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Kangaroos Marsupium |
कंगारू जानवर कहां पाया जाता है?
कंगारू के पेट के नीचे थैली कर्मों होती है?
कंगारू की कितनी प्रजातियां पाई जाती है?
कंगारू की खोज किसने और कब की?
मादा कंगारू की थैली(मार्सूपियल) अन्दर से कैसी होती है?
Where is a kangaroo animal found?
Does the kangaroo perform pouch under the stomach?
How many species of kangaroo are found?
Who discovered kangaroo and when?
How is the female kangaroo from inside (marsupial)?
दुनिया भर में कई प्रकार के जीव जन्तु तथा पेड़ पौधे है कुछ खुबसूरत तो कुछ बहुपयोगी तो कुछ अजीबोगरीब और निराले होते हैं । इसी प्रकार कुछ समुद्री जीव हैरतअंगेज और बहुत विचित्र होते हैं इसलिए प्रकृति को खुबसूरत और करिश्माई कहां जाता है। प्रकृति की अद्भुत रचना को पूर्णत समझना बहुत मुश्किल है। पूरे जैव मंडल में विभिन्न प्रकार के जीव जंतु है जिसमें कुछ विशालकाय तो कुछ बहुत ही सूक्ष्म कुछ जीवों की शारीरिक संरचना मानव के लिए कौतूहल तथा पहेली बनी हुई है। आज बात करते हैं कंगारू जानवर की तथा मादा कंगारू की थैलीनुमा संरचना की जो देखने में अजीब है लेकिन उनके अविकसित बच्चों के लिए कितनी महत्वपूर्ण है ? आइए जानते हैं मादा कंगारू की थेली के बारे में यह आन्तरिक कैसी होती है। मादा कंगारूओं में एक थैली होती है जिसे मर्सुपियम कहा जाता है जिसमें जॉय (बच्चा) प्रसवोत्तर विकास को पूरा करता है।
कंगारू का इतिहास एवं जाति-प्रजाति
कंगारू आस्ट्रेलिया में पाया जाने वाला एक स्तनधारी पशु है। यह आस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय पशु (National Animal) भी है। कंगारू शाकाहारी, धानीप्राणी (मारसूपियल, marsupial) जीव हैं जो स्तनधारियों में अपने ढंग के अजीब प्राणी हैं। इन्हें सन् 1773 ई. में कैप्टन कुक ने देखा और तभी से ये सभ्य जगत् के सामने आए। तथा कुक ने अपनी डायरी में इस विचित्र जानवर का जिक्र किया था। हालांकि पहले भी यह धरती पर मौजूद हो सकता है लेकिन नामकरण और पहचान 18 वी शताब्दी में ही मिला। शारीरिक दृष्टि से इनकी पिछली टाँगें लंबी और अगली छोटी होती हैं, जिससे ये उछल उछलकर चलते हैं। पूँछ लंबी और मोटी होती है जो सिरे की ओर पतली होती जाती है। यह जानवर अपने साथियों से लड़ाई के समय पूंछ को पांचवें अंग के रूप में प्रयोग कर पूंछ के बल खड़ा हो जाता है। कंगारू स्तनधारियों के शिशुधनिन भाग (मार्सूपियल, marsupialia) के जीव हैं, जिनकी विशेषता उनके शरीर की थैली है। जन्म के पश्चात् उनके बच्चे बहुत दिनों तक इस थैली में रह सकते हैं। इनमें सबसे बड़े, भीम कंगारू (जायंट कंगारू) छोटे घोड़े के बराबर और सबसे छोटे, गंध कंगारू (मस्क कंगारू) खरहे से भी छोटे होते हैं।
प्रजातियां
कंगारू केवल आस्ट्रलिया में ही पाए जाते हैं। वहाँ इनकी 21 प्रजातियों (जीनस, genus) का अब तक पता चल सका है जिनमें 158 जातियाँ तथा उपजातियाँ है।न्यू गिनी में डोरकोपसिस (Dorcopsis) जाति के कंगारू मिलते हैं जो लगभग कुत्ते के बराबर होते हैं। इनकी पूँछ और टाँगें छोटी होती हैं। इन्हीं के निकट संबंधी तरुकुरंग (डेंड्रोलेगस कंगारू, Dendrolagus kangaroos) हैं जो पेड़ों पर भी चढ़ जाते हैं। इनके कान छोटे और पूँछ पतली तथा लंबी होती है।
मादा कंगारू की थैली (मार्सूपियल) एवं संरचना
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Inside Kangaroos Marsupium |
कंगारू को सभी जानवरों से अलग पहचान दिलाने वाली चीज उसकी थैलीनुमा संरचना है जो अंदर से मुलायम होती है जिसमें उसका बच्चा आसानी से बैठ कर स्तनपान कर सकता है। थैली या मार्सूपियम का कवच केवल बाहरी सुरक्षा ही नहीं बल्कि बच्चे को व्यस्क होने तक सुरक्षा, वातावरण संतुलन तथा पोषण भी उपलब्ध करवाती है।
जन्म के ठीक बाद, कंगारू के बच्चे स्थायी रूप से अपनी माँ के चूचक/थन (teats) से जुड़े रहते हैं। यह थन उसी थैली में होते हैं। जैसे-जैसे वे बड़े होते जाते हैं, वे चूचक से अलग हो जाना और जुड़ जाना सीखते जाते हैं। कई महीने तक उनके शरीर पर बाल नहीं आते। जब तक उसके शरीर पर बाल आते हैं, वे इतने बड़े हो चुके होते है कि अपनी माँ की थैली से बाहर आ सकें। फिर व्यस्क होने के बाद थैली से बाहर आ जाते हैं।
चार माह के होने के बाद वे थैली में से थोड़ी-थोड़ी देर के लिए बाहर आने लगते हैं। समय के साथ वे थैली के बाहर अधिक समय बिताने लगते हैं और बहुत कम थैली में वापस आते हैं। अंततः वे थैली को स्थायी रूप से छोड़ देते हैं। इस थैली की आन्तरिक संरचना की बात करें तो इसमें कोमल त्वचा होती है तथा थन होते हैं इसका मूंहाना बच्चे के अंदर जाने के बाद अपने आप छोटा हो जाता है। बाहर से यह थैली कंगारू की चमड़ी जैसी ही दिखती है।
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