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Right to Education Act 2009 |
राजस्थान निःशुल्क और अनिवार्य बाल
शिक्षा का अधिकार RTE -2011 Right to Education Act 2009
|
6-14 वर्ष के सभी बालक-बालिकाओं को नि:शुल्क व अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने हेतु भारतीय संसद में एक कानून बनाया गया जिसे शिक्षा अधिकार अधिनियम- 2009 के रूप में राज्य सभा द्वारा 20 जुलाई, 2009 को पारित किया गया तथा लोकसभा द्वारा 4 अगस्त, 2009 को 'द राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फ्री एण्ड कंपलसरी एजुकेशन बिल पारित किया गया। इस अधिनियम के तहत संविधान के अनुच्छेद 21-ए के अन्तर्गत बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के मूल अधिकार को क्रियान्वयन का प्रावधान किया गया। निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम 1 अप्रैल, 2010 से सम्पूर्ण देश में लागू किया गया - जम्मू कश्मीर को छोड़कर। भारत 'शिक्षा' को बच्चों के लिए मौलिक अधिकार के रूप में घोषित करने वाला विश्वका 135वाँ देश है। राजस्थान राज्य में धारा-38 का लाभ उठाते हुए वर्ष-2011 में 29 मार्च को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के रूप में लागू किया गया।
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शिक्षा का अधिकार
अधिनियम-2009 Right of Children to Free and Compulsory Education Act or
Right to Education Act RTE अध्याय एवं धाराएँ |
राजस्थान में RTE-2009 की धारा 38 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार ने इस अधिनियम के प्रावधानों की क्रियान्विति हेतु 'राजस्थान निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली 2011' निर्मित कर 29 मार्च 2011 अधिसूचना जारी की गई तथा इस अधिनियम में 10 अध्याय 29 धाराओं का उल्लेख किया गया है। निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (2009 का केन्द्रीय अधिनियम सं.35) की धारा 38 द्वारा विद्यालय प्रबन्धन एवं प्रशासन प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार ने इसके संदर्भ में निम्न नियम एवं धाराएं बनाई है जिसका पालन कर शिक्षा के अधिकार का सुनियोजित तरीके से क्रियान्वयन किया जा सके।
राजस्थान निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार RTE -2011 के अध्याय एवं धाराएं
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➤धारा Section-1-संक्षिप्त नाम, प्रसार और प्रारम्भः-
इन नियमों का नाम राजस्थान निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम, 2011 है।
अध्याय- 1 प्रारम्भिक भूमिका |
➤धारा section -2-परिभाषाएं
👉निदेशक प्रारम्भिक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी से प्रारम्भिक शिक्षा का विभागाध्यक्ष होगा।
👉जिला प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी किसी जिले में प्रारम्भिक शिक्षा के लिए प्रभारी अधिकारी होगा।
👉कार्यकारी समिति किसी विद्यालय के दिन-प्रतिदिन के प्रबन्ध के लिए गठित कोई विद्यालय प्रबन्धन समिती होगी।
👉विद्यालय प्रबन्ध समिति से अधिनियम की धारा 21 के अधीन गठित एक समिति होगी।
👉विद्यालय मान-चित्रण सामाजिक संबंध और भौगोलिक दूरी पर नियंत्रण के लिए अधिनियम की धारा 6 के प्रयोजन के लिए विद्यालय अवस्थान की योजना बनाना आवश्यक होगा।
👉उच्च प्राथमिक विद्यालय से कक्षा 1 से 8 तक शिक्षा प्रदान करने वाला कोई विद्यालय होना आवश्यक है।
अध्याय-2- विधालय प्रबंध समिति SMC/SDMC |
