इंटरनेट क्या है? Https, client,html,server, domain, Router, ip address , browsing और www की प्रकिया , जोखिम और सुरक्षाJagriti PathJagriti Path

JUST NOW

Jagritipath जागृतिपथ News,Education,Business,Cricket,Politics,Health,Sports,Science,Tech,WildLife,Art,living,India,World,NewsAnalysis

Thursday, October 29, 2020

इंटरनेट क्या है? Https, client,html,server, domain, Router, ip address , browsing और www की प्रकिया , जोखिम और सुरक्षा

Internet
Internet 






आज बात करते हैं मानव जीवन के उस अहम हिस्से की जो आज हमारे जीवन का अपरिहार्य हिस्सा बन गया है जो एक मिनट भी बन्द हो जाए तो जान हलक में चली जाती है जिनके बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं करते हैं।
जी हां वह है "इंटरनेट"
हर वर्ष 29 अक्टूबर को अन्तर्राष्ट्रीय इंटरनेट दिवस के रूप में मनाया जाता है । तो हमें इंटरनेट की कार्यप्रणाली और सम्भावित जोखिमों आदि के बारे थोड़ा समझ लेना चाहिए। 
आज-कल युवा फेसबुक,व्हाटस् ऐप, ट्वीटर आदि सोशल मीडिया हमारे जीवन , और दिनचर्या का हिस्सा बने हुए हैं । यह सब इंटरनेट के माध्यम से ही सम्भव है। आज एक मिनट भी इंटरनेट ठप हो जाए तो करोड़ों का नुक़सान हो जाता है। मनोरंजन हो या व्यवसाय इंटरनेट हर क्षेत्र में प्रभावशाली और अनिवार्य हिस्सा बना हुआ है।
इंटरनेट केवल मनोरंजन और कम्युनिकेशन ही नहीं बल्कि शिक्षा, चिकित्सा, बैंकिंग, व्यापार आदि से जुडा हुआ है । कोई भी कार्य इंटरनेट कि अनुपस्थित के बिना संभव नहीं है। इंटरनेट क्रान्ति नवीन युग की चमत्कारिक घटना है जो पिछले 40 सालों में पूरे विश्व में फ़ैल गया । जिससे आधुनिक मानव जीवन को बदल कर रख दिया । कई सारे काम इंटरनेट के आने से आसान हो गये। शिक्षा , बैंकिंग चिकित्सा ,विज्ञान आदि में इंटरनेट से उद्भूत परिवर्तन देखने को मिले जिससे पुरानी व्यवस्था जैसे डाक, टेलिफोन, टेलिविजन , फैक्स आदि को पीछे छोड़ कर आज इनके सभी कार्यों को त्वरित और आसान तरीके से करना संभव हो पाया है। इंटरनेट आधुनिक मानता सभ्यता के लिए वरदान साबित हुआ है। 
लेकिन इंटरनेट से जितनी सुविधाएं मिली है । रोजमर्रा के काम जितने  आसान हुए हैं तो साथ साथ कुछ दुष्प्रभाव भी सामने आए हैं जिन्होंने मानव जीवन की सुख सुविधाओं में बाधा उत्पन्न भी की है। इंटरनेट के जरिए हैकिंग, साइबर अटैक तथा भड़काऊ अफवाहों आदि ने मानव सभ्यता में चिंताजनक स्थितियों को भी पैदा किया है
आइए आज इंटरनेट दिवस पर इंटरनेट की कार्यप्रणाली , प्रक्रिया, इतिहास और दुष्परिणामों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं।

Internet www https html
Internet Network




अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट दिवस वर्ष 1969 में इलेक्ट्रॉनिक संदेश भेजने हेतु इंटरनेट के सर्वप्रथम उपयोग की वर्षगांठ के अवसर पर 29 अक्टूबर 2014 को विश्व स्तर पर मनाया गया। तब से पूरे विश्व में 29 अक्टूबर को इंटरनेट दिवस के रूप में मनाते हैं।

                 Table of content


1. इंटरनेट का इतिहास,आगमन और कर्मिक विकास

2. WWW की शुरुआत और दुनिया में इंटरनेट की पहुंच

3. इंटरनेट की दुनिया और भारत 

4. इंटरनेट की कार्य प्रणाली ओर प्रोसेसिंग 

5. इंटरनेट पर  कैसे काम करता है हमारा कंप्यूटर या लैपटॉप ?

