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गांधी जी की पुण्यतिथि शहीद दिवस भारतीय इतिहास के दुखद पन्नों में गिना जाता है यह दिन जब गोडसे ने दागी बापू के सीने में तीन गोलियां फोटो क्रिएटिव पिक्स आर्ट एवं गूगल जागृति पथ |
सत्य और अहिंसा के पुजारी थे महात्मा
भारत देश हर वर्ष के जनवरी माह की 30 तारीख को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि मनाता है। इस दिन को भारतीय इतिहास के दुखद पन्नों में गिना जाता है। जब 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे ने पहले उनके पैर छुए और फिर बापू के साथ खड़ी महिला को हटाया और अपनी सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल से एक बाद के एक तीन गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी।
भारत में इस दिन को महात्मा गांधी की शहादत के रूप में मनाया जाता है और इसे शहीद दिवस भी कहा जाता है। इस दौरान देशभर में सभाओं का आयोजन कर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी जाती है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित देश के कई गणमान्य नागरिक राष्ट्रपिता के समाधि स्थल 'राजघाट' जाकर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। उनके आदर्शों व मूल्यों के साथ-साथ राष्ट्र के प्रति उनके अतुलनीय योगदान को याद किया जाता है। इस बार 30 जनवरी को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पूर्वाह्न 11 बजे 2 मिनट का मौन रखने का निर्देश दिया गया है। यह उन वीर सपूतों के लिए भी होगा, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
भारत में महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता तथा बापू का दर्जा प्राप्त है। गांधी भारत के सबसे उदारवादी नेताओं में से एक थे। स्वतंत्रता की लड़ाई में भी गांधीजी ने सत्य और अहिंसा का रास्ता नहीं छोड़ा। सत्य के साथ मेरे प्रयोग गुजराती भाषा लिखी गांधी जी की आत्मकथा है जिसके अनुसार गांधी जी सत्य के पूजारी और अहिंसा के प्रबल समर्थक थे। गांधी जी असाधारण व्यक्तित्व के धनी एवं उच्च कोटि के महापुरुष थे। उनकी महानता का अहसास हमें भारतीय मुद्रा से ही हो जाता है कि भारत की मुद्रा पर उनकी तस्वीर अंकित है यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है।
दोनों शहीद दिवस में अन्तर है
30 जनवरी को मनाया जाने वाला शहीद दिवस हर साल 23 मार्च को मनाए जाने वाले शहीद दिवस से अलग है क्योंकि यहां 30 जनवरी को शहीद दिवस जहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शहादत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, वहीं 23 मार्च को उन शहिदों के लिए शहीद दिवस मनाया जाता है जो स्वतंत्रता की लड़ाई में देश के लिए बलिदान दिया था। इसलिए वर्ष 1931 में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी तो इन योद्धाओं को सम्मान देने के लिए तथा मातृभूमि के लिए इनके बलिदान को नमन करने के लिए मनाया जाता है।
हत्या में शामिल गोडसे और अन्य लोगो का इतिहास
गांधी की हत्या में नाथूराम गोडसे के साथ एक और अपराधी को फांसी हुई थी जिसका नाम था नारायण आप्टे। बता दें कि आप्टे हिन्दू महासभा का एक कार्यकर्ता था और उसको भी गोडसे की ही तरह अंबाला जेल में 15 नवंबर 1949 को फांसी दे दी गई थी। इस तरह गांधी की हत्या का आरोप आर एस एस पर लगाया जाता है। क्योंकि सभी दोषी लोग हिन्दू संगठनों से जुड़े हुए थे। लेकिन आर एस एस ने यह स्वीकार नहीं किया। हालांकि गांधी जी एक पूत्र और गोडसे की मुलाकात में बताया गया है कि गोडसे यह कहते हैं कि मैंने आपके पिता की हत्या कोई व्यक्तिगत दुश्मनी से नहीं की।
(स्त्रोत BBC india)
गांधी हत्या केस में 10 फरवरी 1949 के दिन विशेष अदालत ने सजा सुनाई थी। इस हत्यकांड में नौ अभियुक्तों में से अदालत ने विनायक दामोदर सावरकर को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। बाकी आठ लोगों को गांधी हत्या, साजिश रचने और हिंसा के मामलों में सजा सुनाई गई थी। दो लोगों नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी और अन्य 6 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।आजीवन कारावास की सजा पाने वाले लोगों में नाथूराम गोडसे का भाई गोपाल गोडसे भी शामिल था।
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