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Friday, January 29, 2021

Rakesh Tikait: राकेश टिकैत कौन है? जो बने हुए हैं किसानों के मसीहा दे चुके है पुलिस में सेवा

Rakesh Tikait farmers leader
Rakesh Tikait great leader of farmers


•राकेश टिकैत कौन है?
 Who is Rakesh Tikait?
•राकेश टिकैत कहां के रहने वाले हैं?
•राकैश टिकैत ने पुलिस सेवा क्यो छोड़ी?
• राकेश टिकैत ने कितनी पढ़ाई की है?
• राकेश टिकैत की क्या मांगें है?

भारतीय  किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत सुर्खियों में हैं। जो वर्तमान में क़ृषि कानूनों के खिलाफ लगातार आन्दोलन कर रहे हैं। राकेश टिकैत के समर्थन में बड़ी मात्रा में पंजाब हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान है। 26 जनवरी गणतंत्र की हिंसा के बाद सरकार और दिल्ली पुलिस की मंशा राकेश टिकैत को गिरफ्तार करने की है लेकिन राकेश टिकैत के एक भावुक वायरल विडियो ने उन्हें देश में एक बार फिर मशहूर कर दिया है। तथा उन्हें एक बार फिर बड़ी मात्रा में किसानों का समर्थन मिल रहा है तो  आइये जानते हैं कि कौन हैं किसान नेता राकेश टिकेत!   जिनके नेतृत्व में लाखों किसान दिल्ली में आन्दोलन कर रहे हैं।

राकेश टिकैत का परिचय

 

राकेश टिकैत का जन्म उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली गांव में 4 जून 1969 को हुआ था। राकेश टिकैत का परिवार बालियान खाप से है। राकेश टिकैत ने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई की हुई है। इनके भाई नरेश टिकैत है  जो बीकेयू के अध्यक्ष हैं।
राकेश टिकैत  उत्तर प्रदेश में भारतीय किसान यूनियन के मुखिया हैं।देश के जाने-माने किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे राकेश टिकैत कई दशकों से किसानों के  हकों की लड़ाई के लिए सक्रिय हैं। वह लगातार विभिन्न मंचों पर किसानों के अधिकार की बातें उठा चुके हैं। 

कई बार जा चुके हैं जेल


बताया जाता है कि किसानों के अधिकार की लड़ाई के चलते राकेश टिकैत 44 बार जेल जा चुके हैं। न्युज एजेन्सीज की जानकारी के मुताबिक, मध्य प्रदेश में भूमि अधिकरण कानून के खिलाफ हुए आंदोलने के चलते राकेश टिकैत को 39 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था। कुछ साल पहले दिल्ली में संसद भवन के बाहर किसानों के गन्ना मूल्य बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया तो उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। दरअसल, राकेश टिकैत ने संसद भवन के बाहर गन्ना जला दिया था। 

पुलिस में सेवा दे चुके है राकेश टिकैत


राकेश टिकैत वर्ष 1992 में दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर नौकरी करते थे, लेकिन पिता महेंद्र सिंह टिकैत का प्रभाव उन पर खूब है। यही वजह है कि जबव 1993-1994 में दिल्ली के लाल किले पर पिता महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था तो वह भी भावुक हो गए। राकेश टिकैत पर सरकार ने आंदोलन खत्म कराने का दबाव बनाया। साथ ही कहा कि वह अपने पिता और भाइयों को आंदोलन खत्म करने को कहें, जिसके बाद राकेश टिकैत पुलिस की नौकरी छोड़ किसानों के साथ खड़े हो गए थे। इसके बाद पिता महेंद्र सिंह टिकैत की कैंसर से मृत्यु के बाद राकेश टिकैत ने पूरी तरह भारतीय किसान यूनियन (BKU) की कमान संभाल ली। 

चुनाव के मैदान में भी आजमा चुके हैं अपनी ताकत


राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजीत सिंह ने वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अमरोहा सीट से राकेश टिकैत को लोकसभा प्रत्याशी बनाया था। लेकिन वे जीत नहीं सके। राकेश टिकैत ने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई करने के बाद एलएलबी भी किया है।





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