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Monday, November 30, 2020

कार्तिक पूर्णिमा गुरु नानक जयंती सिक्ख धर्म का प्रकाश पर्व Guru Nanak Jayanti 2020

Guru Nanak Dev jayenti
गुरू नानक देव फोटो जागृतिपथ




भारत में विविध संस्कृति और धर्म के लोग निवास करते हैं उसी प्रकार यहां हर दिन किसी त्योहार और पर्व से कम नहीं है। भारत में विभिन्न धर्मों के महापुरुष और समाज सुधारकों ने इस पवित्र भूमि पर जन्म लिया तथा समाज और मानवता की मिशाल बने इसलिए आज उनकी जयंती को उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

इसी कड़ी में हर वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को गुरुनानक जयंती मनाई जाती है। वर्ष 2020 में गुरुनानक जयंती 30 नवंबरको मनाई जा रही है। सिखों के लिए यह पर्व बहुत ही महत्व रखता है। किसी भी धर्म के संस्थापक का स्थान उस धर्म के अनुयायियों और मानव समाज में बहुत ऊंचा होता है। गुरू नानक देव पूरी मानव सभ्यता के लिए आदर्श और पथदृष्टा माने जाते हैं। जिनकी शिक्षाएं संदेश और वाणी मानव जीवन के लिए मार्गदर्शन का का करती है।

गुरू नानक देव जी का जीवन परिचय


गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु है। गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 में तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था। बाद में तलवंडी का नाम ननकाना साहब पड़ा, जो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है। 
गुरु नानक देव जी के पिता का नाम कल्यानचंद या मेहता कालू जी था, वहीं माता का नाम तृप्ता देवी था। नानक देव जी की एक बहन थीं, जिनका नाम नानकी था।
गुरु नानक देव जी की पत्नी का नाम सुलक्षिनी था। गुरू नानक देव जी ने अपना संपूर्ण जीवन परमार्थ के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने इस संसार में लोगों को प्रेम और भाईचारे से रहने का संदेश दिया। वे अंधविश्वास और आडंबरों के सख्त विरोधी थे। गुरुनानक देव जी बालपन से ही सत्संग और चिंतन में लगे रहते थे। 30 वर्ष की आयु तक उनका ज्ञान परिपक्व हो चुका था। गुरुनानक देव जी कहते थे ''सब तेरा है क्या मेरा है'' यानि सब कुछ उस परमात्मा का है। उन्होंने अपना पूरा जीवन लोगो के हित के लिए समर्पित कर दिया। उनके द्वारा दी गई सीख आज भी लोगों के लिए प्रेरणा दायक हैं। गुरू नानक देव जी जात-पात के खिलाफ थे। उन्होंने समाज से इस बुराई को खत्म करने के लिए लंगर की शुरुआत की। इसमें अमीर-गरीब, छोटे-बड़े और सभी जाति के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं।
गुरु नानक देव जी का देहावसान करतारपुर में 1539 में हुआ था। स्वर्गगमन से पूर्व उन्होंने बाबा लहना को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। बाद में वे गुरू अंगददेव के नाम से प्रसिद्ध हुए।

गुरू नानक जयंती और महत्व


सिख धर्म के संस्थापक और धर्मगुरु नानक जी के जन्म दिवस हर वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।  वर्ष 2020 में  गुरुनानक जयंती 30 नवंबर, सोमवार को मनाई जा रही है। हर वर्ष गुरुनानक जयंती पूरे देश में धूम धाम से मनाई जाती है। देश  के 14 राज्यों में सार्वजनिक अवकाश का ऐलान किया है। यानी इस दिन सभी सरकारी दफ्तर बंद रहेंगे। ये 14 राज्य हैं उत्तर प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, अरुणाचल प्रदेश, असम, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान और दिल्ली। इस दिन सुबह-सुबह प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं और गुरुद्वारे में कीर्तन करते हैं। गुरुद्वारों को आकर्षक रोशनियों से सजाया जाता है। शाम को लंगर का आयोजन किया जाता है। गुरु नानक जयंती के दिन ही देवों की दीवाली यानी देव दीपावली भी मनाई जाती है। इस प्रकार सिख धर्म में ही नहीं बल्कि हिन्दू धर्म के लोगो में भी गुरु नानक देव के प्रति गहरी श्रद्धा है जिससे इस दिन पूरे देश में खुशी का माहौल रहता है। गुरूद्वारों में गुरु वाणी तथा लंगरों में भोजन आदि से इस दिन शहरों की रौनक देखते ही बनती है।

सिक्ख धर्म के गुरुओं की सूची


सिख धर्म के गुरुओं का क्रम इस प्रकार है पहले गुरु नानक देव, दूसरे  अंगद देव, तीसरे गुरु अमर दास, चौथे  गुरु राम दास, पाचंवे  गुरु अर्जुन देव, छठे  गुरु हरगोबिन्द, सातवें  गुरु हर राय, आठवें  गुरु हर किशन, नौवें  गुरु तेग बहादुर और दसवें गुरु गुरु गोबिंदसिंह थे।
 

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