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Atal Tunnel |
भारत ने रचा इतिहास बना डाली दुनिया की सबसे बड़ी सुरंग
आइए जानते हैं भारत की सबसे बड़ी सुरंग अटल टनल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी तथा इस सुरंग से जुड़े खास तथ्यों के बारे में।
अटल टनल ( रोहतांग सुरंग) Atal Tunnel is ready
हाल ही में माननीय प्रधानमंत्री नें 3 अक्टूबर 2020 को दुनिया की सबसे लंबी हाईवे सुरंग का उद्घाटन किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सभी मौसम में खुली रहने वाली अटल सुरंग का हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में उद्घाटन किया। इस अटल सुरंग के खुल जाने की वजह से मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई। उद्घाटन समारोह के बाद पीएम मोदी लाहौल स्पीति के सीसू और सोलांग घाटी में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया और उन्होंने इस सुरंग के महत्व के बारे में जानकारी दी।अटल टनल का सामरिक और ऐतिहासिक महत्व
Importance of Atal Tunnel
दरअसल, अटल सुरंग दुनिया में सबसे लंबी (बड़ी)राजमार्ग सुरंग है और 9.02 लंबी सुरंग मनाली को लाहौल स्पीति घाटी से जोड़ने का कार्य करेगी।
सर्दियों में घाटी छह महीने तक भारी बर्फबारी के कारण शेष हिस्से से कटी रहती थी। अटल टनल सुरंग को हिमालय के पीर पंजाल की पर्वत श्रृंखलाओं के बीच अत्याधुनिक विशिष्टताओं के साथ समुद्र तल से करीब तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया है।
अटल सुरंग का दक्षिणी पोर्टल मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर 3060 मीटर की ऊंचाई पर बना है जबकि उत्तरी पोर्टल 3071 मीटर की ऊंचाई पर लाहौल घाटी में तेलिंग, सीसू गांव के नजदीक स्थित है। घोड़े की नाल के आकार वाली दो लेन वाली सुरंग में आठ मीटर चौड़ी सड़क है और इसकी ऊंचाई 5.525 मीटर है।
अटल टनल की क्षमता और आधारशिला
The ability of Atal Tunnel
इस अटल सुरंग का खाका प्रतिदिन तीन हजार कार और 1500 ट्रक के लिए तैयार किया गया है जिसमें वाहनों की अधिकतम गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे होगी। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने रोहतांग दर्रे के नीचे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस सुरंग का निर्माण कराने का निर्णय किया था और सुरंग के दक्षिणी पोर्टल पर संपर्क मार्ग की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी।
मोदी सरकार ने दिसम्बर 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई के सम्मान में सुरंग का नाम अटल सुरंग रखने का निर्णय किया था। इस सुरंग से हर रोज 3000 कार और 1500 ट्रक 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आ जा सकेंगे। सुरंग में अग्नि शमन, रोशनी और निगरानी के व्यापक इंतजाम किये गए हैं।
सूरंग बनाने का निर्णय: वाजपेई सरकार
रोहतांग दर्रे के नीचे यह ऐतिहासिक सुरंग बनाने का निर्णय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में तीन जून 2000 में लिया गया था। इसकी आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गयी और इसके बाद से सीमा सड़क संगठन सभी प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद इसे पूरा करने में जुटा था। सेरी नाला फाल्ट जोन में 587 मीटर क्षेत्र में सुरंग बनाने का काम सबसे चुनौतीपूर्ण था और इसे 15 अक्टूबर 2017 को पूरा किया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने किया था काम का निरीक्षण
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने 2014 में निमार्ण स्थल का दौरा कर निमार्ण कार्य का जायजा लिया था। पिछले 24 दिसम्बर को पीएम मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने वाजपेयी के इसमें योगदान के लिए इस सुरंग का नाम रोहतांग सुरंग के बजाय अटल सुरंग रखने को मंजूरी दी। सुरंग का 40 प्रतिशत कार्य पिछले दो सालों में पूरा किया गया है और इसके निमार्ण पर 3200 करोड़ रूपये की लागत आई है।
सूरंग में आपातकालीन चाक चौबंद-
Emergency system in Atal Tunnel
इस सुरंग के दोनों द्वारों पर बैरियर लगे हैं। आपात स्थिति में बातचीत के लिए हर 150 मीटर पर टेलीफोन और हर 60 मीटर पर अग्निशमन यंत्र लगे हैं। घटनाओं का स्वत पता लगाने के लिए हर ढाई सौ मीटर पर सीसीटीवी कैमरा और हर एक किलोमीटर पर वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली लगी है।
कहीं अन्दर जहरीली हरा फैल जाए या अन्दर वातावरण की वायु दुषित हो जाए इस अटल सुरंग हर 25 मीटर पर आपात निकास के संकेत है तथा पूरी सुरंग में ब्रोडकास्टिंग सिस्टम लगाया गया है। सुरंग में हर 60 मीटर की दूरी पर कैमरे भी लगाये गये हैं।
पीएम मोदी ने उद्घाटन के बाद क्या कहा?