6. इंटरनेट भंडारण क्षमता 

7. इंटरनेट की मानक इकाइयां KBPS, MBPS GBPS

8. इंटरनेट और कंप्यूटर विज्ञान में क्रान्ति और संभावित खतरें 

9.   कैसे करें इंटरनेट का सुरक्षित उपयोग



1.इंटरनेट का इतिहास,आगमन और कर्मिक विकास


इंटरनेट की शुरुआत वर्ष 1969 में हुई थी जब अमरीका में सेना के लिए एक कंप्यूटर नेटवर्क तैयार किया गया था। ताकि परमाणु युद्ध शुरू होने की स्थिति में सूचना का आदान प्रदान किया जा सके।इंटरनेट अरपानेट (एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी नेटवर्क) के रूप में जाना जाता था। चार्ली क्लाइन ने 29 अक्टूबर 1969 को पहली बार इलेक्ट्रॉनिक संदेश प्रेषित किया।
सबसे पहली बार इंटरनेट की खोज 1969 में ARPANET नाम के एक नेटवर्क से हुई थी जिसमें एक समय में बहुत सारे कम्प्युटर को एक नेटवर्क पे क्म्युनिकेट करवाया था। बहुत सालो के विकास के बाद 1991 में पहला वेबपेज बना। नवंबर 1992 में इंटरनेट कि पहली वैबसाइट ‘स्नेप्शोट ऑफ द CERN द वर्ल्ड वाइड वेब प्रोजेक्ट’ की घोषणा की गई।



2.WWW की शुरुआत और दुनिया में इंटरनेट की पहुंच


इस नेटवर्क के सामने आते ही पुरी दुनिया के बहुत सारे नेटवर्क इससे कनेक्ट होने लगे। इसके बाद 1989 में एक इंग्लिश वैज्ञानिक Tim Berners-Lee ने एक नया सिस्टम तैयार किया जिसके जरिए दुनिया का हर इंसान कहीं से भी किसी भी चीज की जानकारी इंटरनेट पर एक URL के जरिए ढूंढ सकता है। इस सिस्टम को WORLD WIDE WEB यानि WWW का नाम दिया गया।
www की सफलता के बाद इसमें लगातार विस्तार किए गए और आज के जमाने में हमारे पास इंटरनेट का एक विस्तार रूप मौजूद है। आज कंप्यूटर के साथ-साथ फोन, स्मार्टफोन, स्मार्ट टीवी, स्मार्ट वॉच, टैब, कैमरा जैसी बहुत सारी चीजों से भी इंटरनेट को जोड़ दिया गया है। इसी तरह से आने वाले कुछ सालों के बाद हमारे आसपास की लगभग हर चीज इंटरनेट से जुड़ जाएगी और हमारी जिंदगी काफी आसान बन जाएगी।