➤धारा Section 3-विद्यालय प्रबन्ध समिति विद्यालय प्रबन्धन समिति की संरचना और कृत्य
गैर-सहायता प्राप्त विद्यालय से भिन्न प्रत्येक विद्यालय में एक विद्यालय प्रबन्ध समिति का गठन किया जायेगा और राज्य सरकार/स्थानीय प्राधिकारी द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों के अनुसार प्रत्येक दो वर्ष में उसका पुनर्गठन किया जायेगा।
इस School Management Committee में न्युनतम 16 सदस्य होंगे। जिससे एसटी एससी के सदस्य भी होने चाहिए। तथा इस समिति में महिलाओं की भागीदारी 50 प्रतिशत होगी। तथा एक माह में कम-से-कम एक बैठक आयोजित करना अभिप्रेत है।
उक्त समिति में निम्नलिखित सदस्य होंगे:
(क) विद्यालय में अध्ययनरत प्रत्येक बालक का माता-पिता/संरक्षक।
(ख) विद्यालय में कार्यरत अध्यापक।
(ग) स्थानीय प्राधिकारी के उस वार्ड, जिसमें विद्यालय स्थित है, से निर्वाचित जनप्रतिनिधि
(घ) स्थानीय प्राधिकारी के उस ग्राम/वार्ड, जिसमें विद्यालय स्थित है, में निवास कर रहे समस्त अन्य निर्वाचित सदस्य है।
(ड)-उस विद्यालय का एक विद्यार्थी तथा जनप्रतिनिधि द्वारा मनोनीत एक सदस्य
विधायक का द्वारा एक मनोनीत सदस्य
इसके अलावा कार्यकारी समिति का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य-सचिव उक्त समिति के क्रमशः अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य-सचिव होंगे। उक्त समिति प्रत्येक तीन माह से कम से कम एक बार अपनी बैठक करेगी और बैठकों के कार्यवृत्त और विनिश्चय समुचित रूप से अभिलिखित किये जायेंगे और जनता के लिए उपलब्ध कराये जायेंगे। SMC की साधारण समिति की तीन माह में कम से कम एक बैठक आयोजित हो। धारा 21 की उपधारा (2) के खण्ड (क) से (घ) में विनिर्दिष्ट कार्यों के अतिरिक्त, निम्नलिखित कार्यों का पालन करेगी, (1) विद्यालय में आसपास के सभी बालकों के नामांकन और निरन्तर उपस्थिति को सुनिश्चित करना। (2) बालक के अधिकारों से किसी विचलन को, विशेष रूप से बालकों के मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न, प्रवेश से इन्कार किये जाने पर सामान्य प्राधिकारी की जानकारी में लाना। (3) आवश्यकताओं का पता लगाना, योजना तैयार करना और धारा 4 के उपलब्धों के कार्यान्वयन को मॉनीटर करना। (4) निःशक्तताग्रस्त बालकों की पहचान और नामांकन तथा उनकी शिक्षा की सुविधाओं को क्रियान्वयन करना और प्रारम्भिक शिक्षा में उनके भाग लेने और उसे पूरा करने को सुनिश्चित करना।
(5) विद्यालय में दोपहर के भोजन के कार्यान्वयन को मानीटर करना।
(6) विद्यालय की प्राप्तियों और व्यय का वार्षिक लेखा तैयार करना।
➤धारा Section 4-विद्यालय प्रबन्ध समिति की कार्यकारी समिति
RTE में स्पष्ट प्रावधान है कि विद्यालय प्रबंधन समिति का गठन किया जाएगा। जिसमें दो तरह की समितियों का उल्लेख है। आदर्श विद्यालय योजना/समन्वित विद्यालय योजना के अन्तगत जारी आदेश दिनांक 21 जनवरी, 2015 के अनुसार प्रत्येक समन्वित विद्यालयों में दो प्रकार की प्रबन्धन समितियाँ होगी।
(i) कक्षा 1 से 8 तक
SMC (School Management Committee
विद्यालय प्रबंधन समिति तथा
(ii) कक्षा 9 से 12 तक - SDMC ( School Development & Management Committee/ विद्यालय विकास एवं प्रबन्धन समिति)
उपरोक्त समितियों का नाम विद्यालय एवं मुख्यालय के नाम से जुड़ा होता है। मुख्यालय विद्यालय भवन व उसके परिक्षेत्र में अध्ययनरत छात्रों के निवास स्थान तक होता है। परन्तु विकास कार्य की दृष्टि से इसका कार्य क्षेत्र विद्यालय भवन, परिसर व खेल के मैदान तक ही सीमित रहता है।
