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Tuesday, July 28, 2020

विश्व हेपेटाइटिस दिवस 2020 लक्षण, कारण और बचाव


World Hepatitis Day 2020 Symptoms, Causes and Prevention
World Hepatitis Day 2020 Symptoms, Causes and Prevention



वर्ष 2020 में हेपेटाइटिस दिवस पर विश्व के प्रत्येक देश इस बिमारी को जड़ से खत्म करने के लिए प्रयास करेंगे नवजात शिशुओं को समय-समय पर टीकाकरण आदि से जागरूकता का प्रयास करेंगे । कोरोना महामारी के संकट में पूराने खतरनाक रोगों के उन्मूलन में हालांकि समस्या बन रहा है। लेकिन विश्व का चिकित्सा परिवार उन तमाम बिमारियों के उन्मूलन में प्रयासरत हैं जिनके टीके की खोज हो चुकी है।  2020  विश्व हेपेटाइटिस दिवस हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने और वर्ष 2030 तक वैश्विक उन्मूलन के लक्ष्य की प्राप्ति करने के लिए  जनता द्वारा की जाने वाली कार्रवाई प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिवर्ष  की भांति इस बार 28 जुलाई को मनाया जा रहा है।
हेपेटाइटिस शब्द ग्रीक भाषा के ‘हेपार’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है यकृत। जबकि आईटिस का अर्थ है सूजन। हेपेटाइटिस वह स्वास्थ्य स्थिति है जब यकृत की कोशिकाओं में सूजन आ जाती है। यह हेपेटाइटिस के विभिन्न वायरस के कारण होता। हेपेटाइटिस के पांच प्रकार होते हैं A, B, C, D तथा E।
वायरल हेपेटाइटिस A/E प्रकार की होती है, यह मुख्य रूप से जल और भोजन के दूषित होने के कारण होती है। हेपेटाइटिस B/C बॉडी फ्लुइड्स, रक्त आधान इत्यादि के कारण होती है। हेपेटाइटिस B और C के कारण यकृत को स्थायी रूप से नुकसान हो सकता है। जबकि हेपेटाइटिस A और E कुछ समय बाद ठीक होती है।

हेपेटाइटिस के प्रकार और लक्षण

हेपेटाइटिस A

इसका वायरस पानी और खाने के जरिए शरीर में आता है। वायरस का इन्फेक्शन होने के 15 से 45 दिन में लक्षण सामने आते हैं। अच्छी बात यह है कि ज्यादातर सभी मामलों में ए वायरस खुद-ब-खुद चला जाता है। हेपटाइटिस ए की वैक्सीन है, लेकिन खास जरूरत नहीं समझी जाती, क्योंकि यह जानलेवा नहीं है।हेपटाइटिस A क्रॉनिक नहीं होता। यह लिवर को अमूमन नुकसान नहीं पहुंचाता।

2- हेपेटाइटिस B

हेपेटाइटिस B का वायरस खून, सीमन और शरीर के अन्य तरल पदार्थ के जरिए संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पहुंचता है। हेपेटाइटिस B बड़ी ही शांति के साथ अटैक करता है और व्यक्ति को इसके बारे में पता भी नहीं चलता।

3-हेपेटाइटिस C

हेपेटाइटिस C वायरस का इन्फेक्शन होने के करीब डेढ़ से दो महीने बाद लक्षण नजर आते हैं। कई मामलों लक्षण दिखाई देने में एक महीने से चार महीने लग जाते हैं। ऐसे मामलों को अक्यूट कहा जाता है। वहीं जब इन्फेक्शन छह महीने से ज्यादा समय से हो, तब वह क्रॉनिक कहलाता है। इसमें मरीज के पूरी तरह ठीक होने के आसार कम हो जाते हैं।

4-हेपेटाइटिस D

हेपेटाइटिस डी को डेल्टा वायरस भी कहते हैं। यह एक तरह का इंफेक्शन है और इससे लिवर में जलन और सूजन की समस्या हो जाती है। अगर सूजन काफी लंबे समय तक रहता है, ऐसी स्थिति में लिवर कैंसर होने का खतरा भी रहता है। यह कभी अकेले नहीं होता है, अगर किसी को हेपेटाइटिस B और C है, तब उसे हेपेटाइटिस D होने का खतरा रहता है।

5-हेपेटाइटिस E

यह वायरस मुंह के जरिए मानव शरीर में प्रवेश करता है। हेपेटाइटिस E का वायरस संक्रमित पानी पीने से किसी इंसान के शरीर में प्रवेश कर सकता है। दूषित खाने से भी इसका वायरस इंसानों के शरीर में प्रवेश करता है। यह भी लिवर को इफेक्ट करता है। हालांकि यह लंबे समय तक नहीं रहता है और कुछ ही महीनों में ठीक हो जाता है।
हेपेटाइटिस के लक्षण
अधिक थकावट होना
कई दिनों तक तेज बुखार रह रहा हो
कम भूख लगना
पेट में दर्द
आंखों में पीलापन,
पेशाब में पीलापन होना

हेपेटाइटिस दिवस शुरुआत और मनाने का उद्देश्य


विश्व हेपेटाइटिस दिवस साल 2010 से मनाया जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा चिह्नित किए गए आठ वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों में से एक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मई 2010 में एक प्रस्ताव पारित कर यह दिवस मनाने की घोषणा की थी। इससे पहले क्रोनिक वायरल हैपेटाइटिस के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विश्व हेपेटाइटिस एलायंस ने साल 2008 में अभियान चलाया था।
28 जुलाई प्रोफेसर बारूक ब्लमबर्ग का जन्मदिन है, उन्होंने हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज की थी। उन्हें इस खोज के लिए साल 1976 में चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था ।

हेपेटाइटिस के मुख्य लक्षण में व्‍यक्ति की आंखें और शरीर का रंग पीला पड़ने लगता है।इस संक्रमण की मुख्य पहचान पीलिया, सफेद या काली दस्त, अतिसंवेदनशील त्वचा, भूख मिट जाना, अपच और उल्टी, पेट में दर्द, पेट में सूजन, थकान जैसे लक्षण है. इन लक्षणों के अतिरिक्त बीमार महसूस करना, सिरदर्द होना, चिड़चिड़ापन बढ़ना, अचानक शरीर नीला पड़ना इत्यादि भी हो सकते है।
हेपेटाइटिस से बचाव
हेपटाइटिस, मॉनसून के दौरान अधिक फैलता है, इसलिए इस मौसम में तैलीय, मसालेदार, मांसाहारी और भारी खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। इस बीमारी से बचने के लिए शाकाहारी आहार, ब्राउन राइस, हरी पत्तेदार सब्जियां, विटमिन सी युक्त फल, पपीता, नारियल पानी, सूखे खजूर, किशमिश, बादाम और इलायची का भरपूर मात्रा में सेवन करना चाहिए। उपरोक्त  जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं चिकत्सक की सलाह और स्वास्थ्य जांच निदान ही प्रत्येक रोग के बारे स्थिति को स्पष्ट करते हैं।


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