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President election of America |
अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव
Presidential election in america
भारत की तरह ही अमेरिका भी एक लोकतांत्रिक देश है ऐसे में वोटिंग बहुत अहम है।लेकिन भारत से इतर वहां की प्रक्रिया थोड़ी कठिन और लंबी है। ऐसे में अमेरिका में चुनाव किस तरह होते हैं, वहां की प्रणाली क्या है? और एक अमेरिकी व्यक्ति अपने राष्ट्रपति को किस तरह चुनता है? इस लेख में आसान भाषा में समझने की कोशिश करते हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति का कार्यकाल और योग्यताएं
US President's term and qualifications
अमेरिका के राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 वर्ष का होता है । एक व्यक्ति दो बार ही चुनाव लड़ सकता है तथा अधिकतम 10 वर्ष राष्ट्रपति रह सकता है क्योंकि विशेष परिस्थितियों में तीसरी बार चुनाव लड़ सकता है जब युद्ध की स्थति बनी हो। अमेरिका के राष्ट्रपति की योग्यता में 35 वर्ष की आयु और जन्मजात नागरिक , तथा पिछले चौदह वर्ष अमेरिका में निवास किया हुआ होना चाहिए।
निर्वाचन मंडल के सदस्यों (इलेक्टर्स) चुनाव और राष्ट्रपति के चुनने तक की संपूर्ण प्रक्रिया:-
The entire process of electing members of the electorate and till the election of the President: -
चुनाव का निश्चित दिन और मतदान
अमेरिका में चुनाव के लिए दिन और महीना बिलकुल तय होता है। यहां चुनावी साल के नवंबर महीने में पड़ने वाले पहले सोमवार के बाद पड़ने वाले पहले मंगलवार को मतदान होता है। हालांकि यहां 60 दिन पहले वोट डालने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस अवधि में अमेरिका से बाहर रहने वाला व्यक्ति भी ऑनलाइन वोट डाल सकता है।
राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया आयोवा और न्यू हैंपशायर से शुरू होती है। यहां सबसे पहले कॉकस या प्राइमरी होता है। इन दो राज्यों में मिली जीत आगे की चुनावी माहौल और मुद्दों का रास्ता इख्तियार करती है।
भारत और अमेरिका में सरकार चुनने की अलग प्रक्रिया है भारत में संसदीय प्रणाली का रुप देखा जाता है जबकि अमेरिका में अध्यक्षातात्मक प्रणाली का रूप देखा जाता है जहां राष्ट्रपति सर्वेसर्वा होता है । जबकि भारत में राष्ट्रपति केवल संवेधानिक प्रधान होता है।
अमेरिकी संविधान के अनुच्छेद 2 में राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया का उल्लेख है। संविधान में ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ के जरिए राष्ट्रपति के चुनाव की व्यवस्था है।
अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया पेचीदा और दिलचस्प है । आइए समझने की कोशिश करते हैं कि अमेरिका का राष्ट्रपति आखिर कैसे चुना जाता है? अमेरिका कांग्रेस संसद में दो सदन है सिनेट और प्रतिनिधि सभा लेकिन यह सदन राष्ट्रपति का चुनाव में भाग नहीं लेते अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जिनके प्रतिनिधियों को जनता चुनती है लेकिन यहां जनता प्रतिनिधियों को वोट न देकर पार्टी को वोट देती है जिसमें निहित प्रतिनिधि सूचियां जीतती है और वे राष्ट्रपति को चुनती है इस प्रकार अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष और कांग्रेस के अहस्तक्षेप से होता है।
पहले राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव भी इलेक्टोरल कॉलेज(निर्वाचक मंडल) ही करता था, तब अलग-अलग मत नहीं डाले जाते थे। उस समय जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलते थे, वह राष्ट्रपति बनता था और दूसरे नंबर पर रहने वाला व्यक्ति उपराष्ट्रपति निर्वाचित होता था। लेकिन 1800 के बाद जब जफरशन और बट को बराबर वोट मिलने के बाद नवीन समस्या उत्पन्न होती हैं उसके बाद संविधान संशोधन किया गया और राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव अलग अलग होने लगे।
अमेरिकी संसद कांग्रेस में भारत की तरह भी दो सदन होते हैं। पहला हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव जिसे प्रतिनिधि सभा भी कहा जाता है। इसके सदस्यों की संख्या 435 है। दूसरे सदन सीनेट में 100 सदस्य होते हैं। इसके अतिरिक्त अमेरिका के 51वें राज्य कोलंबिया DC से तीन सदस्य आते हैं। इस तरह संसद में कुल 538 सदस्य होते हैं।
अमेरिकी लोकतंत्र में द्विदलीय राजनीतिक व्यवस्था है। इसलिए त्रिशंकु संसद का खतरा भी नहीं होता। रिपब्लिकन और डेमोक्रेट यहां दो प्रमुख पार्टियां हैं। अन्य दलों का यहां कोई वजूद नहीं है। राष्ट्रपति बनने की आकांक्षा रखने वाले उम्मीदवार सबसे पहले एक समिति बनाते हैं, जो चंदा इकट्ठा करने और संबंधित नेता के प्रति जनता का रुख भांपने का काम करती है।