➤धारा Section 5- विद्यालय विकास योजना तैयार करना
विद्यालय प्रबन्ध समिति उस वित्तीय वर्ष के जिसमें अधिनियम के अधीन उसका पहली बार गठन किया गया है, अंत से कम से कम तीन मास पूर्व एक विद्यालय विकास योजना तैयार करेगी। विद्यालय विकास योजना तीन वर्षीय योजना होगी, जिसमें तीन वार्षिक उपयोजनाएं होंगी। विद्यालय विकास योजना पर विद्यालय प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष और सदस्य-सचिव द्वारा हस्ताक्षर किये जायेंगे और उसे उस वित्तीय वर्ष के, जिसमें उसे तैयार किया जाना है, अंत से पूर्व ब्लाक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी को प्रस्तुत किया जायेगा।
➤धारा Section 3-विद्यालय प्रबन्ध समिति विद्यालय प्रबन्धन समिति की संरचना और कृत्य
गैर-सहायता प्राप्त विद्यालय से भिन्न प्रत्येक विद्यालय में एक विद्यालय प्रबन्ध समिति का गठन किया जायेगा और राज्य सरकार/स्थानीय प्राधिकारी द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों के अनुसार प्रत्येक दो वर्ष में उसका पुनर्गठन किया जायेगा।
इस School Management Committee में न्युनतम 16 सदस्य होंगे। जिससे एसटी एससी के सदस्य भी होने चाहिए। तथा इस समिति में महिलाओं की भागीदारी 50 प्रतिशत होगी। तथा एक माह में कम-से-कम एक बैठक आयोजित करना अभिप्रेत है।
उक्त समिति में निम्नलिखित सदस्य होंगे:
(क) विद्यालय में अध्ययनरत प्रत्येक बालक का माता-पिता/संरक्षक।
(ख) विद्यालय में कार्यरत अध्यापक।
(ग) स्थानीय प्राधिकारी के उस वार्ड, जिसमें विद्यालय स्थित है, से निर्वाचित जनप्रतिनिधि
(घ) स्थानीय प्राधिकारी के उस ग्राम/वार्ड, जिसमें विद्यालय स्थित है, में निवास कर रहे समस्त अन्य निर्वाचित सदस्य है।
(ड)-उस विद्यालय का एक विद्यार्थी तथा जनप्रतिनिधि द्वारा मनोनीत एक सदस्य
विधायक का द्वारा एक मनोनीत सदस्य
इसके अलावा कार्यकारी समिति का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य-सचिव उक्त समिति के क्रमशः अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य-सचिव होंगे। उक्त समिति प्रत्येक तीन माह से कम से कम एक बार अपनी बैठक करेगी और बैठकों के कार्यवृत्त और विनिश्चय समुचित रूप से अभिलिखित किये जायेंगे और जनता के लिए उपलब्ध कराये जायेंगे। SMC की साधारण समिति की तीन माह में कम से कम एक बैठक आयोजित हो। धारा 21 की उपधारा (2) के खण्ड (क) से (घ) में विनिर्दिष्ट कार्यों के अतिरिक्त, निम्नलिखित कार्यों का पालन करेगी, (1) विद्यालय में आसपास के सभी बालकों के नामांकन और निरन्तर उपस्थिति को सुनिश्चित करना। (2) बालक के अधिकारों से किसी विचलन को, विशेष रूप से बालकों के मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न, प्रवेश से इन्कार किये जाने पर सामान्य प्राधिकारी की जानकारी में लाना। (3) आवश्यकताओं का पता लगाना, योजना तैयार करना और धारा 4 के उपलब्धों के कार्यान्वयन को मॉनीटर करना। (4) निःशक्तताग्रस्त बालकों की पहचान और नामांकन तथा उनकी शिक्षा की सुविधाओं को क्रियान्वयन करना और प्रारम्भिक शिक्षा में उनके भाग लेने और उसे पूरा करने को सुनिश्चित करना।
(5) विद्यालय में दोपहर के भोजन के कार्यान्वयन को मानीटर करना।
(6) विद्यालय की प्राप्तियों और व्यय का वार्षिक लेखा तैयार करना।
➤धारा Section 4-विद्यालय प्रबन्ध समिति की कार्यकारी समिति