3.इंटरनेट की दुनिया और भारत 


नेशनल रिसर्च नेटवर्क के साथ शुरू हुआ था भारत इंटरनेट का इतिहास और सफर लेकिन यहां तक आते आते भारत ने इंटरनेट और कंप्यूटर विज्ञान में बहुत प्रगति की है आज में दुनिया के सबसे बड़े इंटरनेट यूजर्स में से एक है। 
1986 में नैशनल रिसर्च नेटवर्क (ERNET) के लॉन्च के साथ भारत में इंटरनेट की शुरूआत हुई थी। हालांकि उस दौरान इंटरनेट को सिर्फ शिक्षा और रिसर्च के लिए ही उपलब्ध कराया जा रहा था। भारत सरकार और यूनाइटेड नेशन डेवलेपमेंट प्रोग्राम (UNDP) के सहयोग और आर्थिक सहायता के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग (DOE) ने नेटवर्क को शुरू किया था। 1988 में NICNet की शुरुआत हुई और इस नेटवर्क का संचालन राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा किया जा रहा था। भारत में इंटरनेट के आगमन के बाद भारत में इंटरनेट की गाड़ी का पहिया ओर तेज होता गया । विदेशी तकनीक का आगमन तथा विदेशी कंपनियों द्वारा इंटरनेट और कंप्यूटर से जुड़े हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर भारत में उपलब्ध करवाए गये जिससे भारत के लोगों को इंटरनेट से पहुंच में तेजी आई । विदेशी कंपनियों द्वारा भारत में स्मार्ट फोन , लेपटॉप, आदि के लिए बड़े पैमाने पर बाजार लगये गये जिसमें Samsung,vivo,oppo, apple, microsoft, nokia, motorola,intex, आदि उपकरण भारतीय लोगों तक आसानी से पहुंच गये जिससे भारत के लोगों को इंटरनेट के और करीब ला दिया। फिर भारत में प्रत्येक गांव में इंटरनेट उपलब्ध करवाने हेतु इंटरनेट प्रोवाइडर के रूप में कई कंपनियों ने अपने नेटवर्किंग टावर खड़े कर दिए जिसमें शुरुआत में airtel, vodafone,idea आदि थे तथा वर्तमान भारत में जियो नेटवर्क इंटरनेट और कम्युनिकेशन का बड़ा प्रोवाइडर लेकिन यहां तक आते आते भारत में तकनीकी और साफ्टवेयर इंजीनियरिंग तथा हार्डवेयर निर्माण में अद्भूत विकास हुआ है। भारत में भी इंटरनेट से जुड़े एप्लीकेशन और सर्वरों का स्वदेशी निर्माण भी तेजी से हो रहा है । भारत में दुनिया के सबसे बड़ी संख्या में इंटरनेट उपयोगकर्ता है।
 



4.कितनी जटिल है इंटरनेट की कार्यप्रणाली?



Https, client,html,server, domain, Router, ip address , browsing www b,kb,mb,gb,tb,kbps,mbps,search engine,google,wi-fi,wireless connection,network,software,etc
इंटरनेट एक  डाटा (data) के आदान-प्रदान का सबसे व्यस्ततम मार्ग है। इसमें हर पल अरबों  GB (gigabyte) और टेराबाइट (Terabyte) का आवागमन होता है। और इस Data Traffic का अधिकांश भार मुख्य कम्युनिकेशन लाईनों पर होता है। दरअसल इन लाईनों को  इंटरनेट की रीढ़ कहा जाता है।  एक कम्प्यूटर सर्वर (Servers):-  जो कम्प्यूटर किसी  नेटवर्क (Network ) के Data को मैनेज करता है। और Data को स्टोर करने के लिए स्थान  (Storage/ memory) उपलब्ध करवाता है, वह सर्वर कहलाता है। और क्लाइंट (Client ):-जो कम्प्यूटर इस Storage को  एक्सेस (Access) करके डेटा प्राप्त करना चाहता है, वह क्लाइंट Client होता  है। की मदद से Data स्थानान्तरण करता है।  जो क्लाइंट कई सारे सर्वरों के डेटा को एक्सेस कर सकता है। वह Host Computer होस्ट संगणक  कहलाता है। यह सब काम कोडिंग के जरिए होती है जो सभी कम्प्युटरों की मानक भाषा होती है इस प्रकार इंटरनेट में भी  servers और  client भी एक युनिक कोडिंग को रीड करते हैं तथा अपने सर्वर पर लोड load करके मांगने वाले यूजर कम्प्युटर को उपलब्ध करवाते हैं।  यह  HTML (एचटीएमएल) HyperText Markup Language ) भाषा वेब पन्नों और वेब आधारित एप्लीकेशन (app) बनाने में इस्तेमाल होने वाली एक मार्कअप भाषा है। वेब ब्राउज़र द्वारा किसी वेबसाइट के पन्ने को खोलने पर उसके वेब सर्वर से एचटीएमएल के रूप में दस्तावेज (डॉक्युमेंट) प्राप्त होता है, जिसे वेब ब्राउज़र मल्टीमीडिया वेब पन्ने में बदल देता है। इसके साथ साथ इंटरनेट में फाइलों और डेटा के ट्रांसफर तथा हर इंटरनेट उपयोगकर्ता को संपूर्ण इंटरनेट की सामग्री से पहुंच बनाने में बहुत सारी तकनीक और फीचर्स का उपयोग होता है जिससे यूजर आसानी से चाही गई सूचना को प्राप्त कर सकता है अब हमारे दिमाग में सवाल उठता है कि यह ढेर सारा डाटा कहां स्टोर है ? और हमारे द्वारा कोई सूचना मांगने पर तुरंत कैसे उपलब्ध करवाता है? तथा हमारे द्वारा मांगी गई सूचना को कैसे पहचाता है तो आपको WWW,HTML और HTTP  को समझना जरूरी है HTTP का  (FULL FORM) पूरा नाम HyperText Transfer Protocol है। यह एक प्रकार का network protocol है जो की World Wide Web में उपयोग होता है, यहाँ पर protocol का अर्थ set of rules से है जो की web browser और server के बीच सूचनाओं के आदान प्रदान के समय उपयोग होते हैं।

