पुण्यतिथि विशेष- भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी
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स्व.श्रीमती इन्दिरा गांधी |
आज बात करेंगे भारत की उस प्रथम महिला प्रधानमंत्री की जिसको आयरन लेडी के नाम से भी जाना जाता है। आज 31 अक्टूबर को उनकी पुण्यतिथि है। भारत के सबसे शक्तिशाली प्रधानमंत्रियों की सूची में वह सबसे उपर है देश में तात्कालिक परिस्थितियों के अनुरूप तत्काल निर्णय लेने वाली तथा देश में समाजवादी व्यवस्था को मजबूत करने वाली भारतीय पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती स्व. इन्दिरा प्रियदर्शिनी की जिन्हें युगों युगों तक याद किया जाएगा ।
इन्दिरा प्रियदर्शिनी को अपने स्वभाव, फैसलों, देश के लिए महत्त्वपूर्ण कार्यों आदि के लिए हमेशा याद किया जाएगा। जिन्होंने आजादी के बाद देश में समाजवादी व्यवस्था को मजबूत किया। देश की सीमाओं को सुरक्षित किया। पूर्वी पाकिस्तान की समस्या को समाप्त कर बांग्लादेश जैसे राष्ट्र
इंदिरा गांधी भारत की चौथी और प्रथम महिला प्रधानमंत्री थीं। वो एक ऐसी महिला थीं जिसने न केवल भारतीय राजनीति बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी विलक्षण प्रभाव छोड़ा। इसी कारण उन्हें लौह iron lady महिला के नाम से भी संबोधित किया जाता है। वह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की इकलौती संतान थीं
उनके शासनकाल में ही भारत में एकमात्र आपातकाल लागू किया गया और सारे राजनैतिक प्रतिद्वंदियों को जेल में ठूस दिया गया। भारत के संविधान के मूल स्वरुप का संसोधन जितना उनके राज में हुआ, उतना और किसी ने कभी भी नहीं किया। उनके शासन के दौरान ही बांग्लादेश मुद्दे पर भारत-पाक युद्ध हुआ और बांग्लादेश का जन्म हुआ। पंजाब से आतंकवाद का सफाया करने के लिए उन्होंने अमृतसर स्थित सिखों के पवित्र स्थल ‘स्वर्ण मंदिर’ में सेना और सुरक्षा बलों के द्वारा ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ को अंजाम दिया।
प्रारंभिक जीवन
इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में प्रसिद्ध नेहरु परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम ‘इंदिरा प्रियदर्शिनी’ था। उनके पिता जवाहरलाल नेहरु और दादा मोतीलाल नेहरु थे। जवाहरलाल और मोतीलाल दोनों सफल वकील थे और दोनों ने ही स्वतंत्रता संग्राम में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इंदिरा की माता का नाम कमला नेहरु था। उनका परिवार आर्थिक एवं बौद्धिक दोनों दृष्टि से बहुत संपन्न था। उनके दादा मोतीलाल नेहरु ने उनका इंदिरा नाम रखा था।
इन्दिरा से प्रियदर्शिनी
इंदिरा दिखने में के अत्यंत प्रिय थीं इसलिए पंडित नेहरु उन्हें ‘प्रियदर्शिनी’ के नाम से पुकारते थे। माता-पिता का आकर्षक व्यक्तित्व इंदिरा को विरासत के रूप में मिला था। इंदिरा गांधी को बचपन में एक स्थिर पारिवारिक जीवन नहीं मिल पाया था क्योंकि पिता हमेशा स्वतंत्रता आंदोलन में व्यस्त रहे और जब वह 18 वर्ष की थीं तब उनकी मां कमला नेहरू भी तपेदिक के से चल बसीं। इन्दिरा गांधी भी बचपन में राजनीति में रूचि रखतीं थी कहा जाता है कि वह अपने पिता के साथ यात्राओं में साथ जाया करती थी । घर में शीशे के सामने खड़ी होकर भाषण सीखती थी।
प्रारंभिक शिक्षा एवं आक्सफोर्ड में दाखिला
पिताजी की राजनैतिक व्यस्तता और मां के ख़राब स्वास्थ्य के कारण इंदिरा को जन्म के कुछ वर्षों बाद भी शिक्षा का अनुकूल माहौल नहीं उपलब्ध हो पाया था। राजनैतिक कार्यकर्ताओं के रात-दिन आने-जाने के कारण घर का वातावरण भी पढ़ाई के अनुकूल नहीं था इसलिए पंडित नेहरु ने उनकी शिक्षा के लिए घर पर ही शिक्षकों का प्रबंध कर दिया था। अंग्रेज़ी विषय के अतिरिक्त किसी अन्य विषय में इंदिरा कोई विशेष दक्षता नहीं प्राप्त कर सकीं। इसके बाद उनको गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित ‘शांति निकेतन’ के ‘विश्व-भारती’ में पढ़ने के लिए भेजा गया। तत्पश्चात इंदिरा ने लन्दन के बैडमिंटन स्कूल और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में अध्ययन किया पर वह पढ़ाई में कोई विशेष दक्षता नहीं दिखा पायीं और औसत दर्जे की छात्रा ही रहीं।
भारत के प्रधानमंत्री के रूप में राजनेतिक जीवन
27 मई 1964 में नेहरू जी की मृत्यु हो गयी। लालबहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। 11 जनवरी 1966 को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की असामयिक मृत्यु के बाद 24 जनवरी 1966 को इंदिरा गांधी भारत की तीसरी और प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनीं। इसके बाद तो वह लगातार तीन बार 1967−1977 और फिर चौथी बार 1980−84 देश की प्रधानमंत्री बनीं। 1967 के चुनाव में वह बहुत ही कम बहुमत से जीत सकी थीं लेकिन 1971 में फिर से वह भारी बहुमत से प्रधानमंत्री बनीं और 1977 तक रहीं। 1977 के बाद वह 1980 में एक बार फिर प्रधानमंत्री बनीं और 1984 तक प्रधानमंत्री के पद पर रहीं।