RTE में स्पष्ट प्रावधान है कि विद्यालय प्रबंधन समिति का गठन किया जाएगा। जिसमें दो तरह की समितियों का उल्लेख है। आदर्श विद्यालय योजना/समन्वित विद्यालय योजना के अन्तगत जारी आदेश दिनांक 21 जनवरी, 2015 के अनुसार प्रत्येक समन्वित विद्यालयों में दो प्रकार की प्रबन्धन समितियाँ होगी।
(i) कक्षा 1 से 8 तक
SMC (School Management Committee
विद्यालय प्रबंधन समिति तथा
(ii) कक्षा 9 से 12 तक - SDMC ( School Development & Management Committee/ विद्यालय विकास एवं प्रबन्धन समिति)
उपरोक्त समितियों का नाम विद्यालय एवं मुख्यालय के नाम से जुड़ा होता है। मुख्यालय विद्यालय भवन व उसके परिक्षेत्र में अध्ययनरत छात्रों के निवास स्थान तक होता है। परन्तु विकास कार्य की दृष्टि से इसका कार्य क्षेत्र विद्यालय भवन, परिसर व खेल के मैदान तक ही सीमित रहता है।
➤धारा Section 5- विद्यालय विकास योजना तैयार करना
विद्यालय प्रबन्ध समिति उस वित्तीय वर्ष के जिसमें अधिनियम के अधीन उसका पहली बार गठन किया गया है, अंत से कम से कम तीन मास पूर्व एक विद्यालय विकास योजना तैयार करेगी। विद्यालय विकास योजना तीन वर्षीय योजना होगी, जिसमें तीन वार्षिक उपयोजनाएं होंगी। विद्यालय विकास योजना पर विद्यालय प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष और सदस्य-सचिव द्वारा हस्ताक्षर किये जायेंगे और उसे उस वित्तीय वर्ष के, जिसमें उसे तैयार किया जाना है, अंत से पूर्व ब्लाक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी को प्रस्तुत किया जायेगा।
अध्याय-3-निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार |
➤धारा Section -6-विशेष प्रशिक्षण
राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकारी के स्वामित्वाधीन किसी विद्यालय की विद्यालय प्रबन्ध समिति विशेष प्रशिक्षण की अपेक्षा करने वाले बालकों की पहचान करेगी और उनके लिए विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था करेंगी। प्रशिक्षण की कालावधि तीन मास की न्यूनतम अवधि के लिए होगी तथा अधिकतम दो वर्ष की होगी। आयु अनुरूप समुचित कक्षा में प्रवेश करने पर, बालक विशेष प्रशिक्षण के पश्चात् अध्यापक द्वारा विशेष ध्यान प्राप्त करता रहेगा, जिससे कि उसे शेष कक्षा के साथ सफलतापूर्वक जुड़ने में शैक्षिक रूप से और भावनात्मक रूप से समर्थ बनाया जा सके।
अध्याय-4- राज्य सरकार और स्थानीय प्राधिकारी के कर्तव्य |
➤धारा-Section-7-आसपास का क्षेत्र या सीमाएं
आसपास का क्षेत्र या सीमाएं, जिनके भीतर राज्य सरकार द्वारा कोई विद्यालय स्थापित किया जाना है, निम्न होंगी
(क) कक्षा 1 से 5 तक के बालकों के सम्बन्ध में विद्यालय आसपास की 1 किलोमीटर की पैदल दूरी के भीतर
स्थापित किया जायेगा।
(ख) कक्षा 6 से 8 तक के बालकों के सम्बन्ध में विद्यालय आसपास की 2 किलोमीटर की पैदल दूरी के भीतर
स्थापित किया जायेगा। कठिन और दूरस्थ क्षेत्रों जैसे रेगिस्तानी क्षेत्र, पहाड़ी क्षेत्र और दूरस्थ जनसंख्या वाले क्षेत्रों के मामले में राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकारी किसी ऐसे आवास में, जिसकी न्यूनतम जनंसख्या 150 व्यक्ति है और 6-11 वर्ष तक के आयु वर्ग के न्यूनतम 20 बालक हैं, कक्षा 1 से 5 तक का विद्यालय स्थापित करेगा, और किसी ऐसे आवास में, जहाँ कम से कम 2 पोषक प्राथमिक विद्यालयों से कक्षा 5 में न्यूनतम 30 बालक हैं, कक्षा 6 से 8 तक का विद्यालय स्थापित करेगा।
➤धारा- Section -8-राज्य सरकार और स्थानीय प्राधिकारी की उत्तरदायित्व