इंटरनेट के जरिए जो डेटा स्थानान्तरण होता हैं। वह छोटे-छोटे Packets के रूप में आवाजाही करता है। जब हम दो या दो से अधिक नेटवर्कों के बीच डेटा स्थानान्तरित करते हैं। तो Data को नियंत्रित करने का काम Router करता है।  Router  एक Computer Network उपकरण होता है। जो दो या दो से अधिक नेटवर्कों के बीच स्विचिंग का काम करता है। यह Router हमारे कंप्यूटर और मोडेम के बीच की स्थति में कार्य करता है यह Network में मौजूद Data को कहीं भी भेज सकता है। और यह राउटर Data भेजने से पहले यह चैक करता है कि Data को कहां भेजना है और कौनसे path से भेजना है  उसके बाद तय करता है कि Data को किस दिशा में भेजा जाना है?  यह डेटा जो छोटे-छोटे पैकैट्स ( Packets) में विभाजित होता है। जिसे TCP (Transmission Control Protocol) द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
लेकिन और बात को ध्यान में रखना है कि राउटर को कौन निर्देशित करता है और राउटर को कैसे पहचान होती है कि किस स्थान पर डाटा पहुचाना है तो हमें आई पी पते को समझना जरूरी है यह IP ADDRESS (INTRNET PROTOCOL ADDRESS) वहीं सिस्टम है  जो राउटर को गंन्तव्य स्थान पर डेटा भिजवाने में रास्ता बताएगा मतलब यही आई पी डाकिये रूपी राउटर के लिए किसी घर का पता है। यह उस डेटा के साथ लगा एड्रेस होता है। इंटरनेट की दुनिया और वेबसाइटों की दुनिया में जो डोमेन नेम DNS (Domain Name System) 
की व्यवस्था है यही इस आई पी एड्रेस का रूप है जिसे कंप्युटर अंकों में पढता है और हम www  x y z  com/in/ net आदि में पढ़ते है ‌इसी डोमेन सिस्टम ने ही आई पी पते के गणितीय अंकों को शब्दों में बदलने का काम किया है। जिसे आसानी से याद रखा जा सकता है।

5.इंटरनेट पर  कैसे काम करता है हमारा कंप्यूटर या लैपटॉप ?




