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कोविशील्ड Covishield को आपात इस्तेमाल की मंजूरी
भारत सहित पुरे विश्व में कोरोनावायरस का कहर जारी है करोड़ों लोगों की मौत के बाद कोरोनावायरस एक भयानक महामारी बन गया था। लेकिन विश्व के डाक्टर वैज्ञानिक कोविड बचाव हेतु कारगर वैक्सीन बनाने के लिए शूरू से ही संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश लम्बे अंतराल में कोरोनावायरस के लिए कारगर दवाई नहीं बन पाई । जिससे लाखों लोगों की जान चली गई थी। लेकिन आखिर मानव ने इस वायरस पर विजय हासिल कर दी है। विश्व की बड़ी बड़ी लैब और मेडिकल रिसर्च संस्थान कोविड 19 की वैक्सीन बनाने में जुट गए थे। इन लोगों का संघर्ष वाकई लाजवाब था। जब तक दवाई नहीं बनेगी तब एक्सप्रिमेन्ट नहीं रूकेंगे ना ही रुकेंगे। जिस तरह से दुनिया के वैज्ञानिक और डाक्टर्स इस महत्वपूर्ण और अहम कार्य के लिए हौसले बुलंद किए थे तो ऐसा लग रहा था कि जल्द सफलता मिलेगी। बिल्कुल सफलता भी मिली और आज पूरे विश्व में प्रत्येक देश वैक्सीन बनाने में जुटा है। जिसमें भारत , ब्रिटेन, अमेरिका,रूस आदि देशों ने वैक्सीन तैयार कर ली है और लोगों को टीका लगाने की भी तैयारी हो गई है। भारत में खुशखबरी यह है कि कोविशील्ड को आपातकालीन परिस्थितियों में मंजूरी मिल गई है।
कोविशील्ड को आपात स्थिति में हरी झंडी
भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की 10 सदस्यीय विषय विशेषज्ञ समिति ने शुक्रवार को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोरोनावायरस वैक्सीन 'कोविशिल्ड' के आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण को मंजूरी दे दी। हालांकि अभी ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की ओर से मंजूरी मिलना बाकी है। विशेषज्ञ पैनल ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) की ओर से 'कोविशिल्ड' और भारत बायोटेक द्वारा 'कोवैक्सीन' के लिए मांगे गए आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण पर निर्णय लेने के लिए एक बैठक बुलाई थी। एक बार जब समिति की ओर से वैक्सीन के लिए रास्ता साफ हो गया, तब अंतिम अनुमोदन के लिए आवेदन भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) वी. जी. सोमानी को भेज दिया गया है।
यह अनुमोदन भारत में वैक्सीन के रोलआउट के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा, जिसमें अमेरिका के बाद दुनिया में सबसे अधिक संक्रमण के मामले हैं। मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, रोलआउट छह जनवरी से शुरू होगा। ब्रिटेन और अर्जेंटीना पहले ही कोविशिल्ड को मंजूरी दे चुके हैं। वैक्सीन की पांच करोड़ से अधिक खुराक पहले ही इसके निमार्ता, पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा भंडारित की जा चुकी हैं।
सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक ने किया था आवेदन
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन पर निर्णय का अभी भी इंतजार किया जा रहा है। पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ने क्लिनिकल परीक्षण और 'कोविशिल्ड' के निर्माण के लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के साथ भागीदारी की है, जबकि भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के साथ मिलकर 'कोवैक्सीन' बनाई है। अमेरिका की फाइजर पहली वैक्सीन थी, जिसने चार दिसंबर को त्वरित अनुमोदन के लिए आवेदन किया था। इसके बाद क्रमश: छह और सात दिसंबर को सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक ने आवेदन किया था। फाइजर ने हालांकि अभी डेटा पेश करने के लिए और समय मांगा है।
कोविशील्ड की कीमत अन्य वैक्सीन के मुकाबले कम है
सीरम इंस्टीट्यूट के मुताबिक, 'कोविशील्ड' की कीमत अन्य कंपनियों की वैक्सीन के मुकाबले कम होगी। जहां इसकी एक डोज की कीमत करीब 500 रुपये होगी, तो वहीं फाइजर की एक डोज की कीमत 19.50 डॉलर यानी करीब 1450 रुपये, जबकि मॉडर्ना की वैक्सीन की कीमत 25 से 37 डॉलर यानी करीब 1825-2700 रुपये के बीच होगी। ये भी एक वजह है कि 'कोविशील्ड' भारत के लिए सबसे उपयुक्त बताई जा रही है। सस्ती होने की वजह से ऑक्सफोर्ड की कोवीशील्ड वैक्सीन सरकार की सबसे बड़ी उम्मीद है। कंपनी का कहना है कि वह पहले अपने घरेलू बाजार पर फोकस करेगी। इसके बाद इसे दक्षिण एशियाई देशों और अफ्रीका को एक्सपोर्ट किया जाएगा।
भारत के नियंत्रण में कोविशील्ड का उत्पादन
कोविशील्ड' वैक्सीन के उत्पादन की जिम्मेदारी पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के पास है। पिछले महीने आई एक रिपोर्ट में यह कहा गया था कि सीरम इंस्टीट्यूट ने वैक्सीन की चार करोड़ डोज तैयार कर ली है, लेकिन उसका इस्तेमाल भारत में किया जाएगा या वैश्विक स्तर पर उसकी आपूर्ति की जाएगी, यह स्पष्ट नहीं है। हालांकि विशेषज्ञ कहते हैं कि चूंकि एक भारतीय कंपनी ही वैक्सीन का उत्पादन कर रही है, तो निश्चित तौर पर इसका ज्यादा फायदा भारत को ही मिलेगा। ऐसे में हो सकता है कि भारत को वैक्सीन की ज्यादा खुराक मिले, जिससे यहां टीकाकरण का काम तेजी से चलेगा।
मार्च तक तैयार होंगे 10 करोड़ डोज
विशेषज्ञों की मानें तो सभी कुछ ठीक रहा तो दो सप्ताह के भीतर देश में वैक्सीनेशन का काम शुरू हो जाएगा। सीरम इंस्टीट्यूट की तैयारी मार्च तक 10 करोड़ डोज उपलब्ध कराने की है। भारत में पहले फेज में प्रायरिटी ग्रुप्स में शामिल 30 करोड़ लोगों को वैक्सीनेट किया जाना है। कंपनी एक मिनट में 5000 वैक्सीन तैयार करने की क्षमता रखती है।
किन लोगों को सबसे पहले लगेगी कोरोना वैक्सीन?
सभी के दिमाग में यह प्रश्न उठता होगा कि यह वैक्सीन सबसे पहले किसे लगेगी तो फिलहाल तो केंद्र सरकार ने प्राथमिकता वाले ग्रुप का चयन किया है। सबसे पहले समूह में हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स शामिल हैं। कोविड-19 वैक्सीन प्राप्त करने वाला अगला समूह 50 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति और 50 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति होंगे क्योंकि इस श्रेणी में मृत्यु दर अधिक है। लेकिन यह अभी समय बताएगा कि पहले किन लोगों को इसका फायदा मिलेगा।
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