आसपास के विद्यालयों का अवधारण करने और उनकी स्थापना करने के प्रयोजन के लिए राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकारी की योजना तैयार करेगा और दूरस्थ क्षेत्रों के बालकों, नि:शक्ततागस्त बालकों, अलाभप्रद समूह के बालकों, कमजोर वर्ग के बालकों की प्रत्येक वर्ष पहचान करेगा। राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि विद्यालय में कोई भी बालक जाति, वर्ग धर्म या लिंग सम्बन्धी दुर्व्यवहार या किसी भी प्रकार के शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के अधीन न हो।
➤धारा Section-9-स्थानीय प्राधिकारी द्वारा बालकों के अभिलेखों का रखा जाना
स्थानीय प्राधिकारी अपनी अधिकारिता के अधीन सभी बालकों का घरेलू सर्वेक्षण (House Hold) के माध्यम से उनके जन्म से 14 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक का एक अभिलेख रखेगा।
अध्याय-5- विद्यालयो और अध्यापकों के उतरदायित्व |
➤धारा- Section-10. कमजोर वर्ग और अलाभप्रद समूह के बालकों का प्रवेश (25%)
किसी विद्यालय विशेष में प्रवेश के लिए आवेदनों की संख्या कमजोर वर्ग और अलाभप्रद समूह के बालकों के लिए स्थानों की संख्या से अधिक हो तो वरीयता उस गाँव/नगर पालिका वार्ड, जिसमें ऐसा विद्यालय स्थित है, के बालकों को दी जायेगी। धारा 12 की उप-धारा (1) के खण्ड के अनुसार बालक का प्रवेश लॉटरी के ड्रा द्वारा किया जायेगा राज्य सरकार द्वारा, समय-समय पर जारी किये गये निर्देशों के अनुसार किया जायेगा।
➤धारा Section- 11. राज्य सरकार द्वारा प्रति-बालक-व्यय की प्रतिपूर्ति
निदेशक, प्रारम्भिक शिक्षा धारा 2 के खण्ड (ढ) के उपखण्ड (ii) और (iv) में निर्दिष्ट विद्यालयों में धारा 12 की उप-धारा (1) के खण्ड (ग) के अनुसार प्रवेश दिये गये बालकों के सम्बन्ध में फीस की प्रतिपूर्ति के लिए समस्त जिला प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारियों को समिति का विनिश्चय संसूचित करेगा। ब्लॉक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी अन्तिम प्रतिपूर्ति करने से पूर्व बालकों का नामांकन सत्यापित कर सकेगा या सत्यापित करवा सकेगा।
➤धारा-Section 12. आयु के सबूत के लिए दस्तावेज-
जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1969 (1969 का केन्द्रीय अधिनियम सं. 18) के अधीन बनाये गये नियमों के अधीन जारी किया गया जन्म प्रमाण-पत्र उपलब्ध नहीं है वहां निम्नलिखित दस्तावेजों में से किसी एक को विद्यालयों में प्रवेश के प्रयोजनों के लिए बालक की आयु का सबूत समझा जायेगा:(क) अस्पताल/सहायक नर्स और दाई (ए.एन.एम.) रजिस्टर/अभिलेख।
(ख) आँगनबाड़ी अभिलेख और (ग) माता-पिता या संरक्षक द्वारा बालक की आयु की घोषणा।
➤धारा-Section- 13. प्रवेश के लिए विस्तारित कालावधि -
प्रवेश के लिए विस्तारित कालावधि विद्यालय के शैक्षणिक वर्ष के प्रारम्भ की दिनांक से छह मास की होगी। जहाँ किसी बालक को विस्तारित कालावधि के पश्चात् किसी विद्यालय में प्रवेश दिया जाता है वहाँ वह विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा यथा-अवधारित विशेष प्रशिक्षण की सहायता से अध्ययन पूरा करने के लिए पात्र होगा।
➤धारा -Section-14. विद्यालयों को मान्यता-
केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा स्थापित, उनके स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन किसी विद्यालय से भिन्न कोई विद्यालय राजस्थान गैर-सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1989 (1992 का अधिनियम सं. 19) के अधीन मान्यता प्राप्त किये बिना स्थापित नहीं किया जायेगा या कृत्य नहीं करेगा।
➤धारा-Section- 15- विद्यालय की मान्यता वापस लेना-