Atal Tunnel benifit by: modi
माननीय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "आज सिर्फ अटल जी का ही सपना नहीं पूरा हुआ है, आज हिमाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों का भी दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है। मेरा सौभाग्य है कि मुझे आज अटल टनल के लोकार्पण का अवसर मिला है।" पीएम मोदी ने कहा कि 'इस टनल से मनाली और केलॉन्ग के बीच की दूरी 3-4 घंटे कम हो ही जाएगी। पहाड़ों में रहने वाले मेरे भाई-बहन समझ सकते हैं कि पहाड़ पर 3-4 घंटे की दूरी कम होने का मतलब क्या होता है।'
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सेना पर तैनात हमारे जवानों के लिए राशन, सप्लाई और अन्य लॉजिस्टिक्स सप्लाई करने में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि यह टनल बिल्कुल दो देशों की सीमा पर बना हुआ है। उन्होंने कहा कि यह सुरंग देश की जनता के अलावा, सीमा पर सुरक्षा करने वाले जवानों और सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को समर्पित है। सिंह ने सुरंग के निर्माण में योगदान देने वालों को धन्यवाद दिया।
कांग्रेस पूर्व सुप्रीमो का आरोप: शिलान्यास पत्थर गायब करने पर दी चेतावनी
सोनिया गांधी के शिलान्यास का पत्थर गायब होने की बात करते हुए कांग्रेस ने चेतावनी भी दी और श्रेय दिया और नाम बदलने का आरोप भी लगाया।
"सोनिया गांधी ने आरोप लगाते हुए एक बयान दिया है जिस अटल टनल ( सुरंग ) के उदघाटन का फीता मोदी काट रहे हैं, उसका शिलान्यास कांग्रेस ने 2010 में किया था , जिसका नाम तब रोहतांग सुरंग ( Rohtang tunnel ) रखा गया था मगर सिर्फ नाम बदलकर कांग्रेस सरकार के कार्यो को अपना बताने वाली भाजपा ने रोहतांग सुरंग का भी नाम बदल दिया।
कांग्रेस सरकार के समय के कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं जिसका 2014 से पहले शिलान्यास हुआ है था और उसे बनने में 8 से 12 साल लगेगा इसलिए मोदी अभी और कुछ समय तक कांग्रेस के कार्यो का फीता काट सकते हैं।"
भारत की सात सबसे लम्बी सुरंगें
•1. पीर पंजाल सुरंग, जम्मू-कश्मीर (लंबाई 11.215 किलोमीटर): इसे बनिहाल रेलवे सुरंग भी कहा जाता है,
•2. कार्बूड सुरंग, महाराष्ट्र (लंबाई-6.5 किलोमीटर)
•3. नाटूवाड़ी सुरंग, महाराष्ट्र : करनजाड़ी और दीवान स्टेशन के बीच स्थित 4.3 किलोमीटर लंबी कोंकण रेलवे मार्ग की दूसरी सबसे लंबी सुरंग है।
•4. टाइक सुरंग, महाराष्ट्र: यह 4.07 किलोमीटर लंबी सुरंग है।
•5. बेरडेवाड़ी सुरंग, महाराष्ट्र: अडावली और विलावाड़े के बीच स्थित यह सुरंग 4 किलोमीटर लंबी है।
•6.घाट की गुनी सुरंग, राजस्थान: जयपुर में पूर्वी हिस्से से घुसने और बाहर निकलने के लिए सिर्फ यही सुरंग है। इसकी लंबाई 2.8 किलोमीटर है।
•7. चेनानी-नशरी (पटनीटॉप), जम्मू एवं कश्मीर 9.2 किलोमीटर की यह सुरंग एशिया की सबसे लंबी सुरंगों में से एक है।
दुनिया की सबसे लंबी सूंरग(टनल)
किसी भी प्रकार की सबसे लम्बी सुरंग की बात करें तो स्विट्जरलैंड का नाम जहन में आता है जी हां चौंकाने वाली बात है कि एक क्षेत्रफल में छोटे से देश ने कितनी लम्बी सूरंग बना दी !
स्विट्जरलैंड में स्थिति 57 किमी. लंबी गॉटहार्ड बेस टनल आम लोगों के लिए खोल दिया गया है। इस सबसे लंबी रेल (टनल) सुरंग को बनाने में करीब 17 साल लगे और इस पर 80 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
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