राष्ट्रपति के चुनाव हेतु निर्वाचन मंडल का निर्माण होता है उसमें प्रतिनिधियों की संख्या भी कांग्रेस के दोनों सदनों के सदस्यों के बराबर होती हैं हर स्टेट में कहीं प्राइमरी
(प्राइमरी में मतपत्र के जरिए मतदान होता है।)
और कहीं काॅकस(दल बैठक:-कॉकस में पार्टी के सदस्य जमा होते हैं। सार्वजनिक स्थलों पर उम्मीदवार के नाम पर चर्चा की जाती है। वहां मौजूद लोग हाथ उठाकर उम्मीदवार का चयन करते हैं।) प्रणाली से उम्मीदवारों का चयन निर्धारित होता है। हर राज्य के नियमों के हिसाब से अलग-अलग तरह से प्राइमरी होती है और कॉकस प्रक्रिया भी हर राज्य के कानून के हिसाब से अलग-अलग होती है।
उसके बाद दोनों मुख्य पार्टियां डेमोक्रेटिक और रिपब्लिक पार्टी अलग-अलग नेशनल कान्वेंस का आयोजन करती है जिसमें प्रत्येक पार्टी के सभी उम्मीदवारों में से अन्तिम उम्मीदवार को चिन्हित करती है । इस प्रकिया के बाद चुनाव प्रचार चलता है फिर निहित दिन को इन मुख्य पार्टियों के उम्मीदवारों सहित अन्य छोटी मोटी पार्टियों के उम्मीदवारों के लिए निर्वाचक मंडल सदस्यों का चुनाव होता है जिसमें जनता प्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रपति को चुनने के लिए निर्वाचन मंडल के सदस्यों को सीधे चुनती है यही निर्वाचक मंडल के सदस्य राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं इन सदस्यों का काम केवल राष्ट्रपति को चुनना होता है।
इस प्रकार प्रत्येक स्टेट में दोनों पार्टियां कांग्रेस के दो सदनों में सदस्यों के प्रतिनिधित्व की संख्या अनुसार निर्वाचक मंडल प्रतिनिधियों की सूची तैयार कर उनको मैदान में उतारती है । गौरतलब है कि यहां किसी स्टेट में दोनों पार्टियों के 20-20 उम्मीदवार है तो यहां जनता इन उम्मीदवारों को वोट न देकर पार्टीज को वोट देती है आधे से अधिक वोट लाने पर जो पार्टी जीतती है तो उसके सभी 20 प्रतिनिधि जीत कर जाते हैं और वे अपनी पार्टी के उम्मीदवार राष्ट्रपति को वोट देते हैं। इस प्रकार राष्ट्रपति के बनने की संभावना निर्वाचन मंडल के सदस्यों के परिणामों में तय हो जाती है। इस प्रकार फाइनली इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए 538 इलेक्टर्स को चुना जाता है। ये इलेक्टर्स ही अमरीकी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का फ़ैसला करते हैं।
जो उम्मीदवार इलेक्टोरल वोट्स का बहुमत हासिल करेगा वह अमेरिका का राष्ट्रपति होगा और उपराष्ट्रपति होगा।
विशेष- स्टेट इलेक्टोरल आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली
दो विशेष राज्यों में जो उम्मीदवार स्टेट वोट को बहुमत से हासिल करने में सफल रहता है वह स्टेट इलेक्टोरल जीत लेता है। इस बार नर्बास्का और मेईन में इलेक्टोरल वोट आनुपातिक प्रतिनिधित्व से निर्धारित होता है। मतलब कि इन दोनों राज्यों सबसे ज़्यादा वोट पाने वाले को दो इलेक्टोरल वोट मिलेंगे (दो सीनेटर्स) जबकि बाक़ी बचे इलेक्टोरल वोट कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट को आवंटित कर दिए जाएंगे।
इस नियम से दोनों कैडिडेट को नर्बास्का और मेईन में इलेक्टोरल वोट मिलने की संभावना रहती है जबकि बाक़ी बचे 48 राज्यों में फस्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम से विजेता को सभी इलेक्टर्स मिल जाते हैं। यह प्रक्रिया राज्य दर राज्य बदलती रहती है ।
अमेरिका में कुल 538 इलेक्टोरल वोट हैं, जिसमें से किसी भी उम्मीदवार को भी जीतने के लिए आधे से ज्यादा वोटों की जरूरत होती है। किसी एक उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनना है तो उन्हें कम से कम 270 वोट चाहिए होंगे। लेकिन अगर दोनों को ही 269-269 इलेक्टोरल वोट्स मिलते हैं और मुकाबला बराबरी का हो जाता है तो ऐसे में हाउस ऑफ रिप्रेंजटेटिव house of Representative (अमेरिकी संसद का निचला सदन) उप-राष्ट्रपति को चुनेगा। यहां पर राज्यों के हिसाब से वोटिंग होती है। पहले उप-राष्ट्रपति को चुना जाएगा और फिर बाद में वोटिंग के जरिए से राष्ट्रपति को चुना जाता है।
मंत्रीमंडल का गठन और विस्तार
Constitution and expansion of the cabinet
अमेरिका मंत्रिमंडल बनाने की प्रक्रिया भारत से बिलकुल अलग है। यहां मंत्री बनने वाले व्यक्ति के लिए जरूरी नहीं कि वह संसद का सदस्य हो, ना ही उसके लिए राजनीतिक दल का सदस्य होना जरूरी है। यदि राष्ट्रपति को लगता है तो वह विरोधी पार्टी के सदस्य अथवा किसी विषय विशेषज्ञ को भो मंत्री बना सकता है।
अमेरिका के राष्ट्रपति एवं उनका कार्यकाल
अमेरिका के राष्ट्रपति
एवं उनका कार्यकाल |
1. जॉर्ज वाशिंगटन अप्रैल 30, 1789-मार्च 4, 1797 2 . जॉन एडम्स मार्च 4, 1797- मार्च 4, 1801 3. थॉमस जेफरसन मार्च 4, 1801- मार्च 4, 1809 4. जेम्स मैडिसन मार्च 4, 1809- मार्च 4, 1817 5. जेम्स मुनरो मार्च 4, 1817-मार्च 4, 1825 6. जॉन क्विन्सी एडम्स
मार्च 4, 1825-मार्च 4, 1829 7.
