किसानों की ट्रैक्टर रैली: क्या कानूनों को वापिस ले सकती है सरकार? नहीं तो यह आन्दोलन कहां तक जाएगा?Farmers Tractor RallyJagriti PathJagriti Path

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Friday, January 8, 2021

किसानों की ट्रैक्टर रैली: क्या कानूनों को वापिस ले सकती है सरकार? नहीं तो यह आन्दोलन कहां तक जाएगा?Farmers Tractor Rally

Farmers protest Tractor Rally
किसान आन्दोलन किसानों का ट्रैक्टर मार्च विहगवि दृश्य फोटो साभार फेसबुक



कृषि कानुनों के विरोध में आन्दोलन तेज होता जा रहा है राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के मुखिया हनुमान बेनीवाल सहित कई दिग्गज नेता इस आन्दोलन में शामिल हो चुके है। लेकिन सरकार अभी भी इस आन्दोलन को दूर से देख रही है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसानों के हित में आता है या सरकार के हित में। योगेन्द्र यादव जैसे बुद्धिजीवियों द्वारा समर्थित किसान आन्दोलन वास्तव में हक की लड़ाई प्रतीत हो रहा है लेकिन भाजपा सरकार के नेता और समर्थक इस आन्दोलन को देशविरोधी तथा राजनीतिक दलों की साजिशों के रूप में देख रहे हैं। प्रज्ञा ठाकुर जैसे नेता किसानों को खालिस्तानी कह के जेल में डालने की बात कह रहे हैं तो मोदी सरकार इसे विपक्ष की साज़िश बता रही हैं। 

किसान आन्दोलन अब विचारों की लड़ाई के रूप में


किसान आन्दोलन अब कृषि कानुनों से दूर जा कर विचारों की लड़ाई में तब्दील हो चुका है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह लड़ाई पूंजीवाद के खिलाफ एक आवाज के रूप में खड़ी हो रही है। किसान हार मानने को तैयार नहीं है। वो इस आन्दोलन को देशव्यापी के बाद बहुत आगे ले जाना चाहते हैं। उधर सुप्रीम कोर्ट कोरोना से लेकर चिंता जाहिर कर रहा है तो इधर किसानो में दुगुना जोश दिखाई दे रहा है।
सरकार भी अपना इज्जत का सवाल मानकर इस कानुनों को वापिस लेने को तैयार नहीं है। लेकिन भविष्य में इस आन्दोलन से होने वाली क्षति के लिए भी विचार करना जरूरी है। कहीं यह आन्दोलन उग्र रूप धारण कर लें। दुसरी और इस आन्दोलन के देश में काफी कुछ प्रभावित होगा । आम जनता को परेशानी होगी। सड़कें जाम होने से आवागमन आदि प्रभावित होगा। आन्दोलनकारिओं को अगर जान-माल की हानि होती है तो भी देश के लिए दुर्भाग्य ही बात होगी।

ट्रैक्टर रैली और गणतंत्र दिवस की तैयारी


दिल्ली सीमा के अलावा पंजाब में भी कई स्थानों पर किसान संगठनों ने ट्रैक्टर रैली निकाली। कृषि कानूनों के विरोध में  मंडी गोबिंदगढ़ के बस स्टैंड पर ट्रैक्टर पर रैली निकाली गई। सर्व सांझी एक्शन कमेटी के प्रयास से निकाली गई एक रैली में भारतीय किसान यूनियन पंजाब के प्रधान राजिंदर सिंह बैनीपाल भी शामिल हुए। 
स्वतंत्र दीप सिंह बडगुजरां ने कहा कि केंद्र सरकार यह मत सोचे कि दिल्ली में कुछ किसान आंदोलन कर रहे हैं। पंजाब का बच्चा-बच्चा इन कानूनों का विरोधी है। केंद्र ने कानून वापस ना लिए तो संघर्ष और भी तेज किया जाएगा। भारतीय किसान यूनियन पंजाब के प्रधान राजिंदर सिंह बैनीपाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने कहा कि अगर किसान विरोधी कानून वापस न लिए गए तो गणतंत्र दिवस पर भारतीय किसान यूनियन का झंडा फहराया जाएगा। किसान आंदोलन तेज करने की राह पर चल पड़े हैं। कुर्बानी भी देनी पड़ी तो पीछे नहीं हटेंगे।


आखिर क्या निर्णय होगा इस महाआंदोलन का?



किसान जिस तरह से अडिग है तो सरकार भी अपनी मूंछ का सवाल मानकर इस कानुनों को वापिस नहीं लेना चाहेगी। किसान कानुन किसानों को ज्यादा लाभ नहीं पहुंचाने वाले हैं यह तो जगजाहिर है क्योंकि लाभकारी होते तो इतनी बड़ी संख्या में किसान आवाज नहीं उठाते। लेकिन सरकार तुरंत इन कानुनों को वापिस लेती है तो यह सीधा प्रश्न उठेगा कि यह कानुन किसानों के आहित में थे तो सरकार कुछ पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने हेतु किसान विरोधी कानून आखिर क्यों लाई? इससे वर्तमान सरकार की लोकप्रियता में कमी आ जाएगी। इसलिए पहली दफा तो सरकार इन आन्दोलन को येन केन प्रकारेण या कुटनीति से दबाना चाहेंगी। आखिर किसान पीछे नहीं हटते हैं तो सरकार इन कानुनों में आंशिक संशोधन कर के या फिर कुछ समय के लिए स्थगित कर सकती हैं। या फिर जिन राज्यों में विरोध हो रहा है वहां इन बिलों को अप्रभावी करके मिला-जुला रास्ता निकाल सकती है। फिर भी कुछ चीजें भविष्य के गर्भ में है क्या होगा कुछ कहा नहीं जा सकता।

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