथा जिस प्रकार वन्यप्राणियो पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं तब विश्व की पर्यावरण संरक्षण संस्थाएं जैवविविधता को संरक्षण देने का कार्य करने लगी। वर्तमान समय आते आते पर्यावरण और वन्यजीव जन्तुओ के संरक्षण के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम और योजनाएं बनाई जा रही है। लेकिन मानव के स्वार्थी स्वभाव तथा शिकार एवं व्यापार के अंधानुकरण के कारण आज भी वन्यजीवों एवं जंगली जन्तुओं पर खतरा ज्यो का त्यों बना हुआ है। हालांकि यूएनओ तथा विभिन्न देशों की सरकारों के नियमों तथा कार्यक्रमों के बाद भी आज वन्यजीवों के अंगों की तस्करी होती है। व्यापार के लालच में विलुप्त होने की कगार पर पहुंची प्रजातियों के महंगे शारीरिक अंगों के व्यापार के लिए हत्याएं की जाती है। दूसरी तरफ औद्योगिकीकरण के चलते ग्लोबल वार्मिंग तथा परिवर्तन हो रहे क्लाइमेट के कारण प्राकृतिक आपदाएं भी वन्यजीवों के लिए खतरनाक साबित हो रही है। इसलिए वन्यजीवों के संरक्षण एवं सुरक्षा के लिहाज से विश्व स्तर पर हर साल 3 मार्च को पृथ्वी पर मौजूद वन्य जीवों और वनस्पतियों की सुंदरता और विविधता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि विश्व वन्य जीव संरक्षण दिवस का क्या महत्व और इतिहास है।
विश्व वन्यजीव दिवस का उद्देश्य
विश्व और भारत में मनाएं जा रहे प्रत्यक दिवस का कुछ महत्त्व व उद्देश्य होता है। जिस प्रकार विश्व एड्स दिवस को एड्स बिमारी के प्रति जागरूक करने का उद्देश्य होता है उसी प्रकार विश्व वन्य जीव दिवस का उद्देश्य इस पृथ्वी पर विद्यमान जैवमंडल में पाये जाने वाले जीवों की सुरक्षा एवं संरक्षण करना है। इसलिए इस दिन विभिन्न देशों में वन्यजीवों के बेहतर भविष्य के लिए कार्यक्रम और योजनाएं बनाई जाती है। तथा लोगों को वन्यजीवों के प्रति प्रेम और लगाव रखने के लिए प्रेरित किया जाता है जिससे लोगों के विचार और सोच में वन्यजीवों पर मंडराते संकट के प्रति सहानुभूति जागृत हो सके।
विश्व वन्यजीव दिवस का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में जागरूकता, सहयोग और समन्वय स्थापित करना है। साथ ही ये दिन वन्य जीवों और वनस्पतियों के संरक्षण से पृथ्वी पर रहने वाले लोगों को मिलने वाले लाभ के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भी मनाया जाता हैं। इसके अलावा इस यह दिन हमें वन्यजीव के खिलाफ होने वाले अपराध और मानव द्वारा उत्पन्न विभिन्न व्यापक आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों के कारण प्रजातियों की घटती कमी के खिलाफ लड़ने की जरुरत की याद दिलाता है।
विश्व वन्यजीव दिवस की थीम
अन्य किसी विशेष दिवस या सप्ताह की जो थीम या ध्यये वाक्य होता है उसी प्रकार विश्व वन्य जीव दिवस की हर वर्ष एक थीम निश्चित की जाती है जो लोगों का ध्यानाकर्षण करती है। साल 2021 की थीम है "Forests and Livelihoods: Sustaining People and Planet.” है वहीं साल 2020 का थीम ‘पृथ्वी पर सभी जीवन को बनाए रखना (Sustaining all life on Earth) था।
वर्ष 2020 में इसे “biodiversity super year” (जैव विविधता सुपर वर्ष) के रूप में भी मनाया गया।
वर्ष 2021 की थीम "वन और आजीविका: सतत लोग और ग्रह," का मतलब विश्व स्तर पर सैकड़ों लोगों की आजीविका को बनाए रखने के लिए वनों, वन प्रजातियों और पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं की केंद्रीय भूमिका को उजागर करने का एक तरीका है। वन और जंगल से सटे इलाकों में ऐतिहासिक संबंधों के साथ स्वदेशी और स्थानीय समुदायों का भी योगदान होना चाहिए क्योंकि गरीबी को कम करने, संसाधनों के सतत उपयोग को सुनिश्चित करने और भूमि पर जीवन के संरक्षण पर उनकी व्यापक प्रतिबद्धता को स्वीकार करके आने वाले भविष्य में वन्यजीवों का सरंक्षण भी मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।
विश्व वन्य जीव दिवस का इतिहास
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 दिसंबर 2013 को 68वें सत्र में 03 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस घोषित किया था। तीन मार्च को विलुप्तप्राय वन्यजीव और वनस्पति के व्यापार पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को स्वीकृत किया गया था। वन्य जीवों को विलुप्त होने से रोकने हेतु सर्वप्रथम साल 1872 में जंगली हाथी संरक्षण अधिनियम (वाइल्ड एलीफेंट प्रिजर्वेशन एक्ट) पारित हुआ था। इस प्रकार समय समय पर विभिन्न मुद्दों एवं समस्याओं पर विश्व संस्थाओं का ध्यान गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ इन मामलों की पैरवी बहुत अच्छे तरीके से कर रहा है। आने वाले समय में जो पेड़ पौधे और जीवों की प्रजातियां संकट में है उन पर UNO को समय पर निर्णय लेकर कल्याणकारी कदम उठाने के लिए तत्पर रहना चाहिए
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