Laptop web tool
Laptop




वैसे आज हर कोई इंटरनेट के बारे में जानता है लेकिन इसकी कार्यप्रणाली और तकनीकी क्षेत्र में कोई रूचि नहीं रखता लेकिन हमें हमारे डेटा की सुरक्षा हेतु इंटरनेट की तकनीकी जानकारी को भी थोड़ा समझना जरूरी है।
आइए हम ऊपर दी गई जानकारी को एक उदाहरण से समझते हैं कि इंटरनेट से हम कैसे कनेक्ट होते हैं और स्मार्ट फोन कैसे इंटरनेट से कनेक्ट होते हैं । सबसे पहले हम कंप्युटर से शुरूआत करते हैं आपने एक कंप्यूटर या लैपटॉप खरीदा अब अपने कंम्पुटर में एक संदेश टाइप किया और कुछ फोटो बनाएं अब आप इन डेटा को इंटरनेट से किसी और व्यक्ति के कंम्पुटर में भेजना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको आपके कंप्यूटर को इंटरनेट से जोडना होता है इसके लिए आपको मोडेम की जरूरत होगी जिससे router  हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की मदद से आपके डाटा को html में बदल कर दूसरे कंप्यूटर को इंटरनेट के माध्यम से पहुचाएगा। आज कल wifi वायरलेस तकनीक से भी इंटरनेट से जुड़ा जा सकता है । अगर वाय-फाय नहीं होने पर आप मोडेम में इंटरनेट प्रोवाइडर का सिम कार्ड डाल कर कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ेंगे या फिर स्मार्ट फोन अपने आप में एक मोडेम का काम करता है। अब आपका कंप्यूटर प्रोवाइडर जैसे airtel,jio, bsnl आदि के माध्यम से इंटरनेट से जुड़ गया है । अब आपको इंटरनेट की दुनिया में उपरोक्त जानकारी में बताई गई चीजों का सामना करना होगा , सबसे पहले आपको इंटरनेट ब्राउज़र की जरूरत पड़ेगी जो आपको सर्च इंजन तक पहुंचाएग जैसे google crome , internet explorer आदि ब्राउजर है अब इन ब्राउज़र में आप किसी सर्च इंजन से किसी  आई पी एड्रेस पर पंहुच सकते हैं जैसे आज गूगल दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन है । आप गुगल में जो कंमाड दोगे गुगल आपको सर्वर से आपकी चाही गई सुचना आपको निकाल कर देगा जिनके माध्यम से आप अपनी सूचनाओं को इंटरनेट पर प्रदान कर सकते हैं अब बात करते हैं www की बात करते हैं फिर अपने डेटा को भेजने की बात करते हैं 
WWW (World Wide Web) जिसको W3 या Web भी कहा जाता है। ये एक information space है। यहाँ पर HTML document और web resources को Uniform Resource Locators के जरिये पहचान किया जाता है। जहाँ HTML document Hyperlink के जरिए आपस में जुड़े रहते हैं। इन web Document को हम Internet के जरिए एक्सेज करते हैं। अब हम किसी आई पी एड्रेस को या डोमेन नेम को सर्च इंजन में डालेंगे जो साइट हमारे डेटा को होस्ट करते हैं या हमारे डेटा को अपने पास स्थान देते हैं जैसे हमने ईमेल खोजा तो यह ईमेल हमारे द्वारा अपलोड किए डाटा को नेटवर्क सर्वर पर होस्ट करेगा जिसका मालिक कोई होस्ट कंपनी हो सकती हैं जैसे गूगल मेल की होस्ट कंपनी गूगल स्वयं है अब हम जब इस पर अपना खाता बनायेंगे तो यह खता हमारे कंप्यूटर या फोन का आई एंड्रेस निर्धारित करेंगे तथा हमारा ईमेल पता हमारा व्यक्तिगत पता होगा और जी मेल डाट काम उस कंपनी का डोमेन पता होगा अब हम यहां पर अपनी बनाई गई फाइल को ईमेल पर डालकर पाने वाले का एड्रेस डालकर भेज देते हैं अब हमारे द्वारा भेजे गए फोटो और संदेश को राउटर Router मोडेम और कंम्पुटर सिस्टर के माध्यम से HTML भाषा में बदलकर सर्वर को दे देगा फिर सर्वर हमारे डाटा को किसी अन्य कंम्पयूटर को उपलब्ध करवा सकता है जो कंप्यूटर उसी प्रक्रिया से इंटरनेट से जुड़ा है जैसे हमारा कंम्पयूटर जुडा है। लेकिन हमने अपने डाटा को ईमेल से भेजा था इसलिए ये उसी व्यक्ति के पास जाएगा या वहीं व्यक्ति इस डाटा को प्राप्त कर सकता है जिससे पते को हमने सर्वर को बताया था। लेकिन हम अपनी या किसी अन्य की वेब पर डाटा डालते हैं और उन डाटा का URL डालते हैं तो लोग हमारे डाटा को हमारी वेबसाइट के पते Domen name सहित उस डेटा के यूआरएल के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। एक वेबसाइट (Website) सार्वजनिक रूप से इंटरनेट पर उपलब्ध वेब पेजों और संबंधित सामग्री का एक संग्रह है जिसे एक सामान्य डोमेन नाम (Domain Name) से पहचाना जाता है और कम से कम एक वेब सर्वर पर प्रकाशित किया जाता है। जिससे लोगों को अपलोड डाटा और सुचनाएं उपलब्ध होती है अब एक शब्द पीछे रह गया वह है https हमने http प्रोटोकॉल की बात ऊपर की थी लेकिन https की नहीं तो यह हमारे डेटा की सुरक्षा हेतु इंटरनेट पर बनाया गया एक प्रोटोकॉल है जो हमारे डेटा और वेब पेजों की सुरक्षा करता है जिससे कोई हमारे डेटा को तोड़े मरोड़े नहीं या हमारी सूचनाओं को कोई लीक ना करें। सरल शब्दों में इंटरनेट एक असीमित भंडार है सर्वर हास्टर  दुकान storage है तथा html उस डेटा सामग्री की मूल बनावट है तथा domain name हमारी दुकान तथा अन्य दुकानों का पता है, Router हमारे सामान को आदान-प्रदान करवाता है। इंटरनेट प्रोवाइडर नेटवर्क किराये से हमारे डेटा सामग्री का आदान-प्रदान करवाते हैं तथा हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर उपकरण मोडेम , वाय-फाय, आदि राउटर से जो कई प्रकार के होते हैं  Broadband Routers Wireless Routers आदि हमारे डेटा को सही जगह पर भेजते हैं जो विश्व के इंटरनेट जाल में मौजूद रहकर सार्वजनिक रुप से हास्ट कंपनियों द्वारा मांगने पर उपलब्ध करवाए जाते हैं। आज कल social media facebook, Twitter, whatsapp, instagram, youtube आदि सब इंटरनेट की ही देन है।

