वसंत पंचमी: विद्या की देवी मां सरस्वती से जुड़ा है यह खास दिन Spring Season Basant Panchami Jagriti PathJagriti Path

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Tuesday, February 16, 2021

वसंत पंचमी: विद्या की देवी मां सरस्वती से जुड़ा है यह खास दिन Spring Season Basant Panchami

Basant Panchami
वसंत पंचमी: विद्या की देवी मां सरस्वती से जुड़ा है यह खास दिन 


Spring Season Basant Panchami  



मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है। इसलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा एवं आराधना होती है।
आइए जानते हैं बंसत ऋतु के बारे में कि यह ऋतु अपने आपमें कितनी मोहक और महत्वपूर्ण है।

बसन्त ऋतु एवं मनमोहन मौसम


वैसे तो सभी  ऋतुए अपनी अपनी विशेषताओं के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन  वसंत को ऋतुओं का राजा अर्थात सर्वश्रेष्ठ ऋतु माना गया है। वसंत से नववर्ष की शुरुआत होती है। जिस तरह इन मौसम में प्रकृति में परिवर्तन होता है उसी तरह हमारे शरीर और मन-मस्तिष्क में भी परिवर्तन होता है। प्रकृति में सभी खूबसूरत क्यारियों में पादप एवं पौधों पर मनमोहक फूल खिलते लगते हैं। इस मौसम की सुन्दरता और चारों ओर की खुशियाँ, मस्तिष्क को कलात्मक बनाती है और आत्मविश्वास के साथ नए कार्य शुरु करने के लिए शरीर को ऊर्जा देती है। सुबह में चिड़ियों की आवाज और रात में चाँद की चाँदनी, दोनों ही बहुत सुहावने, ठंडे और शान्त वातावरण का निर्माण करते हैं। 
प्रकृति की असीम आकृषित सुन्दरता तथा शान्त वातावरण में भंवरों का गूंजन तथा पक्षियों का कलरव हमारे मन में एक ऊर्जी भर देते हैं जिससे लगता है कि पंख लगाकर आसमां में उड़ते हुए इस खूबसूरत छटा को निहारा जाए।
पक्षियों का कलरव तथा सर्दी और गर्मी के इस मिश्रण काल में आसपास के वातावरण की फिजा अलग ही एहसास करवाती है। मन मस्तिष्क में एक अलग की तरहां से आनन्ददायक वातावरण महसूस होता है। इसी ऋतु में वसंत पंचमी का विशेष महत्व है तथा इस दिवस पर विद्या की देवी मां सरस्वती को याद किया जाता है। तथा ज्ञान तथा सद्बुद्धि की मनोकामना की जाती है।
अंग्रेज़ी कलेंडर के अनुसार फरवरी, मार्च और अप्रैल माह में वसंत ऋतु रहती है। वसंत ऋतु चैत्र और वैशाख माह अर्थात मार्च-अप्रैल में, ग्रीष्म ऋतु ज्येष्ठ और आषाढ़ माह अर्थात मई जून में, वर्षा ऋतु श्रावण और भाद्रपद अर्थात जुलाई से सितम्बर, शरद ऋतु अश्‍विन और कार्तिक माह अर्थात अक्टूबर से नवम्बर, हेमन्त ऋतु मार्गशीर्ष और पौष माह अर्थात दिसंबर से 15 जनवरी तक और शिशिर ऋतु माघ और फाल्गुन माह अर्थात 16 जनवरी से फरवरी अंत तक रहती है। इस ऋतु में होली, धुलेंडी, रंगपंचमी, बसंत पंचमी, नवरात्रि, रामनवमी, नव-संवत्सर, हनुमान जयंती और गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाए जाते हैं। इनमें से रंगपंचमी और बसंत पंचमी जहां मौसम परिवर्तन की सूचना देते हैं वहीं नव-संवत्सर से नए वर्ष की शुरुआत होती है।
पंचांग के अनुसार माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी की तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व जीवन में ज्ञान और शिक्षा के महत्व को भी दर्शाता है। 


बसंत पंचमी का पर्व एवं  देवी सरस्वती की आराधना


माना जाता है कि जीवन में ज्ञान के बिना सफलता की कल्पना करना मुश्किल है। वेद और शास्त्रों में भी ज्ञान के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। ज्ञान हर प्रकार के अंधकार को दूर करने की क्षमता रखता है। वर्तमान समय की बात करें तो शिक्षा से ही सफलता प्राप्त होती है। बसंत पंचमी का दिन ज्ञान के महत्व को जानने का भी पर्व है। बसंत पंचमी का पर्व शिक्षा आरंभ करने के लिए सबसे उत्तम माना गया है। इसलिए इस दिन छोटे बच्चों की शिक्षा का आरंभ किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन अबूझ मुहूर्त का निर्माण होता है। बसंत पंचमी के दिन बिना मुहूर्त को देखे शुभ और मांगलिक कार्य भी किए जा सकते हैं।

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