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Millet research institute Barmer Rajasthan |
राजस्थान में सबसे ज्यादा बाजारा Millet बाड़मेर, जैसलमेर, जालोर में उत्पादन होता है। पश्चिमी राजस्थान हमेशा बाजरे के उत्पादन में अव्वल रहा है। इसलिए इस क्षेत्र में बाजरे के लिए अनुसंधान संस्थान की महती आवश्यकता रही है। जिस प्रकार भारत में लगभग सभी फसलों का अनुसंधान केंद्र खोल रखे हैं लेकिन बाजरे के ऊपर बहुयामी प्रयोगिक संस्थान नहीं होने के कारण बाजरा उत्पादन किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
पश्चमी राजस्थान में बाजरे की खेती बरसात ऋतु पर आधारित है हालांकि कुछ क्षेत्रों में ट्यूवेल से बुवाई होती है लेकिन मानसून वर्षा ऋतु के आगमन में बाजरे की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। चार महिने के सीजन में बाजारा कम वर्षा से भी पनप जाता है। तथा दो तीन बार की अच्छी वर्षा बाजरे के लिए प्रर्याप्त हो जाती है। इसलिए यहां बाजरे की खेती किसानों के लिए अनाज उत्पादन तथा व्यापार का प्रमुख साधन है लेकिन तकनीक की कमी से यहां के लघु किसान केवल अपने परिवार के लिए प्रर्याप्त बाजरा ही उत्पादनि कर पाते हैं।
बाड़मेर जिले में बाजरा की फसल मौसम की विपरीत स्थितियों को झेलती है। यह सूखे, मिट्टी की कम उर्वरता और अधिकतम तापमान के अनुसार खुद को अनुकूल बना लेती है। यह बाजरा कम बारिशों वाले स्थान पर उगता है राजस्थान के पश्चिमी सुखे रेगिस्तान में लगभग 50-70 सेमी तक बारिश होती है। इसलिए बाजरा सूखे के अनुकूल फसल है। खारी मिट्टी में भी बाजरा की खेती हो जाती है क्योंकि विपरीत परिस्थितियों के प्रति यह सहनशील है, बाजरा ऐसे स्थानों पर भी पैदा हो सकता है, जहां पर अनाज की अन्य फसलें जैसे मक्का या गेहूं नहीं उग पाती हैं।
बाजरे का सबसे अधिक उत्पादन में अव्वल बाड़मेर
राज्य में कृषि में सर्वाधिक क्षेत्रफल बाजरे का है। राज्य में बाजरे का सर्वाधिक उत्पादन बाड़मेर में होता है। राज्य का बाजरे के उत्पादन और क्षेत्रफल दोनों दृष्टि से देश में प्रथम स्थान है। राज्य में रबी की फसलों में सर्वाधिक क्षेत्र गेहूं का तो दूसरी तरफ खरीफ फसलों में बाजरे का सर्वाधिक है।
राजस्थान में भारत के कुल कृषि क्षेत्रफल का लगभग 11 प्रतिशत है लेकिन राजस्थान में सतही जल की उपलब्धता देश की मात्र 1 प्रतिशत है। राज्य में सर्वाधिक सिंचाई कुआं और नलकूपों से होती है। राज्य में कृषि जोतों का औसत आकार 4.24 हेक्टेयर (देश में सर्वाधिक) है जो देश के औसत कृषि जोत आकार (1.32 हेक्टेयर) से अधिक है राज्य में सर्वाधिक कृषि क्षेत्र लगभग 1/4 भाग में बाजरा बोया जाता है।
बाड़मेर खुलेगा देश का प्रथम अनुसंधान संस्थान
भारत सरकार के केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री श्री कैलाश चौधरी ने अपनी फेसबुक पोस्ट में जानकारी देते हुए कहां है कि बाड़मेर प्रदेश में सर्वाधिक बाजरे की बुवाई (9.50 लाख हैक्टेयर) कर रहा है, उत्पादन भी 5 लाख 86 हजार मेट्रिक टन है। साथ ही बाजरा मारवाड़ का प्रमुख खाद्य है और इसका उत्पादन इसी कारण बरसों से यहां सर्वाधिक हो रहा है। बाजरे के उत्पादन के बावजूद रेगिस्तान के इलाके में गुणवत्तता के बीज और बाजरे की उन्नत किस्म के लिए गुजरात व अन्य राज्यों के भरोसे किसान रहा है।
इसीलिए यहां के संसदीय प्रतिनिधि होने के नाते रेगिस्तान के मुख्य उत्पाद बाजरा के लिए यहीं पर अनुसंधान संस्थान खुलवाना मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल था। अब बाड़मेर को देश के पहले बाजरा अनुसंधान संस्थान की सौगात मिलने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई है। अखिल भारतीय समन्वित बाजरा अनुसंधान परियोजना ने इसके लिए 100 एकड़ जमीन जिला प्रशासन से मांग ली है।
यह अनुसंधान प्रदेश को बाजरे के बीज और उत्पादन को लेकर स्वावलंबी बनाने का बड़ा कदम होगा। इससे बाजरे की जैव विविधता, उच्च गुणवत्ता युक्त वाजिब दाम, प्रमाणित बीज, मूल्य संवर्धन आधारित बाजरा, बीज एवं जैविक प्रमाणीकरण संस्थान, बीजों के व्यापार संबंधित उद्योग व कृषि आधारित कुटीर उद्योग का विकास होगा। साथ ही किसानों की आय में वृद्धि के साथ रोजगार के साधन भी बढ़ जाएगें। निश्चित रूप से यह किसानों की समृद्धि की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।
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