एण्ड्रऊ जैक्सन मार्च 4, 1829-मार्च 4, 1837 8 . मार्टन वान
ब्यूरेन मार्च 4, 1837- मार्च 4, 1841 9. विलियम हेनरी
हैरिसन मार्च 4, 1841- अप्रैल 4, 1841 10. जॉन टेलर अप्रैल 4, 1841-मार्च 4, 1845 11. जेम्स के पोल्क
मार्च 4, 1845-मार्च 4, 1849 12. ज़ेकरी टेलर मार्च 4, 1849-जुलाई 9, 1850 13. मिलरड फिलमोर जुलाई 9, 1850-मार्च 4, 1853 14. फ्रेंकलिन पियर्स
मार्च 4, 1853-मार्च 4, 1857 15. जेम्स ब्यूकेनन मार्च 4, 1857-मार्च 4, 1861 16. अब्राहम लिंकन मार्च 4, 1861-अप्रैल 15, 1865 17. एंड्रू जाह्नसन अप्रैल 15, 1865-मार्च 4, 1869 18. यूलिसिस ग्राण्ट
मार्च 4, 1869-मार्च 4, 1877 19. रदरफोर्ड हेस मार्च 4, 1877-मार्च 4, 1881 20. जेम्स गार्फील्ड
मार्च 4, 1881- मार्च 19, 1881 21. चेस्टर आर्थर सितंबर 19, 1881-मार्च 4, 1885 22. ग्रोवर क्लीवलाण्ड
मार्च 4, 1885-मार्च 4, 1889 23. बेंजामिन हैरिसन
मार्च 4, 1889-मार्च 4, 1893 24. ग्रोवर क्लीवलाण्ड
मार्च 4, 1893-मार्च 4, 1897 25. विलियम मकिन्ली मार्च 4, 1897-सितंबर 14, 1901 26. थियोडोर रोज़वेल्ट
सितंबर 14, 1901-मार्च 4, 1909 27. विलियम टाफ्ट मार्च 4, 1909-मार्च 4, 1913 28. वूड्रो विल्सन मार्च 4, 1913- मार्च 4, 1921 29. वारेन हार्डिंग मार्च 4, 1921-अगस्त 2, 1923 30. कालविन कूलिज अगस्त 2, 1923-मार्च 4, 1929 31. हर्बर्ट हूवर मार्च 4, 1929-मार्च 4, 1933 32. फ्रेंकलिन रोज़वेल्ट
मार्च 4, 1933-अप्रैल 12, 1945 33. हैरी ट्रूमन अप्रैल 12, 1945-जनवरी 20, 1953 34. ड्वैट ऐज़नहौवर जन 20,
1953-जन 20, 1961 35. j एफ केनेडी जनवरी 20,
1961-नवंबर 22, 1963 36 .लिंडन जॉनसन नवंबर 22, 1963-जन 20, 1969 37. रिचर्ड निक्सन जनवरी 20, 1969-अगस्त 9, 1974 38. जेरल्ड फोर्ड अगस्त 9, 1974-जनवरी 20, 1977 39. जिमि कार्टर जनवरी 20, 1977-जनवरी 20, 1981 40. रोनाल्ड रीगन जनवरी 20, 1981-जनवरी 20, 1989 41. जार्ज हर्बर्ट बुश जन 20, 1989-जन20, 1993 42. विलियम क्लिंटन जन 20, 1993-जन 20, 2001 43 .जार्ज डब्ल्यू बुश जन 20,
2001-जन 20, 2009 44 .बराक ओबामा जन 20, 2009- जन 20, 2017 45. डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी 2017 - 20जन 2021 46. जो बाइडेन 20 जनवरी 2021 से लगातार |
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