smartphone and net
smartphone and net



वैसे आज स्मार्टफोन यह सब कार्य अकेले ही अपने सिस्टम के जरिए कर लेता है।

6.इंटरनेट भंडारण क्षमता B, KB,MB,GB,TB


यह कंप्यूटर या इंटरनेट पर डेटा संग्रह के माप है या  क्षमता के मात्रक है जो फाइलों, चित्रों विडियो आदि की मात्रक इकाइयां हैं निम्नलिखित चार्ट के माध्यम से इनकी इकाइयों को समझ सकते हैं जिसमें वर्चुअल स्टोरेज और डिस्क स्टोरेज सिस्टम से व्यक्त किया जाता है। 





Cumputer Storage
Storage




7.इंटरनेट की मानक इकाइयां KBPS, MBPS GBPS


डेटा ट्रांसफर की गति को मापने के लिए अन्य मानक इकाइयाँ एमबीपीएस (प्रति सेकंड मेगाबिट्स) और जीबीपीएस (प्रति सेकंड गीगाबिट्स) हैं। माप के संदर्भ में, केबीपीएस, एमबीपीएस और जीपीएस नीचे से संबंधित हैं जैसा कि नीचे दिखाया गया है −
1 kbps = 1000 bits per second
1 Mbps = 1000 kilobits per second
1 Gbps = 1000 Megabits per second