फिरोज़ गांधी से मुलाकात और विवाह
इंग्लैंड की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में अध्ययन के दौरान इंदिरा की मुलाकात फिरोज़ गाँधी हुई थी, जो लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स में अध्ययन कर रहे थे। फ़िरोज़ को इंदिरा इलाहाबाद से ही जानती थीं। यहां से वे एक-दूसरे को चाहने लगें तथा भारत वापस लौटने पर दोनों नें 16 मार्च 1942 को आनंद भवन, इलाहाबाद में विवाह कर लिया।
इंन्दिरा जी ने करवाया था प्रथम परमाणु परीक्षण
आयरन लेडी ने ही 18 मई 1974 के दिन भारत को दुनिया के सामने परमाणु शक्ति के रूप में विकसित किया। देश में शांति व्यवस्था के लिए देश का पहला परमाणु विस्फोट पोखरण में किया था। जिसे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने नाम दिया था बुद्ध मुस्कुराए यानी buddha smile बुद्ध पूर्णिमा 18 मई 1974 को ही यह परमाणु परीक्षण किया गया। ये दिन भारत के लिए गौरवशाली बन गया जैसलमेर और पोकरण वासियों के लिए भाग्यशाली दिन रहा था । दुनिया में भारत ने परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों में अपना नाम जोड़ने की पहल की थी, जिसका बीजारोपण पोखरण में हुआ था। राजस्थान के जैसलमेर से करीब 140 किमी दूर लोहारकी गांव के पास मलका गांव में 18 मई 1974 को भारत ने दुनिया में अपनी परमाणु शक्ति का लोहा मनवाया था। मलका गांव के जिस सूखे कुएं में पहला परमाणु परीक्षण किया गया था, वहां पर एक विशाल गड्ढा और उभरी हुई जमीन आज भी उन गौरवशाली पलों की कहानियां बयां करता है। लोहारकी गांव के प्रथम परमाणु स्थल पर वैज्ञानिकों ने बटन दबाकर जब न्यूक्लियर धमाका किया ता उसकी गूंज न केवल विश्व भर में गूंजी बल्कि पोखरण का नाम भी विश्व मानचित्र पर उभर गया तथा इंदिरा गांधी का नाम भी इतिहास में दर्ज हो गया जिन्होंने भारत में पहला परमाणु शक्ति परीक्षण कर दुनिया में खलबली मचा दी।
आयरन लेडी की गिरफ्तारी और तिहाड़ जेल
इमरजेंसी के बाद मोरारजी देसाई सरकार का गठन हुआ ।तब इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी की मांग उठी थी। मोरारजी सरकार के मंत्रियों ने इंदिरा के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की थी, क्योंकि उन्होंने आपातकाल लगाया था। संसद में 19 दिसंबर 1978 को इंदिरा को सदन से निलंबित कर गिरफ्तार करने का प्रस्ताव पारित हुआ। इंदिरा संसद भवन में गिरफ्तारी का आदेश मिलने तक रुकी रहीं। रात को स्पीकर के हस्ताक्षर वाला गिरफ्तारी आदेश जारी हुआ। तत्कालीन सीबीआई अधिकारी एनके सिंह ने इंदिरा को गिरफ्तार किया। इंदिरा को गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल में रखा गया था। वह सात दिन जेल में रहीं। इंदिरा के बेटे संजय गांधी को भी एक मामले में सिंह ने ही गिरफ्तार किया था। 26 दिसम्बर 1978 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जेल से रिहा हुई थीं।
ओपरेशन ब्लु स्टार और इंदिरा की हत्या
पंजाब में बढ़ती आतंकी गतिविधियों को देखते हुए ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार 5 जून, 1984 ई. को भारतीय सेना के द्वारा चलाया गया था। उस समय भिंडरावाले और उसके समर्थकों ने पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर पर कब्जा कर लिया था। 3 जून 1984 को भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर पर घेरा डालकर भिंडरावाले और उसके समर्थकों के विरुद्ध निर्णायक जंग लड़ने का निश्चय किया हालात बिगड़ने और भिंडरावाले तथा समर्थकों द्वारा आत्मसमर्पण न किए जाने पर 5 जून, 1984 को भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर में प्रवेश कर लिया। तब भिंडरावाले और उसके समर्थकों ने भारतीय सेना पर हमला कर दिया। भारतीय सेना ने भी जवाबी कार्यवाही की जिसमे में वह कामयाब रही।
उस समय के राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह भी इंदिरा गांधी की इस कार्यवाही से नाराज थे। स्वर्ण मन्दिर पर हमले के प्रतिकार में पांच महीने के बाद ही 31 अक्टूबर 1984 को श्रीमती गांधी के आवास पर तैनात उनके दो सिक्ख अंगरक्षकों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी । कुछ जानकारों के मुताबिक इन्दिरा ने कुछ गलतियां कर दी थी जिसकी वजह से हत्या हुई । इन्दिरा गांधी ने भूलकर सिक्ख धर्म के सुरक्षा गार्ड रखें जिससे उसके साथ विश्वासघात हुआ। उस समय दिल्ली एम्स में 30 बोतल रक्त चढ़ाने के बाद भी इंदिरा गांधी को बचाया नहीं जा सका क्योंकि गोलियों से शरीर छलनी हो चुका था। इस तरह भारत की आयरन लेडी की बहुत दुर्भाग्य से हत्या की गई। जिसको भारत के इतिहास में बुरे दिन के रूप में याद किया जाता है।
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