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Thursday, November 19, 2020

वनस्पति विज्ञान Botany महत्वपूर्ण नोट्स important facts

Botany important nots
वनस्पति विज्ञान महत्वपूर्ण नोट्स


वनस्पति विज्ञान इसे अंग्रेजी भाषा में 'Botany' कहते हैं। यह शब्द ग्रीक भाषा शब्द Botane herb जिसका अर्थ है (शाक अथवा बूटी) से लिया गया है।

थियोफ्रेस्टस (370-287 ई.पू.) को वनस्पति विज्ञान का जनक (Father of Botany) कहा जाता है। इन्होंने वनस्पति विज्ञान पर 'हिस्टोरिआ प्लैन्टैरम्' नामक पुस्तक लिखी। के कोमल भागों में पाये जाते हैं । जहाँ से पादपों में वृद्धि होती है।

  पादप ऊतकः 

पादपों में दो प्रकार के ऊतक होते हैं: अस्थायी या विभज्योतकी ऊतक, स्थायी ऊतक विभज्योतकी ऊतक पौधे के कोमल भागों में पाये जाते हैं। जहां पादपों की वृद्धि होती है।
जैसे मूल व तने का शीर्ष भाग, कक्षस्थ भाग आदि। स्थायी ऊतक दो प्रकार का होते हैं। इन्हें सरल व जटिल ऊतकों में वर्गीकृत किया गया है। सरल ऊतक को मृदुतक, ग्थलकोण ऊतक तथा द्वढोतक में बाँटा गया है। जटिल ऊतक में एक से अधिक समान उत्पत्ति वाली कोशिकाएँ होती है । ये दो प्रकार के होते हैं : जाइलम, फ्लोएम। जाइलम एवं फ्लोएम ऊतकों को सम्मिलित रूप से संवहन ऊतक भी कहते हैं । जाइलम ऊतक जल व खनिज लवणों को जड़ों से शरीर के सभी भागों तक पहुँचाने का काम करता है। फ्लोएम ऊतक पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण द्वारा बने भोज्य पदार्थों को जड़ों व अन्य भागों तक पहुँचाने का कार्य करता है।
• पादप कोशिका की प्रमुख विशेषताएँ: कोशिका भित्ति,क्लोरोफिल,प्रकाश संश्लेषण, बड़ी रसधानियों की उपस्थिति है।

पादपों का वर्गीकरण (Classification of Plants)

आयु के आधार पर पौधों को एकवर्षी (Annual), द्विवर्षी (Biannual) तथा बहुवर्षी (Perennial) में बाँटा गया है। आकार के आधार पर पौधों को शाक (Herb), झाडी (Shrub) तथा वृक्ष (Tree) में बाँटा गया है:

 (i) शाक (Herb): 

वे पौधों जिनके तने छोटे एवं कोमल होते हैं
तथा जिनकी ऊँचाई 1 मी. से कम होती है, शाक कहलाते
हैं। जैसे- टमाटर, बैंगन, पालक आदि।

 (ii) झाड़ी (Shrub): 

वे पौधे जिनका तना अर्द्धकाष्ठीय तथा नीचे से विभाजित होता है, झाड़ी कहलाते हैं । इनकी ऊँचाई
1-2 मी. होती है। जैसे-कनेर, रेलिया, मेहन्दी आदि।

 (iii) वृक्ष (Tree): 

वे. पौधे जिनका तना काष्ठीय होता है तथा जिनकी ऊँचाई लगभग 4 मी. होती है,वृक्ष कहलाते हैं। जैसे-नीम, पीपल, बरगद, आम आदि। आरोहण के आधार पर पादपों को तीन भागों में बाँटा गया है-आरोही पादप, वल्लरी पादप, अधिपादप। 

(i) आरोही पादपः 

वे पौधे जिनका तना कमजोर और मुलायम होता है तथा जो प्रतान की सहायता से किसी सहारे से लिपटकर
ऊपर की ओर चढ़ते हैं। जैसे: अंगूर, लोकी, तुरई आदि।

 (ii) वल्लरी पादपः 

वे पौधे जिनका तना कमजोर व मुलायम
होता है तथा जो किसी सहारे से लिपट कर ऊपर की ओर
बढ़ते है। जैसे-मनिप्लान्ट, बोगनविलियाँ आदि। 

(iii)अधिपादपः 

ऐसे पादप जो अन्य पादपों पर वृद्धि करते हैं,तथा उनसे अपना पोषण प्राप्त नहीं करते हैं। जैसे-ऑर्किड।
वैज्ञानिक वर्गीकरणः केरोलस लीनियस (1707-1778 ई.) को 'वर्गिकी का पितामह' कहा जाता है। उन्होंने अपनी पुस्तकों 'जेनेरा प्लांटेरम (1737)' तथा 'स्पीशीज प्लांटेरम' में वनस्पति जगत को 24 कक्षाओं, 1000 वंशों तथा 6000 जातियों में वर्गीकृत किया। इन्होंने सर्वप्रथम पादपों के नामकरण की पद्धति 'द्विनाम पद्धति' प्रस्तुत की, जिसमें पहले प्रजाति का तथा बाद में जाति का नाम रखा।






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