8.इंटरनेट और कंप्यूटर विज्ञान में क्रान्ति और संभावित खतरें 


Hackers
Hackers


इंटरनेट जिस तरह सुलभ हो रहा साथ साथ सुरक्षा को लेकर बहुत खतरे उत्पन हो रहे हैं क्योंकि आज समय के साथ इंटरनेट और कंप्यूटर विज्ञान में बहुत हेरतअंगेज प्रगति हुई है e-mail, e-money, e-book, e-banking, e-education , vedio game , vedio confrensing, internet remote control,  internet map, gps, smartphone browsing system, आदि को इंटरनेट ने कनेक्टिविटी दी है । यहां तक कि घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को इंटरनेट से कनेक्ट किया जाने लगा है तथा नियंत्रित किया जाने लगा है। 



सेटेलाइट और अंतरिक्ष अनुसंधान की तकनीक में भी क्रांति आई है जिसमें चन्द्रयान अंतरिक्ष यान मंगल यान आदि को धरती से रिमोट कंट्रोल सिस्टम से नियंत्रित किया जाने लगा है इसके साथ साथ पूरे विश्व को इंटरनेट नेटवर्क ने एक छोटे से गांव में बदल दिया है विश्व किसी भी कोने में हुई घटनाओं को सैकेंड में देख सकते हैं सुन सकते हैं। लेकिन इन सब सुविधाओं के बावजूद मानव जीवन में जितना आसान हुआ है साथ साथ कुछ खतरे भी बड़े है जिसमें बैंक खतों से पैसे चोरी करना , वेबसाइटों पर साइबर अटैक, आदि से लोगों को फाइनेंशियल नुकसान भी होने लगें है। साइबर हमले इस इंठरनेप सुविधा में उपयोगकर्ताओं की चिंता बढ़ा दी है। कुछ फर्जी वेबसाइट , गलत जानकारी , अश्लील विज्ञापन , विडियो आदि ने मानव संस्कृति पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं लेकिन इन सब के बावजूद भी इंटरनेट के बिना आज मानव जीवन की कल्पना नहीं कर सकते हैं।

9.कैसे करें इंटरनेट का सुरक्षित उपयोग


आज इंटरनेट के बिना हम किसी कार्य की कल्पना नहीं कर सकते इसलिए हमें पग पग पर इंटरनेट का सामना करना पड़ेगा। इसलिए हमें इंटरनेट की दुनिया में उत्पन्न संभावित खतरों से बचना भी जरूरी है। इसलिए आज हमें इंटरनेट के उपयोग करने से पहले सावधानियों और सुरक्षा नियमों को समझना बहुत जरूरी है। हमारे सुरक्षित इंटरनेट के लिए आज बहुत सुरक्षा नितियों का आगमन हुआ है। बहुत से उपाय है जो हमें इंटरनेट पर सुरक्षा प्रदान करते हैं। तथा कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां हमें इंटरनेट पर सुरक्षित और महफूज रखती है। आज हमे अपने एकाउंट को पासवर्ड से प्रोटेक्शन करने की सुविधा मिलती है । OTP जैसी सुविधाओं ने हमारे इंटरनेट उपयोग को काफी सुरक्षित किया है। फिर भी आज फर्जी वेबसाइट , लिंक, फोन नम्बर,काॅल, एप्लीकेशन आदि हमारे पास पहुंच जाते हैं जिनके चक्कर में हमें फाइनेंशियल नुकसान पहुंच जाता है। तो हमें फर्जी नंबर और लिंक्स से सावधान रहना है। Https SSL प्रमाणित साइटों का उपयोग करना चाहिए।
अपने डिवाइस और पासवर्ड को हाई प्रोटेक्शन पर रखना चाहिए। तथा ई-मेल एकाउंट को टु स्टेप लांग इन पर रखा जाएं जिसमें ओटीपी से लाॅग इन होता है। अपने पासवर्ड को समय समय पर अपडेट करना तथा कंम्पयूटर में एंटीवायरस आदि से सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है। तथा पासवर्ड और ओटीपी को गोपनीय रखना जरूरी है। फर्जी ई-मेल, स्पेम मैसेज आदि को ब्लाक करना तथा गूगल आदि की tream and conditions  नितियों आदि से वाकिफ रहना चाहिए । जिससे सुरक्षित इंटरनेट का उपयोग सुनिश्चित हो सके।

No comments:

Post a Comment


Post Top Ad