राजस्थान गैर-सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1989 (1992 का अधिनियमसं. 19) के अधीन मान्यता, मंजूरी उक्त अधिनियम के उपबंधों के अनुसार, किसी भी समय, वापस ली जा सकेगी।
अध्याय- 6 शिक्षक अर्हता,कर्तव्य,सेवा,वेतन,भत्ते |
➤धारा-Section- 16. न्यूनतम अर्हता
केन्द्रीय सरकार द्वारा धारा 23 की उप-धारा (1) के अधीन अधिसूचित शैक्षणिक प्राधिकारी द्वारा अधिकथित न्यूनतम
अर्हताएं धारा 2 के खण्ड (ढ) में निर्दिष्ट समस्त विद्यालयों पर लागू होंगी।
➤धारा -Section-17- न्यूनतम अर्हता शिथिलीकरण
यदि राज्य के पास अध्यापक शिक्षण में पाठ्यक्रम या प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए पर्याप्त संस्थाएं नहीं है, वहां राज्य सरकार, केन्द्रीय सरकार से विहित न्यूनतम अर्हताओं को शिथिल करने के लिए अनुरोध करेगी।
➤धारा -Section-18. न्यूनतम अर्हताओं का अर्जित किया जाना
राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रर्याप्त शिक्षक ,शिक्षण सुविधा उपलब्ध करवावेगी। इस अधिनियम के प्रारंभ से पाँच वर्ष की कालावधि के भीतर अध्यापक ऐसी न्यूनतम अर्हताएं अर्जित कर लें।
➤धारा-Section-19. अध्यापकों के वेतन, भत्ते, सेवा के निबंधन और शर्ते-
अध्यापकों को संदेय वेतन और भत्ते और उनकी सेवा राजस्थान शिक्षा अधीनस्थ सेवा नियम, 1971, राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996 और यथास्थिति, राजस्थान पंचायती राज प्रबोधक सेवा नियम, 2008 के अनुसार होंगी।
➤धारा -Section-20-अध्यापकों द्वारा अनुपालन किये जाने वाले कर्तव्य
राजस्थान में निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार RTE -2011 मे इस धारा मे
अध्यापकों द्वारा अनुपालन किये जाने वाले कर्तव्य शामिल हैं
➤धारा -Section-21. प्रत्येक विद्यालय में विद्यार्थियों-अध्यापक का अनुपात
किसी विद्यालय में अध्यापकों की स्वीकृत संख्या राज्य सरकार या, यथास्थिति, स्थानीय प्राधिकारी द्वारा अधिसूचित की जायेगी परन्तु राज्य सरकार या, यथास्थिति, स्थानीय प्राधिकारी द्वारा ऐसी अधिसूचना के तीन मास के भीतर उप-नियम (1) में निर्दिष्ट अधिसूचना से पूर्व स्वीकृत संख्या से अधिक संख्या वाले विद्यालयों के अध्यापकों की पुनः नियुक्ति की जायेगी।
अध्याय- 7 पाठ्यचर्या और प्रारम्भिक शिक्षा का पूर्ण होना |
➤धारा -Section-22. - शैक्षणिक प्राधिकारी
पाठ्यचर्या और मूल्यांकन प्रक्रिया अधिकथित करते समय, शैक्षणिक प्राधिकारी:(क) सुसंगत और आयु समुचित पाठ्यक्रम तथा पाठ्यपुस्तकें और अन्य शिक्षण सामग्री तैयार करेगा। (ख) सेवा में अध्यापक प्रशिक्षण डिजाइन प्रस्तुत करेगा और (ग) निरंतर तथा व्यापक मूल्यांकन को अभ्यास में रखने के लिए मार्गदर्शक सिद्धान्त तैयार करेगा।
➤धारा -Section-23. प्रमाण-पत्र प्रदान करना
प्रारंभिक शिक्षा के पूरा होने का प्रमाण-पत्र, प्रारम्भिक शिक्षा के पूरा होने के एक मास के भीतर विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा जारी किया जायेगा।
अध्याय- 8 -शिकायत निवारण |
➤धारा-Section 24. अध्यापकों के लिए शिकायत निवारण
राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा स्थापित, स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन, विद्यालयों में अध्यापकों की शिकायतों के निवारण की लिए निम्न में से मिलकर बनी एक ब्लाक स्तरीय शिकायत निवारण समिति होगी:(i) ब्लॉक विकास अधिकारी-अध्यक्ष (ii) ब्लॉक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी-सदस्य (iii) अपर ब्लॉक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी-सदस्य सचिव
राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा स्थापित, स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन, किसी विद्यालय का कोई अध्यापक समिति के सदस्य-सचिव को लिखित में अपनी शिकायत प्रस्तुत कर सकेगा। अध्यापकों की शिकायतों के निवारण के लिए एक जिला स्तरीय शिकायत निवारण समिति होगी। कोई अध्यापक, जो ब्लाक स्तरीय समिति के विनिश्चिय से सन्तुष्ट नहीं है, जिला स्तरीय शिकायत समिति में अपील कर सकेगा।
जिला स्तरीय शिकायत निवारण समिति निम्नलिखित में मिलकर बनेगी:(i) मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद् -अध्यक्ष (ii) जिला प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी
-सदस्य (iii) अपर जिला प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी सदस्य-सचिव
-ब्लाक और जिला स्तरीय समितियां आवश्यकतानुसार किन्तु प्रत्येक तीन मास में कम से कम एक बैठक करेंगी। समिति का सदस्य-सचिव समिति के विनिश्चय से सम्बन्धित अध्यापक को संसूचित करेगा। प्रत्येक सहायता प्राप्त/गैर-सहायता प्राप्त निजी विद्यालय अपने अध्यापकों की शिकायतों के निवारण के लिए स्वयं अपना तन्त्र विकसित करेगा।
➤धारा-Section-25. बालकों/माता-पिता की शिकायत का निवारण
अधिनियम के उपबन्धों के अननुपालन या अतिक्रमण से उत्पन्न कोई शिकायत सीधे विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष को की जायेगी।
समुचित प्राधिकारी उचित कार्रवाई करेगा और तीन मास से अनधिक की कालावधि के भीतर आवेदक को सूचित करेगा। यदि आवेदक, SMC की कार्रवाही से सन्तुष्ट नहीं है तो वह राजस्थान राज्य बाल अधिकारी संरक्षण आयोग/राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का दरवाजा खटखटा सकेगा।
अध्याय-9 बाल अधिकारों का संरक्षण |
➤धारा-Section-26-राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा कृत्यों का निर्वहन-
राज्य सरकार राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को अधिनियम के अधीन उसके कृत्यों के निर्वहन में सहायता करने के लिए एक प्रकोष्ठ गठित कर सकेगी।
➤धारा -Section-27. राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के समक्ष परिवादों को प्रस्तुत करने का ढंग-
राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, अधिनियम के अधीन बाल अधिकारों के अतिक्रमण के सम्बन्ध में परिवादों के रजिस्ट्रीकरण के लिए एक चाइल्ड हैल्प लाइन की स्थापना कर सकेगा जो उसके द्वारा आन-लाइन व्यवस्था के माध्यम से माॅनीटर की जा सकेगी।
➤धारा-Section 28- राज्य सलाहकार परिषद् का गठन और उसके कृत्य
अधिनियम के उपबंधों का प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन करने के लिए राज्य सरकार को राय देने के लिए, राज्य सरकार एक राज्य सलाहकार परिषद् का गठन करेगी जो एक अध्यक्ष और चौदह सदस्यों से मिलाकर बनेगी। परिषद् के सदस्यों की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा प्रारम्भिक शिक्षा और बाल विकास के क्षेत्र में ज्ञान और व्यावहारिक अनुभव रखने वाले व्यक्तियों में से की जायेगी।
अध्याय-10 -विविध |
➤धारा-Section- 29. शंकाओं का निराकरण:-
नियमों के किन्हीं उपबन्धों के निर्वाचन या उनके लागू होने के बारे में कोई भी शंका उत्पन्न हो वहां मामला सरकार के शिक्षा विभाग को निर्दिष्ट किया जायेगा जिसका उस पर विनिश्चय अंतिम और बाध्यकारी होगा।
शानदार जानकारी
ReplyDeleteBablu joshi
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